मिशन अमृत सरोवर का उद्देश्य देश के हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों का निर्माण करना है। प्रत्येक अमृत सरोवर का तालाब न्यूतम एक एकड़ (0.4 हेक्टेयर) होगा , जिसमें लगभग दस हज़ार घन मीटर की जल धारण क्षमता होनी चाहिए।
पानी सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। यह प्रकृति की ओर से संपूर्ण मानव जाति के लिए एक अमूल्य उपहार है। पृथ्वी का दो-तिहाई भाग जल से आच्छादित है, परन्तु उपलब्ध जल का दो से तीन प्रतिशत ही उपयोग योग्य है। आज भारत सहित विश्व के अनेक देश भीषण जल संकट से जूझ रहे हैं। इसी समस्या को समझते हुए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदीजी ने देश के प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर (तालाब) बनाने का आह्वान किया है। अमृत सरोवर सतह और जमीन दोनों पर पानी की उपलब्धता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। अमृत सरोवर का विकास रचनात्मक कार्यों का एक उपयुक्त प्रतीक भी है, जो आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर देश को समर्पित है, जो औपनिवेशिक शासन से आजादी के 75 साल पूरे होने का प्रतीक है, जो टिकाऊ और दीर्घकालिक उत्पादक संपत्ति बनाता है, दोनों संवेदनशील प्राणियों के लिए फायदेमंद और पर्यावरण।
आजादी के 75वें वर्ष में, ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के एक भाग के रूप में, माननीय प्रधानमंत्री ने 24 अप्रैल, 2022 को देश भर के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों के निर्माण/कायाकल्प के लक्ष्य के साथ मिशन अमृत सरोवर का शुभारंभ किया है। इसका उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को दूर करना है। 50,000 अमृत सरोवरों के निर्माण का लक्ष्य 15 अगस्त, 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। 11 महीने की छोटी अवधि के भीतर, अब तक 40,000 से अधिक अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है, जो कुल लक्ष्य का 80% है।
मिशन के प्रयासों को पूरा करने के लिए नागरिक और गैर-सरकारी संसाधनों को जुटाने को प्रोत्साहित करता है। इसे 6 मंत्रालयों/विभागों के साथ समग्र सरकारी दृष्टिकोण के साथ आरंभ किया गया है।
उनमें शामिल हैं –
- ग्रामीण विकास विभाग
- भूमि संसाधन विभाग
- पेयजल एवं स्वच्छता विभाग
- जल संसाधन विभाग
- पंचायती राज मंत्रालय
- वन, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय
भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) मिशन के लिए तकनीकी भागीदार
भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू-सूचना विज्ञान संस्थान (बीआईएसएजी-एन) मिशन के लिए तकनीकी भागीदार हैं। मिशन राज्यों और जिलों के माध्यम से विभिन्न योजनाओं जैसे मनरेगा, 15वें वित्त आयोग अनुदान, पीएमकेएसवाई उप योजनाओं जैसे जलसंभर विकास घटक, हर खेत को पानी के अलावा राज्यों की अपनी योजनाओं पर फिर से ध्यान केंद्रित करके काम करता है। मिशन में स्थानीय स्वतंत्रता सेनानी, उनके परिवार के सदस्य, शहीद के परिवार के सदस्य, पद्म पुरस्कार विजेता और स्थानीय क्षेत्र के नागरिकों को शामिल किया जाएगा, जिसमें सभी चरणों में अमृत सरोवर का निर्माण किया जाना है। इस प्रकार, मिशन में लोगों की भागीदारी केंद्र बिंदु है।
मिशन अमृत सरोवर को 15 अगस्त 2023 तक पूरा किया जाना है । प्रत्येक 15 अगस्त को हरेक अमृत सरोवर स्थल पर राष्ट्रीय ध्वजारोहण का आयोजन किया जाएगा।
मिशन अमृत सरोवर के संभावित लाभ –
- जल संरक्षण और सूखे जैसी स्थिति से लड़ने में मदद मिलेगी
- ये झीलें बाढ़ को नियंत्रित करने में मदद करेंगी
- भूजल पुनर्भरण
- क्षेत्र में मृदा स्वास्थ्य का रखरखाव
- एनएचएआई द्वारा कार्यान्वित की जा रही परियोजनाओं की आवश्यकताओं को पूरा करेगा।
- स्थानीय लोगों और पर्यटकों के लिए आकर्षण और सांस्कृतिक और धार्मिक उद्देश्यों की पूर्ति कर सकते हैं
- मत्स्य पालन क्षेत्र को बढ़ावा दे सकता है
- पक्षियों का अनुकूल स्थल- स्थानीय और प्रवासी दोनों आदि
एक नज़र
सरकारी योजनाओं में चल रही बंदरबांट से नाकारा नहीं जा सकता है। ऐसे में अमृत सरोवर जैसे बड़े प्रोजेक्ट का सही से क्रियान्वन आसान नहीं है। अमृत सरोवर निर्माण में मापदंडों का ध्यान रखना आसान नहीं है। खास कर ऐसे क्षेत्रों में जहाँ अधिकारीयों की पहुँच थोड़ा कम हो। शुरू से ही अमृत सरोवर में की जा रही गड़बड़ी को लेकर खबरों ने जोर पकड़ा हुआ है। बावजूद अभी भी कोई नियंत्रण दिखाई नहीं दे रहा है।