कहते हैं कोटि-कोटि जन्म लेने के बाद भी अंत काल में ईश्वर का नाम मुख पर नहीं आ पाता और व्यक्ति मोह माया के जंजाल में ही फंसा रहता है। श्री रामचरितमानस में एक चौपाई है जिसमें कहा गया है जन्म-जन्म मुनि जतन कराही अंत राम कह आवत नाही। अर्थात ज्ञानी बुद्धिजीवी लोग भी जन्म जन्मांतर तक विभिन्न प्रकार से जतन करते रहते हैं लेकिन अंत में राम का नाम मुख से नहीं निकलता जिससे मोक्ष प्राप्त नहीं हो पाता। लेकिन कलयुग में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने जीवन काल में एक बार श्रीमद् भागवत कथा महापुराण का श्रवण कर लेता है वही संसार सागर से पार लग जाता है। कलयुग में ईश्वर के नाम को भी मोक्ष के लिए आधार बताया गया है। कहा गया है कि यदि मानसा कर्मणा वाचा से व्यक्ति ईश्वर के नाम का स्मरण करता रहे तो भी उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है।
गर्मी का दौर प्रारंभ हो चुका है और जगह-जगह विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे। इसी श्रृंखला में रीवा जिले के थाना गढ़ क्षेत्र अंतर्गत हिनौती गांव में डॉक्टर गौरी शंकर शुक्ला एवं श्रीमती बृहस्पति शुक्ला द्वारा श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण पान किया जा रहा है। प्राप्त जानकारी अनुसार कार्यक्रम 21 मई से लेकर 29 मई 2023 तक चलेगा। इस बीच सुबह के समय कार्यक्रम में परायण एवं मंत्रोच्चारण का कार्यक्रम रखा जाता है जबकि सायं काल 3:00 से लेकर 7:00 के बीच में प्रवचन का कार्य हो रहा है।
कार्यक्रम में भागवत कथा का प्रवचन करने के लिए वेदांत देशिक समाज से प्रसिद्ध भागवताचार्य अच्युत प्रपन्नाचार्य जी को आमंत्रित किया गया है जिनके मुखारविंद से अमृतमई मोक्षदायिनी पाप विनाशक श्रीमद् भागवत कथा का अविरल प्रवाह चल रहा है। जिसमें आसपास के दर्जनों ग्राम क्षेत्र के लोग पहुंचकर भागवत कथा का श्रवण पान कर रहे हैं। गौरतलब है कि डॉ गौरी शंकर शुक्ला इलाहाबाद में दुर्वासा आश्रम के प्रधानाचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए हैं जहां पर रहते हुए उन्होंने संस्कृत विद्यालय में अपनी अभूतपूर्व सेवाएं प्रदान की हुई है। डॉ गौरी शंकर शुक्ला व्याकरण और ज्योतिष के मर्मज्ञ माने जाते हैं। कर्मकांड में भी उन्हें विशेष महारत हासिल है जबकि स्वयं भी भागवत कथा का प्रवचन और परायण का कार्य करते हैं। भागवत आचार्य अच्युत प्रपन्नाचार्य ने बताया कि जीवन काल में एक बार श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण मानव को करना चाहिए और जिस प्रकार राजा परीक्षित भागवत कथा का श्रवण कर मृत्यु के भय से मुक्त होते हुए मोक्ष को प्राप्त किए धुंधकारी जिस प्रकार मोक्ष का जतन किया वैसे ही सभी व्यक्तियों को इस मृत्युलोक में एक बार भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। अच्युत प्रपन्नाचार्य ने अजामिल नामक भ्रष्ट और पतित ब्राह्मण की कथा भी सुनाई जिसमें बताया गया कि किस प्रकार अपने कर्मों के कारण पतित हुए ब्राह्मण को भी ईश्वर के नाम मात्र से मोक्ष प्राप्त हुआ।
कार्यक्रम का समापन 29 मई 2023 को हवन और विशाल भंडारे के साथ किया जाएगा जिसमें सभी भक्तों श्रद्धालुओं को सादर आमंत्रित किया गया है। ( शिवानन्द द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता )