राष्ट्रीय फाईलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम अंतर्गत फरवरी माह में जिले के पाँच ब्लाक जवा, त्योंथर, सिरमौर, नईगढी और हनुमना में मॉस ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम चलाया गया था। जिसमें फाईलेरिया रोधी दवा डी.ई.सी., एल्वेन्डाजोल व आइबरमैक्टीन की दवा का सेवन सभी पात्र लक्षित जनसंख्या को कराया गया था। शासन के निर्देशानुसार इन्हीं ब्लाकों में पुन: माइक्रो फाईलेरिया संक्रमण स्तर की जॉच के लिए नाइट ब्लड सर्वे की गतिविधि की जाएगी। इसके अंतर्गत प्रत्येक ब्लाक में एक सेंटीनल साइट व एक रैण्डम साइट का चयन करते हुए 20 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों की रात्रि 8 से 12 बजे के दौरान रक्त पट्टी बनाया जाना है। प्रत्येक साइट में 300 रक्त पट्टिया बनाई जानी है।
नैट ब्लड सर्वे की गतिविधि सिरमौर के बैकुंठपुर एवं सेमरिया, जवा के चौखंडी एवं डभौरा, त्योंथर के चिल्ला एवं मनिका, हनुमना के दामोदरगढ़ एवं बहुती और नईगढ़ी के नईगढ़ी एवं पथरौड़ा में की जाएगी। फाईलेरिया परजीवी कृमि द्वारा होने वाला संक्रमक रोग है जो कि क्यूलेक्स मच्छरों के काटने से फैलता है। जिसे हाथीपांव के नाम से जाना जाता है। पैसे व हाथों में सूजन (हाथीपॉव) और हाईड्रोसिल (अण्डकोष का सूजन) फाईलेरिया के लक्षणों में शामिल हैं। एक स्वस्थ और सामान्य से दिखने वाले व्यक्ति में भी फाईलेरिया के परजीवी हो सकते हैं। किसी भी व्यक्ति को संक्रमण के पश्चात बीमारी होने में 5 से 15 वर्ष तक लग सकते है। संकमित मच्छर स्वस्थ व्यक्ति को काटकर संकमित कर देते है। फाईलेरिया बीमारी विकलांगता और विरूपता बढ़ती है। इससे बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी लगाए। पूरी बाह के कपड़े पहने। खिड़की दरवाजों में मच्छररोधी जाली लगाएं। मच्छरों के लावों को पनपने न दें। अपने आसपास साफ- सफाई रखे, पानी का जमाव न होने दें।