मजदूरी से बमुश्किल मिलती थी दो जून की रोटी, गरीबी को आंख दिखा बनी उद्द्यमी
रीवा, मप्र। कुसुमकली एवं उसका पति मिलजुलकर मेहनत मजदूरी करते थे। मजदूरी से दो जून की रोटी ही मिल पाती थी। गरीबी में जीवनयापन करना पड़ता था। वे अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के बारे में भी नहीं सोच पा रहे थे। विकासखण्ड जवा के ग्राम गढ़वा की कुसुम ने बताया कि इसी बीच म.प्र. … Read more