भागवत कथा : प्रसिद्ध भागवताचार्य अच्युत प्रपन्नाचार्य के मुखारबिंद से प्रवाहित हो रही अविरल मोक्षदायिनी सरिता
कहते हैं कोटि-कोटि जन्म लेने के बाद भी अंत काल में ईश्वर का नाम मुख पर नहीं आ पाता और व्यक्ति मोह माया के जंजाल में ही फंसा रहता है। श्री रामचरितमानस में एक चौपाई है जिसमें कहा गया है जन्म-जन्म मुनि जतन कराही अंत राम कह आवत नाही। अर्थात ज्ञानी बुद्धिजीवी लोग भी जन्म … Read more