रायपुर सोनौरी, ब्रह्मनन्द त्रिपाठी। किसान और जवान हमारे देश की रीढ़ की हड्डी माने जाते हैं। नेताओं के हर भाषण में किसान जरूर होता है लेकिन किसानों की समस्या को लेकर प्रशासनिक रवैया काफी ढुलमुल रहा है। आए दिन किसानों के साथ किसी ना किसी प्रकार की घटनाएं घटित होती रहती हैं पर उन पर ध्यान देने वाले ही अधिकांशतः किसानों का शोषण करते पाए जाते हैं।
ताजा मामला है त्यौंथर तहसील के पड़री सहकारी समिति का जहां के समिति प्रबंधक मुद्रिका शुक्ला ने कई किसानों का फर्जी कर्ज बना कर बड़ी राशि डकार ली है। मामला प्रकाश में आने पर जब जांच की गई तो पता चला की सैकड़ों किसानों के चेक बुक पर तो कम राशि है लेकिन कैश बुक पर ज्यादा राशि भर कर समिति प्रबंधक द्वारा निकाल ली गई है। जब किसानों ने प्रबंधक से मामले में जानकारी मांगी तो प्रबंधक द्वारा उन्हें डाटा फटकारा भी गया। कुछ गरीब किसानों ने तो ये भी बताया की पहले भी कई बार ऐसा कर चुके है। प्रबंधक जी जब बात करने जाओ तो बड़ी पहुँच होने के नाते डराते धमकाते भी हैं और शिकायत भी कर दो तो कोई फायदा नहीं सब मामला रफा दफा हो जाता है।
हालत ये है की ज्यादातर किसान खाद और ऋण कही और से ले लेते हैं लेकिन समिति की तरफ रुख करने से भी डरते हैं। पीड़ित गौरी शंकर पाल ग्राम बुदामा के एक छोटे से किसान हैं। जिनके द्वारा बताया गया की हमने बच्ची की शादी में सोसाइटी से कर्ज लिया था जिसको निकालने के लिए भी प्रबंधक जी द्वारा एक हजार की राशि शेयर बता कर ली गई थी और मैने एक बोरी डीएपी और पांच बोरी सुपर फास्फेट खाद ली थी जिसका अधिकतम से अधिकतम शुल्क तीन हजार होना चाहिए था लेकिन मुझ पर खाद का 19000 रुपए ऋण प्रबंधक जी द्वारा जबरन चढाया गया है। पीड़ित किसानों में लक्ष्मी नारायण पाल ग्राम बुदामा, त्रिलोक पयासी बुदामा, अनंत तिवारी झुरहवा, बद्री प्रपन्न तिवारी जुरहवा समेत ऐसे ही सैकड़ों किसान होंगे जो समिति प्रबधक पड़री के फर्जी कर्ज के तले दबे हुए हैं और और उनको बचाने वाला कोई नहीं है।
इस पूरे मामले में एक जांच कमेटी भी गठित की गई है जो भरतलाल भुरतिया, रायपुर समिति प्रबंधक हैं। उनके द्वारा जाँच करने की जानकारी मिली है। जब भरतलाल जी से मामले की जानकारी मांगी गई तो उन्होंने बात को टालते हुए कहा की अभी पर्याप्त सबूत नहीं है मैं बाद में आपको बताता हूं और फिर फोन उठाना भी बंद कर दिया गया। जब मामले में समिति प्रबधक पड़री से बातचीत की गई तो पहले तो उन्होंने मामले को झूठा बताया फिर बाद में खुद फोन कर धमकी भरे लहजे में कहा की मुझे आपके द्वारा की गई शिकायतों से कोई डर नहीं ऐसी शिकायते होती रहती हैं। मैं सबको मैनेज करके चलता हूं, ये कोई नई बात नहीं है मेरे लिए। अब जब समिति प्रबंधक के द्वारा ऐसा कहा गया तो बात की गंभीरता को पता लगाने का प्रयास किया गया तो बात निकल कर सामने आई की पहले भी कई शिकायते और जांचे प्रबंधक महोदय की हो चुकी है पर ले दे कर मामला सुलझा दिया जाता था। सूत्रों की माने तो चाकघाट समिति बैंक के मैनेजर द्वारा इस बार भी कुछ ले दे कर मामले को दबाने की कोशिश जारी है। अब अगर ऐसा ही चलता रहा तो समिति प्रबंधकों के इस जाल से किसानों का बचना असंभव है।
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हालाँकि रायपुर समिति प्रबंधक भरतलाल भुरतिया खुद एक मामले में आरोपी बनाये गए थे। उनपर किसान नेता द्वारा नियम विरुद्ध अपने ही घर के सदस्य को दो अलग – अलग पदों पर नियुक्ति का आरोप लगाया गया था। अब ऐसे में जाँच में कितनी पारदर्शिता होगी इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। मामले में पीड़ित किसानों ने जिला कलेक्टर महोदया से ये निवेदन किया है की मामले की जांच कर समिति प्रबंधक के खिलाफ कठोर कार्यवाही कर इन्हे पद से वंचित करें ताकि किसानों के साथ ऐसा अन्याय दुबारा ना हो।
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