वेतन के बजाय प्रोत्साहन राशि व्यवस्था आशाओं के लिये दर्दनाक

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में आशाओं के लिए “काम के एवज में वेतन के बजाय प्रोत्साहन राशि देने की व्यवस्था ” आशाओं के लिये सबसे दर्दनाक एवं अमानवीय शोषण है। दूसरी तरफ सरकार एवं विभाग के‌ भ्रष्ट अधिकारियों के लिये सबसे पसंदीदा एवं लाभदायक व्यवस्था है। प्रदेश में आशा को उनके किए गए काम का प्रोत्साहन राशि का पूरा भुगतान मिलने की बात बेहद दुर्लभ है। लेकिन प्रोत्साहन राशि में कटौती, भुगतान नहीं करना, भुगतान को रोकना, अलग-अलग मद के होने, एवं राशि के ना आने “और खास तौर पर बजट न होने ” के नाम पर महीनों, कहीं – कहीं किसी मद का वर्षों तक भुगतान नहीं करना, यह सब आम बात है। शिकायतों का ना तो विभाग जवाब देते हैं और ना सरकार भुगतान कराने के लिए कोई गंभीर प्रयास करते हैं। इससे यह मानने के लिए मजबूर है कि सरकार जानबूझकर इस तरह का व्यवस्था बनाए रखकर आशा के प्रोत्साहन राशि का हिस्से को गोलमाल कर रही है। बजट ना होने के नाम पर वर्षों से भुगतान को रोककर रखना एवं बजट की व्यवस्था नहीं करना यह विभाग (एनएचएम ) के लिए आम बात हो गयी है। निचले स्तर पर छोटे अधिकारियों के द्वारा भी कई जगह में आशाओं के प्रोत्साहन राशि को हड़पने और हजम करने की वारदातें होती रहती है। यह स्पष्ट है कि “प्रोत्साहन राशि के इस व्यवस्था को तोड़े बिना आशाओं को न्याय नहीं मिल सकती।” जिस वक्त में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की स्थापना हुई। उस समय सरकार ने यह तय किया था कि आशा को केवल और केवल प्रोत्साहन राशि ही देगी। लेकिन पूरे देश में लड़ – लड़ कर आशाओं ने अधिकांश राज्यों में मानदेय लागू कराया और देशभर में निश्चित प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था को भी लागू कराने में कामयाब रही। मध्य प्रदेश में जहां सरकार और विभाग पिछले 16 वर्षों में विभाग में कार्यरत 84,000 आशा, ऊषा एवं पर्यवेक्षकों की समस्याओं का निराकरण के लिए यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक भी ना कर पाए हो, ऐसे राज्य में आशाओं के समस्याओं का समाधान होना काफी कठिन है। यह बात अलग है कि सरकार दूसरे मजदूर संगठनों से भी कोई बात नहीं करता है। यह सरकार की विशेषता है। आज जब आशाएं संगठित होने और आंदोलन के दम पर ताकत भी बढने लगी है और सरकार इसे स्वीकार करने भी लगी है।उम्मीद है कि आने वाले दिन में परिस्थितियों को बदलने में प्रदेश की आशा उषा पर्यवेक्षक जरूर कामयाब होंगे। मंडला जिले की इस भ्रष्टाचार के खुलासे करने के लिए जिन साथियों ने भी प्रयास किया हो, उन्हें बहुत-बहुत बधाई। यही यात्रा जारी रहना चाहिए। जिला महासचिव निर्मला सिंह, जिला उपाध्यक्ष नाज़रीन बेगम, आसिया बानो सचिव- आशा संघ त्योथर, आशा ऊषा आशा सहयोगी एकता यूनियन सीटू जिला रीवा। (शफात मंसूरी, त्योंथर)

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