शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्त्ता। सत्ताधारी पार्टी के विधायकों और नेताओं का घमंड इस कदर हावी है की जिस जनता ने उन्हें चुनकर विकास और सेवा के लिए भेजा है उसी जनता को बर्बाद करने में तुले हुए हैं। ताजा उदाहरण गंगेव जनपद और सिरमौर विधानसभा क्षेत्र की चौरी पंचायत का है जहाँ निवर्तमान भाजपा विधायक और प्रत्यासी दिव्यराज सिंह ने भ्रष्टाचार में डूबे सरपंच सचिव को बचाने का पुरजोर प्रयास किया लेकिन सब हथकंडों के बाद भी सच्चाई को दबा नहीं पाए और सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी की शिकायत और पैरवी के बाद 43 लाख रूपये से अधिक की वसूली की नोटिस जारी की गयी है। गौरतलब है की अभी भी कई बिन्दुओं की जांचे बांकी है जहाँ और भी लाखों की रिकवरी बनाई जा सकती है।
चौरी में अब तक कुल 17 बिन्दुओं पर 43 लाख से अधिक की होगी वसूली
कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 01 रीवा के पत्र क्रमांक 405/शिका./ग्रा.यां.से./2023 रीवा दिनांक 14/08/2023 के अनुसार कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान द्वारा 17 बिन्दुओं की जाँच उपरांत अपना जो अंतिम प्रतिवेदन पंचायत राज अधिनियम की धारा 89 की सुनवाई में सीईओ जिला पंचायत रीवा संजय सौरभ सोनवणे के समक्ष प्रस्तुत किया गया है उसमें कुल 43 लाख 5 हजार 6 रुपये की अंतिम वसूली प्रस्तावित की गयी है। लेकिन जहाँ 14 अगस्त को अंतिम वसूली प्रतिवेदन भेजा जा चुका है है वहीँ लगभग 3 माह का समय पूरा होने वाला है और सीईओ जिला पंचायत द्वारा धारा 89 का आदेश जारी न किया जाना भ्रष्टाचार के मामलों पर अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्न भी खड़ा करता है।
कुल 8 जिमेदारों से होगी वसूली की कार्यवाही, दर्ज होगी एफआईआर
धारा 89 की सुनवाई के दौरान ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग क्रमांक 01 रीवा के कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्द्वान द्वारा दिए गए अपने अंतिम जाँच प्रतिवेदन में कुल 08 जिम्मेदारों के विरुद्ध 43 लाख से अधिक वसूली और अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की गयी है. जिन जिम्मेदारों पर गाज गिरेगी उनमें से तत्कालीन चौरी सरपंच सविता जैसवाल से 17 लाख 29 हजार 859 रूपये, तत्कालीन सचिव बुद्धसेन कोल से से 5 लाख 60 हजार 852 रूपये, ग्राम रोजगार सहायक एवं तत्कालीन प्रभारी सचिव श्रीमती आरती त्रिपाठी से 8 लाख 45 हजार 550 रूपये, तत्कालीन सचिव सुनील गुप्ता से 3 लाख 23 हजार 457 रूपये, तत्कालीन सहायक यंत्री अनिल सिंह से 2 लाख 73 हजार 457 रूपये, तत्कालीन और बर्खास्त उपयंत्री अजय तिवारी से 2 लाख 73 हजार 457 रूपये, तत्कालीन सहायक लेखाधिकारी बसंत पटेल से 1 लाख 49 हजार 207 रूपये एवं तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत गंगेव प्रमोद कुमार ओझा 1 लाख 49 हजार 207 रुपये की अंतिम वसूली प्रस्तावित की गयी है. इस प्रकार चौरी पंचायत को मिलजुलकर ख़त्म करने और बंटाढार करने और सुनवाई में दोषी पाए गए 08 जिम्मेदारों के विरुद्ध 43 लाख रूपये से अधिक की वसूली और कार्यवाही प्रस्तावित की गयी है.
ये कैसे जनसेवक – विधायक दिव्यराज सिंह का आखिर भ्रष्टाचार दबाने में क्यों है इतनी दिलचस्पी?
अब बड़ा सवाल यह है की आखिर सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह की इतनी अधिक दिलचस्पी ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार की जांच रुकवाने और उसे बढ़ावा देने में क्यों है? यह सवाल आज 2023 के विधानसभा चुनाव के पूर्व न केवल सिरमौर विधानसभा क्षेत्र की जनता पूँछ रही है बल्कि पूरे मप्र का मतदाता जानना चाहता है की आखिर सत्ताधारी पार्टी के विधायक और नेता क्यों जनता की गाढ़ी कमाई और उनके टैक्स के पैसे से ग्रामीण क्षेत्र में विकास के लिए आने वाली राशि पर भ्रष्टाचार करवा रहे हैं और जब कोई आम नागरिक जांच और कार्यवाही की माग करता है तब उसे भी बाकायदा अपने लैटर हेड पर पत्र जारी करते हुए दबा दिया जाता है।
इन्ही विधायक ने सीईओ स्वप्निल वानखेड़े और ईई आर एस धुर्वे को पत्र लिखकर जाँच टीम बदलने बनाया दबाब
गौरतलब है कि गंगेव जनपद और मनगवां विधानसभा की सेदहा पंचायत और गंगेव जनपद और सिरमौर विधानसभा की चौरी पंचायत दोनों की भ्रष्टाचार की जांचों को बदलने और उन्हें प्रभावित करने के उद्येश्य से निवर्तमान भाजपा विधायक दिव्यराज सिंह द्वारा तत्कालीन कार्यपालन यंत्री ग्रामीण यांत्रिकी सेवा आर एस धुर्वे को पत्र लिखते हुए दिनांक 19/01/2021 को पत्र क्रमांक 16/कार्या.वि./सिरमौर रीवा द्वारा विधायक ने भरपूर दबाब बनाया और अपने पत्र में लिखा की जो जाँच अधिकारी सहायक यंत्री निखिल मिश्रा और आरडी पाण्डेय को नियुक्त किया गया है वह शिकायतकर्ताओं के नजदीकी सम्बन्धी हैं. हालाँकि विधायक दिव्यराज के पत्र के बाद सीईओ स्वप्निल वानखेड़े और कार्यपालन यंत्री आरएस धुर्वे ने जाँच टीम भी बदल दिया लेकिन आज तक इस बात के कोई दूर-दूर तक भी प्रमाण नहीं मिले की पूर्व जाँच अधिकारियों निखिल मिश्रा और आरडी पाण्डेय के शिकायतकर्ताओं के क्या सम्बन्ध रहे हैं? अब बड़ा सवाल है की जब पुनः ऐसे विधायक चुनाव मैदान में हैं तो न केवल चौरी और सेदहा पंचायत की जनता को बल्कि पूरे देश की जनता को यह पूँछना चाहिए की आखिर जिन पंचायतों के जाँच अधिकारियों को बदलकर विधायक द्वारा अपने पॉवर और सत्ता का गलत दुरूपयोग किया गया आखिर बार-बार हुई जाँच के बाद भी कैसे 43 लाख रूपये से अधिक की भ्रष्टाचार की वसूली बनाई गयी और आखिर इन 08 दोषियों से अब विधायक के क्या सम्बन्ध थे जिन्हें विधायक ने बचाने का प्रयास किया था? यह भी बताना आवश्यक है की यह मात्र उन कुछ बिन्दुओं का जाँच प्रतिवेदन है जिन्हें अभी तक जाँच में सम्मिलित किया गया है, अब यदि देखा जाय तो अभी भी दर्जन भर अन्य बिन्दुओं की जांच होना तो शेष है जहाँ यह वसूली बढ़कर करोड़ों में भी हो सकती है. लेकिन अभी भी संभागायुक्त रीवा, जिला कलेक्टर रीवा और जिला पंचायत सीईओ रीवा में ऐसी कई जांचें धूल फांक रही हैं जहाँ शायद ऐसे ही नेताओं और अधिकारियों की सांठगांठ से जांचों को दबा दिया गया है।
देश में लोकतंत्र नाम मात्र का, जनता वोट देकर बन जाती है असहाय
पंचायती भ्रष्टाचार के मामलों को लगातार उठाने वाले सामाजिक कार्यकर्त्ता शिवानंद द्विवेदी ने कहा है की देश में लोकतंत्र नाम मात्र का है जहाँ जनता वोट डालने के बाद असहाय होकर दर-दर भटक रही है. जिन जन-प्रतिनिधियों और विधायकों को जनता चुनकर उनकी रक्षा करने के लिए, विकास करने और भ्रष्टाचार के विरुद्ध खड़े होने के लिए भेजती है वही विधायक और सांसद आज खुलेआम मंचों से भ्रष्टाचारियों की पैरवी करते देखे जाते हैं. वह वाकया भी तो आपको याद ही होगा जब रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा ने कहा था की सरपंच पद के लिए प्रत्यासी 15 से 20 लाख खर्च करते हैं इसलिए जनार्दन मिश्रा की कथित अदालत सरपंचों को 15 लाख तक के भ्रष्टाचार करने की छूट दे रखी है. अब यदि जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधि बेशर्म होकर खुले तौर पर ऐसी बोली लगायेंगे तो फिर देश का बंटाढार होना तय है।