पूर्व जिला पंचायत सीईओ स्वप्निल वानखेडे के कार्यकाल के दौरान रीवा जिले में गौशाला निर्माण में हुए व्यापक घोटाले की एक-एक करके परत खुल रही हैं। जहां जिला पंचायत के द्वारा करवाई गई कुछ जांचों में लीपापोती हुई वहीं अब आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ रीवा के द्वारा पंजीबद्ध किए गए प्रकरण में भी नए खुलासे हो रहे हैं।
कमिश्नर के जांच आदेश के बाद कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान बनवाए फर्जी पंचनामे और बनवाए करवाया फर्जी हस्ताक्षर
गौरतलब है कि शिकायतकर्ता एवं संविदाकार पियूष पांडेय के द्वारा रीवा जिले में हुए व्यापक स्तर के गौशाला घोटाला को लेकर कई स्तर पर शिकायत की गई थी जिसमें जांचें भी कई स्तर की हुई जिसमें कुछ जांच मामले के आरोपी तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा द्वारा स्वयं ही करवाई गई जिस पर लीपापोती का मामला सामने आया है। जांच के दौरान स्वयं शिकायतकर्ता द्वारा बनाए गए कुछ वीडियो में यह स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है कि जब सिरमौर जनपद की उमरी ग्राम पंचायत में निर्माणाधीन गौशाला की जांच हो रही थी तब ग्रामीण यांत्रिकी सेवा जिला रीवा के प्रभारी कार्यपालन यंत्री, जो मूल रुप से एसडीओ के पद पर थे और प्रभार के तौर पर रीवा जिला का कार्यभार दिया गया है, उनके द्वारा जांच में किस कदर फर्जीवाड़ा किया गया उपलब्ध वीडियो में स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है। यहां पर प्रभारी कार्यपालन यंत्री टीपी गुर्दवान गाड़ी में बैठे हुए हैं और गाड़ी के गेट के सामने खड़े हुए उमरी सचिव से पंचनामें में हस्ताक्षर करने के लिए कह रहे हैं जिसमें सचिव द्वारा बताया जा रहा है कि उनके द्वारा बाद में उमरी पंचायत का कार्यभार लिया गया है लेकिन अभी गौशाला निर्माण से संबंधित कोई भी अभिलेख बिल बाउचर मूल्यांकन पुस्तिका आय-व्यय का ब्यौरा उन्हें प्राप्त नहीं है इसलिए वह नहीं जानते कहां कितना काम हुआ और कितनी राशि का आहरण हुआ लेकिन स्पष्ट तौर पर टीपी गुर्दवान सचिव पर दबाव देकर पंचनामा में हस्ताक्षर करने के लिए बोल रहे हैं।
दूसरे वीडियो में महिला की लड़की स्वयं महिला का बिना पढ़े कर रही हस्ताक्षर, सब कुछ ईई और उपयंत्री के सामने
वहीं दूसरे वीडियो में दिखाया जाता है जिसमें उपयंत्री जीपी त्रिपाठी गौशाला के पास स्थित एक मकान में एक औरत और लड़की से बात कर रहे हैं जिसमें उन्हें पंचमाने में हस्ताक्षर करने के लिए कह रहे हैं। यहां पर यह भी देखा जा सकता है कि कैसे न तो उस औरत को कोई जानकारी है और न उस बच्ची को कि किस कागज में हस्ताक्षर करवाए जा रहे हैं और उस कागज में आखिर लिखा क्या है और न ही उन्हें पढ़कर सुनाया गया। मामला तब और भी संदेहास्पद हो गया जब महिला के हस्ताक्षर को स्वयं उसकी बिटिया के द्वारा किया जा रहा है जिसमें शिकायतकर्ता पीयूष पांडेय आपत्ति कर रहे हैं कि बिना कागज को देखे पढ़े कैसे सिग्नेचर कर दिए और अपना सिग्नेचर किसी दूसरे से कैसे करवा दिए। यहां पर यह भी देखा जा सकता है कि उपयंत्री जी पी तिवारी स्वयं कह रहे हैं कि यह गलत हुआ है लेकिन उस पंचनामा को लेकर अपना काम निकाल कर आगे बढ़ जाते हैं।
वास्तव में यह वीडियो ही ग्रामीण विकास की वास्तविक सच्चाई
जिस प्रकार ग्राम पंचायत उमरी जनपद पंचायत सिरमौर में हुए व्यापक स्तर के गौशाला घोटाले को लेकर रीवा संभाग के कमिश्नर की उच्च स्तरीय जांच में फर्जी पंचनामा बनवाने, फर्जी जांच रिपोर्ट दिए जाने और शिकायतकर्ता पीयूष पांडेय का कथन और बयान शिकायत की जांच प्रतिवेदन में सम्मिलित न किए जाने का मामला सामने आया है इससे स्पष्ट हो जाता है कि न केवल रीवा जिले में बल्कि पूरे मध्यप्रदेश में ग्रामीण विकास की यही सच्चाई है। जनता की गाढ़ी कमाई और टैक्स के पैसे से देश के विकास के लिए आने वाले राशि का नीचे से लेकर ऊपर तक बैठे हुए यह अधिकारी किस प्रकार बंदरबांट कर रहे हैं इसका जीता जागता उदाहरण इस प्रकरण से समझा जा सकता है। वहरहाल मामले को लेकर शिकायतकर्ता पीयूष पांडेय के द्वारा कमिश्नर रीवा संभाग को आपत्ति की गई थी जिसके बाद कमिश्नर रीवा संभाग ने एक अन्य पत्र जारी करते हुए तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा स्वप्निल वानखेड़े को आवश्यक तौर पर शिकायतकर्ता के कथन/बयान सम्मिलित किए जाकर जांच प्रतिवेदन देने के लिए निर्देशित किया था लेकिन इसके बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसके कारण शिकायतकर्ता को न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।
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