बांध निर्माण में व्यापक भ्रष्ट्राचार : विभाग के इंजीनियर और ठेकेदारों ने मिलकर किया बांधों को तबाह

जल संसाधन विभाग के कमीशन खोर और भ्रष्ट अधिकारियों की मेहरबानी से ठेकेदार मिलकर किसानों की सिंचाई के लिए बनाए जा रहे बांधों को भ्रष्टाचार की बलि दे रहे हैं। ताजा मामला है मऊगंज का जहां बेलहा बांध में पिछले 4 वर्ष से किसानों की कितनी दुर्दशा हुई है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब मौके पर एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी जल संसाधन विभाग बाणसागर परियोजना के सेवानिवृत्त चीफ इंजीनियर शेर बहादुर सिंह परिहार एवं भारतीय पेंशनर समाज के अध्यक्ष डॉ मंगलेश्वर सिंह के साथ जायजा लेने पहुंचे तो उपस्थित लोगों ने बताया कि 4 वर्ष से पानी की बूंद किसानों के खेत में नहीं पहुंची है। 4 वर्षों से टूटा हुआ बेलहा बांध तो एक बड़ा कारण है ही साथ में टूटी-फूटी और गुणवत्ताविहीन नहरें भी एक बड़ा कारण बताया गया। एक तरफ जहां मामा शिवराज सिंह चौहान और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी किसानों की आय दुगनी/चौगुनी करने की बातें करते हैं और रीवा की धरती पर आकर किसानों की उपज कई गुना बढ़ने के दावे करते हैं वहीं दूसरी तरफ इन सारे दावों की हकीकत की पोल तब खुल जाती है जब बेलहा जैसे बांधों में वर्षों से बूंदों में पानी नहीं है और टूटे बांध को सुधार कार्य के टेंडर भी बनाए गए और टेंडर में विधायक नेताओं के कमीशन के चक्कर में नेता भ्रष्ट अधिकारी और ठेकेदार मिलकर अब चूना लगा रहे।

जल संसाधन विभाग गंगा कछार रीवा में नहीं है कोई परमानेंट चीफ इंजीनियर
गौरतलब है कि रीवा जिले में कोई भी चीफ इंजीनियर परमानेंट पोस्ट पर उपलब्ध नहीं है। रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता गंगा कछार सीएम त्रिपाठी एक अक्षम अधिकारी होते हुए भी संविदा में नेताओं से जुगाड़ कर 1 वर्ष से अधिक संविदा चीफ इंजीनियर के पद पर पदस्थ रहे और उनके कार्यकाल में रीवा जिले में नहर परियोजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार हुआ। सामान्य तौर पर निचले स्तर की संविदा भर्ती को तो स्वीकार किया जा सकता है लेकिन जब चीफ इंजीनियर और अधीक्षण अभियंता जैसे महत्वपूर्ण और बड़े पदों पर रिटायर्ड और भ्रष्ट इंजीनियरों को संविदा पर भर्ती किया जाएगा तब देश का सत्यानाश होना लगभग तय है। आज देश के ज्यादातर सरकारी विभागों में अराजकता का माहौल है। अब चाहे त्यौंथर बहाव परियोजना की असफल कहानी हो अथवा नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। इन्हीं अक्षम अधिकारियों सीएम त्रिपाठी जैसे लोगों के कार्यकाल में ही हुई है। यदि मध्य प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रीवा और विंध्य क्षेत्र के किसानों के इतने ही हितैषी हैं तो उन्हें रीवा जिले के लिए जल संसाधन विभाग में एक परमानेंट चीफ इंजीनियर को पदस्थ कर देना चाहिए। जल संसाधन विभाग की आज यह दुर्दशा है कि भोपाल के चीफ इंजीनियर को रीवा जिले का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है जो महीने में एक दिन भी जिले में नहीं रहते तब कैसे इतनी बड़ी परियोजनाओं की मॉनिटरिंग की जा सकती है और कैसे भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है? जाहिर है यह सब सरकार की मिलीभगत, सत्ताधारी नेताओं की कमीशनखोरी, अधिकारियों के भ्रष्टाचार और ठेकेदारों की करतूतों का ही परिणाम है कि मऊगंज के सैकड़ों बांधों में बूंदों में पानी नहीं है और कागजों में किसानों की नहरों में पानी सप्लाई बताया जा रहा है। अब मऊगंज का जो बेलहा बांध 4 वर्षों से टूटा पड़ा है उसी का परिणाम है। शिवानंद द्विवेदी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मांग की है कि वह जल्द रीवा जिले के जल संसाधन गंगा कछार के लिए एक परमानेंट चीफ इंजीनियर नियुक्त करें और अरबों खरबों की नहर परियोजनाओं की गुणवत्तापूर्ण और समयसीमा में पूरी हो सकें इसके लिए नियमित मॉनिटरिंग करवाएं। ( एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी )

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