कर्ज के बोझ तले दबी मोहन सरकार : 3.5 लाख करोड़ का कर्ज विरासत में, योजनाओं के लिए राशि का इंतजाम चुनौती से कम नहीं

Jमध्‍य प्रदेश सरकार 3.80 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दबी है फिर लेने जा रही पांच हजार करोड़ का ऋण। मप्र सरकार एक बार फिर पांच हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है। यावत् जीवेत सुखं जीवेत, ऋणं कृत्वा घृतं पीबेत अर्थात: जब तक जियो, मौज से जियो और घी पियो (मौज-मस्ती करो) भले ही उसके लिए तुम्हें ऋण लेना पड़े। यह बात इन दिनों हमारे मध्‍य प्रदेश की सरकार पर पूरी तरह से फिट बैठ रही है। पहले से ही करीब 3.80 लाख करोड़ रुपये के कर्ज के बोझ तले दबी मप्र सरकार एक बार फिर पांच हजार करोड़ रुपये का कर्ज लेने जा रही है।

अगस्त में यह इस वित्तीय वर्ष का दूसरा कर्ज होगा
अगस्त में यह इस वित्तीय वर्ष का दूसरा कर्ज होगा। मध्य प्रदेश सरकार पर इस वित्तीय वर्ष में चार लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज हो जाएगा। इसी के साथ मध्य प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति भी 50 हजार रुपये से अधिक का कर्जदार हो जाएगा। मध्य प्रदेश के कुल बजट की बात करें तो 3.65 लाख करोड़ रुपये का बजट है, लेकिन इससे अधिक मध्य प्रदेश सरकार पर कर्ज है।

मध्य प्रदेश अब बीमारू राज्य के तमगे से बाहर आ चुका है
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि मध्य प्रदेश अब बीमारू राज्य के तमगे से बाहर आ चुका है, इसका दूसरा पहलू यह है कि यह तमगा हमें कर्ज की नींव पर मिला है। चुनाव से कुछ समय पहले ही लागू की गई योजनाओं और वादों को निभाने के कठिन कार्य को पूरा करने में जुटी प्रदेश की मोहन यादव सरकार बाजार से कर्ज लगातार कर्ज ले रही है।

मोहन यादव सरकार को 3.5 लाख करोड़ का कर्ज विरासत में मिला
पिछले साल नवंबर में विधानसभा चुनाव के बाद बनी मोहन यादव सरकार को 3.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज विरासत में मिला था। मप्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में 42,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था, जिसमें से मोहन यादव सरकार ने 1 जनवरी 2024 से 31 मार्च के बीच सिर्फ तीन महीनों में ही 17,500 करोड़ रुपए लगभग 41 फीसदी कर्ज लिया था।

अब प्रदेश सरकार कर्ज की सीमा में गले तक डूब चुकी
मध्य प्रदेश सरकार को मुफ्त वाली योजनाएं भारी पड़ रही हैं। आर्थिक मामलों के जानकार कहते हैं कि ‘कर्ज लेकर घी पीने की प्रवृत्ति’ घातक साबित हो सकती है। मध्य प्रदेश में भले खुद सरकार यह ‘घी’ नहीं पी रही हो, लेकिन वह मुफ्त की रेवड़ी बांटकर लोगों को ‘घी’ पिला रही है। यही कारण है कि अब प्रदेश सरकार कर्ज की सीमा में गले तक डूब चुकी है। यह बात भी सही है कि प्रदेश में जारी बड़ी विकास योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कर्ज का सहारा लेने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं है।

भारी-भरकम राशि का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं
बीते एक दशक में सरकार ने प्रदेश के मतदाताओं के लिए बिजली पर अनुदान, कृषि के लिए अनुदान, विद्यार्थियों के लिए लैपटाप और स्कूटी, लाड़ली बहना योजना जैसी दर्जनों योजनाएं संचालित कीं। प्रदेश की जनता इससे लाभान्वित तो हो रही है, लेकिन इसके लिए भारी-भरकम राशि का इंतजाम करना किसी चुनौती से कम नहीं है।

योजनाओं के लिए राशि का इंतजाम करना सरकार को भारी
कर्ज लेकर किसी तरह इन योजनाओं को संचालित किया जा रहा है, लेकिन अब इन योजनाओं के लिए राशि का इंतजाम करना सरकार को भारी पड़ने लगा है। अपने वादों को पूरा करने के लिए व्यय और आय के बढ़ते अंतर को कम करना बेहद आवश्यक है। इसके लिए सरकार को आय के नए साधन खोजना होंगे। मुश्किल यहां भी यही होगी कि सरकार को आय बढोतरी के लिए विविध टैक्स बढ़ाने के विकल्प से बचना होगा।

जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा
प्रदेश में संपन्न हुए पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा और कांग्रेस ने घोषणाओं की बाढ़ ला दी थी। दोनों दलों को इस बात की जानकारी थी कि मध्य प्रदेश की आर्थिक स्थिति क्या है और यहां के हर व्यक्ति पर करीब 40 हजार रुपये का कर्ज है, लेकिन बावजूद इसके घोषणा-पत्रों से लेकर सभाओं तक में नई योजनाओं को लेकर वादे कर दिए गए थे। अब इन वादों को पूरा करना बड़ी चुनौती है। घोषणाओं को पूरा करना भी सरकार के लिए जरूरी है क्योंकि कहीं न कही इन्हीं से प्रभावित होकर जनता ने उन्हें वोट दिया है।

फिजूलखर्ची रोकना बहुत जरूरी
विकास कार्यों, वेतन भत्तों, सरकारी योजनाओं पर खर्च होना सामान्य बात है, पर अपने फिजूलखर्च पर भी रोक लगाना चाहिए। जनता के टैक्स की राशि का कहां और कैसे इस्तेमाल हो, इस पर विचार करना अति आवश्यक है। 10 जुलाई को मप्र सरकार ने राज्य के लिए 230 करोड़ रुपये से अधिक की लागत का जेट विमान खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। अगले कुछ महीनों में मंत्रियों के बंगलों के रिनोवेशन पर कम से कम 18 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। मई में सरकार ने मंत्रियों के लिए करीब पांच करोड़ रुपये की एसयूवी खरीदने का आर्डर दिया था।

इन योजनाओं पर हो रहा बड़ा खर्च

  • लाड़ली बहना योजना में करीब एक करोड़ 30 लाख महिलाओं को हर महीने 1250 रुपए दिए जा रहे हैं। इस योजना पर हर साल 16 हजार करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।
  • सरकार प्रदेश के उन नागरिकों को 100 रुपए में हर महीने बिजली दे रही है, जो हर महीने 100 यूनिट तक बिजली खपत करते हैं। योजना पर 5500 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं।
  • सरकार कृषि उपकरणों पर भी किसानों को सबसिडी देती है। इस योजना पर हर साल 17 हजार करोड़ खर्च होते हैं।
  • 450 रुपये में गैस सिलेंडर देने की योजना पर हर साल एक हजार करोड़ रुपये खर्च होते हैं।
  • 65 हजार करोड़ रुपये तक कर्ज ले सकती है सरकार वर्ष 2024-25 में
  • 42,500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया था मप्र सरकार ने पिछले वित्त वर्ष में
  • 50 हजार रुपये का कर्ज हो जाएगा मप्र के हर व्यक्ति पर 2025 तक
  • 1600 करोड़ की जरूरत होती है लाड़ली बहना योजना में हर महीने

सरकार ने कब-कब लिया कर्ज

  • 25 जनवरी 2023- 2000 करोड़
  • 02 फरवरी 2023- 3000 करोड़
  • 09 फरवरी 2023- 3000 करोड़
  • 16 फरवरी 2023- 3000 करोड़
  • 23 फरवरी 2023- 3000 करोड़
  • 02 मार्च 2023- 3000 करोड़
  • 09 मार्च 2023- 2000 करोड़
  • 17 मार्च 2023- 4000 करोड़
  • 24 मार्च 2023- 1000 करोड़
  • 29 मई 2023- 2000 करोड़
  • 14 जून 2023- 4000 करोड़
  • 12 सितंबर 2023- 1000 करोड़
  • 27 दिसंबर 2023- 2000 करोड़
  • 23 जनवरी 2024- 2500 करोड़
  • 7 फरवरी 2024- 3000 करोड़
  • 22 मार्च 2024- 5000 करोड़
  • 6-7 अगस्त 2024 – 5000 करोड़

नोट : यह वायरल खबर है, विंध्य अलर्ट इस खबर की पूर्ण रूपेण पुस्टि नहीं करता है

Facebook
Twitter
WhatsApp
Telegram
Email

Leave a Comment

ट्रेंडिंग खबर

ट्रेंडिंग खबर

today rashifal

हमसे जुड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है... पोर्टल पर आपके द्वारा डाली गयी खबर/वीडियो की सभी जानकारी घटनास्थल और घटना का समय सही और तथ्यपूर्ण है तथा घटना की खबर आपके क्षेत्र की है।अगर खबर में कोई जानकारी/बात झूठी या प्रोपेगेंडा के तहत पाई जाती है तो इसके लिए आप ही ज़िम्मेदार रहेंगे।