ब्रहमानंद त्रिपाठी, सोनौरी। झोलाछाप डॉक्टरों के इलाज़ के बाद मरीज के मौत का मामला लगातार बढ़ता जा रहा है लेकिन शासन – प्रशासन द्वारा कार्यवाही न होने से झोलाछाप डॉक्टरों में निरंतर बढ़ोत्तरी भी देखने को मिल रही। मिली जानकारी के मुताबिक अवैध रूप से चल रहे अस्पताल मरीजों के जीवन से खिलवाड़ करते हैं। कई बार तो मरीज की स्थिति इतनी खराब हो जाती है कि उसे प्रयागराज, लखनऊ लेकर भागना पड़ता है। अकेले रायपुर सोनौरी क्षेत्र में महीने भर के अंदर झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से तीन लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन एक पर भी कार्यवाही नहीं होती दिख रही।
ताजा मामला सोहागी थाना क्षेत्र के सोनौरी चौकी का है। सूत्रों द्वारा बताया गया कि मृतक चंद्रहास सिंह का इलाज सोनौरी के ही तथाकथित डॉक्टर के यहां शुरू किया गया लेकिन हालात लगातार बिगड़ती गई। इतना ही नहीं मृतक चंद्रहास सिंह के पुत्र राज सिंह का भी इलाज उसी डॉक्टर के यहां चल रहा था, जिसकी हालत नाजुक होने की वजह से परिजनों द्वारा प्रयागराज – लखनऊ के बड़े अस्पताल के लिए भागना पड़ रहा है।
ताजा मामले की बात करें तो कल दो व्यक्तियों की जान गई झोलाछाप डॉक्टर की लापरवाही से और एक व्यक्ति जिंदगी और मौत से वेंटीलेटर पर लड़ रहा है जिसके बचने की उम्मीद भी ना के बराबर है। परिजनों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक रायपुर निवासी चंद्रहास सिंह और उनके पुत्र को कुछ दिन पहले बुखार आया जिनको दिखाने सोनौरी के स्वघोषित डाक्टर जीतलाल साहू के पास पहुंचे। डाक्टर द्वारा उन्हें पूर्ण ठीक करने कि जिम्मेदारी लेकर दवाइयां शुरू कर दी गई लेकिन 2 दिन बीत जाने पर भी जब तबियत और बिगड़ने लगी तो परिवार वालों ने प्रयाग ले जाने का फैसला लिया और प्रयाग के एक्यूरा अस्पताल में भर्ती करवाया। जहां के डाक्टरों द्वारा कई प्रकार की जांच कर बताया गया की इन्हे डेंगू बुखार और मलेरिया की दवाई खाने की वजह से इंटिरियल आर्गन डैमेज हो गए है और कल बीती रात को चंद्रहास सिंह उम्र 52 वर्ष की मृत्यु हो गई जबकि बेटा राज सिंह, उम्र 12 साल अभी भी जिंदगी और मौत से जूझ रहा है। परिवार वालों ने झोलाछाप डाक्टर जीतलाल साहू के खिलाफ रिपोर्ट करने की बात भी कही है।
दूसरा मामला सोनौरी के ढेरा डीह का है। जहां के 42 वर्षीय महात्मा पुरी की तबियत भी बीते पांच दिन पहले बिगड़ गई थी। महात्मा पुरी गांव के ही पुस्पेंद्र गोस्वामी से शुरुआती दवाई ली और घर चले गए रात में तबियत और बिगड़ने पर गांव के ही दूसरे झोलाछाप रमाशंकर कुशवाहा के यहां दिखाने पहुंचे डाक्टर द्वारा उनका इलाज किया गया जहा से सुबह महात्मा पुरी अपने घर आ गए लेकिन दोपहर में असहनीय पीड़ा से ग्रसित महात्मा पुरी बेहोश हो गए। अब क्योंकि ढेरा डीह गांव तक कोई पहुंच मार्ग नहीं है बल्कि पैदल आने जाने के रास्ते भी बाधित है। शाम तक हालत में कोई सुधार ना देख कर गांव वालों ने उन्हें खटिया पे लाद कर जमीन मालिकों से बाड़ा खुलवाने की गुजारिश कर किसी तरह उन्हें सोनोरी मुख्य मार्ग तक लाए और प्रयागराज के स्वरूप रानी अस्पताल में एडमिट करवा दिया। परिजनों द्वारा आगे बताया गया कि स्वरूप रानी के डाक्टरों ने उन्हें देख कर बताया की ये आधे एक घंटे से ज्यादा वक़्त नहीं है इनके पास साथ ही बताया की गलत प्राथमिक इलाज के कारण ही इनकी ये हालत हुई है। परिवार वालों ने उम्मीद नहीं छोड़ी लेकिन महात्मा पुरी कल बीते दिनांक को दोपहर तकीरबन 12 बजे काल के गाल में समा गए। इस पूरे घटना की जानकारी जब बीएमओ त्यौंथर को दी गई तो उन्होंने पीड़ित से आवेदन दिलवाने की और जांच करने की बात कही। वही जब आरोपी डाक्टरों से इस विषय में बात की गई तो तीनों डाक्टरों ने किसी भी प्रकार के इलाज ना करने की बात कही
बल्कि यहाँ तक भी कहा की हम तो मरीज को जानते भी नहीं हैं।
ऐसे में सवाल ये उठता है की जब प्रदेश के मुखिया डॉक्टर मोहन यादव ने अवैध क्लीनिक और फर्जी डाक्टरों को चिन्हित कर कार्यवाही करने के आदेश पहले ही दे दिए थे तो आज तक इनकी जांच क्यों नहीं हुई। किसी के मौत के बाद खण्ड चिकित्सा अधिकारी त्योंथर लिखित में शिकायत क्यों मांग रहे ? इन दोनो मौतों का असल जिम्मेदार कौन है वो झोलाछाप डाक्टर या जिम्मेदार अधिकारी ? क्योंकि सूत्रों की माने तो खण्ड चिकित्सा अधिकारी त्योंथर (बीएमओ) ने औचक निरीक्षण तो कई क्लीनिक और डाक्टरों का लिया लेकिन फिर भी कार्यवाही किसी पे ना होना और इन झोलाछाप डाक्टरों के हौसले बुलंद होना कही ना कही अनैतिक लेन देन की ओर इशारा करते हैं।
महीने भर में चार कि मौत
हाल ही में चौरा गांव के एक मासूम की जान भी दो झोलाछाप डाक्टर जय साहू और वी के गुप्ता की वजह से गई लेकिन बीएमओ द्वारा कोई कार्यवाही ना करना कही ना कही साबित करता है की बीएमओ त्यौंथर फर्जी डाक्टरों और अवैध क्लीनिक संचालकों को संरक्षण देने का कार्य किया जाता है। मिली जानकारी के मुताबिक अकेले रायपुर – सोनौरी क्षेत्र में अब तक चार लोगों कि मौत झोलाछाप डॉक्टर, अवैध क्लीनिकों कि वजह से हो चुकी है और एक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है।