सिरमौर। एक तरफ जंगल विभाग में अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, वृक्षारोपण में भ्रष्टाचार, जंगली जानवरों का अवैध तरीके से शिकार किए जाने जैसे मामले लगभग आए दिन देखने को मिलते हैं। और इन सब पर जंगल विभाग अपनी मौन साधना किए बैठा रहता है। अपनी स्वयं की जमीन और वन्यजीवों की रक्षा वन विभाग कर पाने में असमर्थ है परंतु यदि मामला जंगल विभाग से सटे हुए किसी किसान की निजी जमीन का हो तो उसमें आए दिन आपत्तियां सुनने को मिलती रहती है।
अभी हाल ही में एक ऐसा ही मामला सिरमौर वन परीक्षेत्र के पनगड़ी एवं काकर बीट के पास गदही नामक क्षेत्र में देखने को मिला है। जहां पुश्तैनी कृषक राजमणि सिंह पिता स्वर्गीय विजय बहादुर सिंह निवासी सेदहा की निजी आराजी में बोई हुई सरसों की फसल को काटने के लिए वन विभाग आपत्ति कर रहा है। प्राप्त जानकारी अनुसार राजमणि सिंह के पिता स्वर्गीय विजय बहादुर सिंह के नाम पर सिविल न्यायालय का आदेश सुरक्षित है। जिसमें सीमांकन और नक्शा बनाया जाकर जंगल विभाग की खखरी के पूर्व दिशा में उनकी आराजी नंबर 28 का होना बताया गया था। न्यायालय के आदेश में इस बात का भी उल्लेख था कि यदि जंगल विभाग को किसी प्रकार की आपत्ति हो तो 90 दिवस के अंदर अपील किए जाने का भी प्रावधान था। परंतु न तो जंगल विभाग के द्वारा अपील की गई और न ही किसी प्रकार की आपत्ति की गई। इस प्रकार अपनी जमीन पर कई दशक से काबिज राजमणि सिंह सरसों की फसल लगभग 13 एकड़ के रकबे में बुवाई किए तो अब जंगल विभाग उसे काटने में आपत्ति कर रहा है। इस पर राजमणि सिंह और उनके पुत्र अरुण सिंह का कहना है कि जंगल विभाग द्वारा किया जाने वाला यह कृत्य अनैतिक है और उन्होंने जो अपनी बाउंड्री और खखरी लगाई हुई है और जहां पर सिविल न्यायालय के आदेश के बाद सीमांकन और नक्शा तरमीन किया गया था वहीं पर वह काबिज हैं और यदि जंगल विभाग को आपत्ति है तो पुनः उसका सीमांकन करवा लें लेकिन उनकी बोई हुई लाखों की फसल को काटने में आपत्ति करना सिविल न्यायालय के द्वारा दिए गए आदेश की अवमानना किया जाना है। जिसके विषय में वह कोर्ट की तरफ जाने का विचार कर रहे है।
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