मयंक के माता-पिता शुक्रवार से ही बोरवेल के पास बैठे उसके बाहर आने का इंतजार कर रहे थे और अब जबकि मयंक बाहर आ गया है तो सबकी सांसे थम गई है। कई रिश्तेदार और गांववाले भी मौके पर मौजूद हैं। सुरंग खुदाई की जगह पर दोबारा पानी निकल आया था जिसकी वजह से बचाव कार्य में लेट लतीफ़ी हुई थी।
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एक नज़र
मयंक आदिवासी शुक्रवार दोपहर तकरीबन 3.30 बजे से 4 बजे के बीच बोरवेल में गिरा था। ग्रामीणों ने अपने स्तर पर तुरंत रेस्क्यू शुरू कर दिया था। सूचना मिलते ही NDRF और SDERF की टीमें मौके पर पहुंचीं। वे सुरंग बनाकर बच्चे तक पहुंचने की कोशिश में जुटी रहीं लेकिन लंबा समय लग गया। इस दौरान मयंक बोरवेल के अंदर ही संघर्ष करता रहा। ‘मयंक’ को बाहर निकाल लिया गया है और एम्बुलेंस से सीधे नज़दीकी अस्पताल भेज दिया गया है। अब मेडिकल रिपोर्ट्स पर ही लोगों की उम्मीदें टिकी हैं।