मध्यप्रदेश के रीवा में स्थित महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव टाइगर सफारी मुकुंदपुर में वर्ष 2016 में वन बिहार भोपाल से लाई गई पहली सफेद बाघिन विंध्या की आज मौत हो गई, जिसके बाद उसे श्रद्धांजलि देते हुए अंतिम संस्कार किया गया है। बताया जा रहा है कि जब मुकुंदपुर जू बनाया गया था, तब बाघिन विंध्या को पहली बार रीवा लाया गया था लेकिन लंबे समय से बीमार होने के चलते आज विंध्या का निधन हो गया।
अपनी खूबसूरती और अठखेलियों से लोगों को अपना दीवाना बना देने वाली विंध्या की दहाड़ अब व्हाइट टाइगर सफारी में सुनाई नहीं देगी। पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रही सफेद बाघिन विंध्या की तड़के सुबह 3:00 बजे मौत हो गई। विंध्या की मौत होने की जानकारी लगते ही रीवा और सतना में तैनात वन विभाग के आला अधिकारियों के कान खड़े हो गए। आनन-फानन में सीसीएफ, सतना वन मंडल अधिकारी सहित पूरा अमला व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर पहुंच गया। बताया जाता है कि विंध्य प्रदेश का नाम गौरवान्वित करने के लिए जो व्हाइट टाइगर सफारी शुरू की गई है, वहां पर वन्य प्राणियों के समुचित देखभाल के लिए बेहतर इंतजाम अब तक संभव नहीं हो पाए हैं।
नहीं है बेहतर इंतजाम
यही वजह है कि इस व्हाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में वन्य प्राणियों की असमय मौत हो रही है। लंबे समय से दहाड़ मारकर अपनी उपस्थिति का एहसास कराने वाली सफेद बाघिन विंध्या की उम्र लगभग 16 वर्ष की थी और वह बीते कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रही थी। हालांकि विंध्या की मौत के पीछे असल वजह पशु चिकित्सकों द्वारा किए जाने वाले पोस्टमार्टम के बाद ही सामने आएगा। लेकिन फिलहाल यह माना जा सकता है कि मौसम के मिजाज में आई एकाएक तब्दीली जिसमें ग्रीष्म ऋतु में बारिश व ठंड का संगम भी कहीं ना कहीं बड़ा कारण हो सकती है। महाराजा मार्तंड सिंह व्हाइट टाइगर जू सफारी में सफेद बाघिन को निहारने विन्ध ही नहीं बल्कि देशभर से सैलानी आते थे। देखने वालों में विदेशियों की भी संख्या पर्याप्त रहती थी। सफेद बाघिन विंध्या की मौत की सूचना मिलते ही पूरे विंध्य क्षेत्र में मातम का माहौल निर्मित हो गया। जिसने भी एक बार विंध्या को टाइगर सफारी में देख लिया था वह उसका मुरीद हो गया था।
विंध्या को अंतिम श्रद्धांजलि
विंध्य की शान सफेद बाघिन विंध्या को अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए राज्यमंत्री रामखेलावन पटेल, पूर्व मंत्री और रीवा विधायक राजेंद्र शुक्ल और सतना सांसद गणेश सिंह टाइगर सफारी मुकुंदपुर पहुंचे। विधि विधान के साथ विंध्या का अंतिम संस्कार किया गया।
सात वर्षीय सफेद बाघ की 2020 में हुई थी मौत
महाराजा मार्तंड सिंह जूदेव वाइट टाइगर सफारी मुकुंदपुर में बाहर से लाए जाने वाले वन्य प्राणियों की चिकित्सकीय देखरेख वाली व्यवस्था हाईटेक नहीं हो पाई है। वन्य प्राणियों के खानपान को लेकर भी अक्सर टाइगर सफारी की व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े होते आए हैं। बताया जाता है कि विंध्या को साल 2016 के दौरान वन विहार भोपाल से टाइगर सफारी मुकुंदपुर लाया गया था, तब वह केवल नौ साल की थी। इस टाइगर सफारी में सफेद बाघिन विंध्या के पहले एक सफेद बाघ की भी मौत हो चुकी है। बताया जाता है कि वर्ष 2020 के दौरान 7 वर्षीय मेल बाघ गोपी की टाइगर सफारी में मौत हो गई थी।