खरीदी केंद्रों में जांच के नाम पर वसूली तो उद्देश्य नहीं ?

ब्रह्मानंद त्रिपाठी, चाकघाट। शासन द्वारा विगत वर्षों की तरह इस वर्ष भी किसानों से धान उपार्जन के लिए जनपद त्यौंथर में कई खरीदी केन्द्र बनायें गये थे लेकिन कुछ दिनों पहले ही किसानों के हित में केन्द्रों का इज़ाफा किया गया है। जिसके बाद काफी तेज़ी से खरीदी केन्द्रों में किसानों की धान खरीदी जा रही है। किसानों के लिए इस समय सबसे बड़ी समस्या स्लॉट बुकिंग है, जिसके पीछे की वजह खरीदी केन्द्रों की निर्धारित क्षमता और तय समय तक सब भरा स्लॉट बताया गया। जिसके लिए समय रहते शासन – प्रशासन को उचित दिशा – निर्देश तय करने होंगे अन्यथा कई किसानों के लिए उपार्जन संभव नहीं हो पायेगा। कई किसानों से मिलने पर कई और समस्यायें निकल कर सामने आई। जैसे सर्वर नहीं मिल रहा, बारदाना कम पड़ रहा, बिजली की असामयिक कटौती से कांटा चार्ज नहीं हो पाता, तौलाई – उतरवाई के लिए मजदूर कम पड़ रहे, आदि – आदि। साथ ही कुछ जगहों पर दबी जुबान में प्रभारी – कर्मचारी चल रही निराधार खबरों से परेशान भी दिखें। उनका कहना था, साहब जांच के नाम पर कुछ लोग बिना किसी आधार या सबूत के ही खरीदी केन्द्रों के नाम पर खबरें चलाते हैं और जांच के नाम पर परेशान करते हैं। अब ऐसे में सवाल उठता है कि खुद को किसान हितैसी बताने वाले लोग जब खरीदी केन्द्रों का भ्रमण करते हैं तो मौजूदा केंद्र से ही संबंधित अधिकारियों या जिले के बड़े अधिकारियों को सूचना और अनियमितता से अवगत कराने के बजाय समिति प्रबंधक, प्रभारी या कर्मचारी के पीछे – पीछे क्यों घूमते हैं?

एक नज़र
हाल ही में ढखरा खरीदी केन्द्र का तौलाई को लेकर एक वीडियो वायरल हुआ था जिस पर कोई कार्यवाई या प्रकरण दर्ज या शासन – प्रशासन की ओर से जांच देखने – सुनने को नहीं मिली। इस वायरल वीडियो के बाद कोई और वीडियो हमारे संज्ञान में नहीं आया। अब सवाल यह उठता है कि बिना तथ्यों को जांचे – परखे खबरों को व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक और फिर प्रसारण के लिए क्यों भेजा जा रहा और इनके पीछे का उद्देश्य क्या है?

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