मजदूरी से बमुश्किल मिलती थी दो जून की रोटी, गरीबी को आंख दिखा बनी उद्द्यमी

रीवा, मप्र। कुसुमकली एवं उसका पति मिलजुलकर मेहनत मजदूरी करते थे। मजदूरी से दो जून की रोटी ही मिल पाती थी। गरीबी में जीवनयापन करना पड़ता था। वे अपने बच्चों की पढ़ाई लिखाई के बारे में भी नहीं सोच पा रहे थे। विकासखण्ड जवा के
ग्राम गढ़वा की कुसुम ने बताया कि इसी बीच म.प्र. डे-राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के माध्यम से स्वसहायता समूह
गठन की बात मालुम हुई और वह भी स्वसहायता समूह की सदस्य बन गई। तथा समूह की बैठक कर एक हजार रूपये
प्रतिमाह बचत करने लगी।

दुग्ध उत्पादन से कुसुमकली ने सवारा बच्चों का जीवन

कुसुम ने बताया कि उसने अपने समूह का नाम हरिओम स्वसहायता रखा। कुछ समय पश्चात उसे आरएफ राशि 13 हजार रूपये प्रदान किये गये। उसे सीआईएफ राशि 50 हजार रूपये प्रदान किये गये। इसके पश्चात उसने डेयरी एवं कृषि कार्य के लिये ऋण राशि ली। प्राप्त ऋण से भैंस खरीदकर दुग्ध उत्पादन करने लगी। उसकी डेयरी का दुग्ध हाथों हाथ बिकने लगा और अच्छी आय प्राप्त होने लगी। कुसुमकली ने बताया कि प्राप्त आय से उसकी बेटी का दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्या योजना में चयन हो गया। इसमें प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत बेटी की नौकरी लग गयी। बेटी ने अपने भाई को इंजीनियरिंग की पढ़ाई करायी। इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने के उपरांत कंपनी में भाई का चयन हो गया। कुसुमकली ने बताया कि दुग्ध उत्पादन से उसका एवं उसके बेटों का जीवन संवर गया।

ये कहानियाँ प्रशासन द्वारा जनहित में जारी करवाई जाती हैं ताकि इनसे आप भी सीख सकें और संवार सकें अपना आने वाला कल।

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
Email

Leave a Comment

ट्रेंडिंग खबर

ट्रेंडिंग खबर

today rashifal

हमसे जुड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है... पोर्टल पर आपके द्वारा डाली गयी खबर/वीडियो की सभी जानकारी घटनास्थल और घटना का समय सही और तथ्यपूर्ण है तथा घटना की खबर आपके क्षेत्र की है।अगर खबर में कोई जानकारी/बात झूठी या प्रोपेगेंडा के तहत पाई जाती है तो इसके लिए आप ही ज़िम्मेदार रहेंगे।