हर जिले में एक हजार हेक्टेयर में कृषि और उद्यानिकी फसलों का क्लस्टर बनाएं – श्री वर्णवाल

कलेक्ट्रेट के मोहन सभागार में आयोजित बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त श्री अशोक वर्णवाल ने रीवा एवं शहडोल संभाग में कृषि तथा उससे जुड़े विभागों के कार्यों की समीक्षा की। बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि किसान समृद्ध होगा तभी प्रदेश समृद्ध होगा। प्रदेश की अर्थव्यवस्था में 46 प्रतिशत योगदान कृषि और उससे जुड़े विभागों का है। खेती को लाभ का व्यवसाय बनाने के लिए लगातार प्रयास की आवश्यकता है। किसानों को परंपरागत खेती के साथ-साथ अधिक लाभ देने वाली फसलों की खेती के लिए प्रेरित करें। किसान को जिस दिन फसल से अधिक लाभ मिलेगा तो वह स्वयं नई फसल को अपना लेगा। गेंहू और धान की फसल की तुलना में दलहन और तिलहन में लाभ अधिक है। दोनों संभागों में अरहर के क्षेत्र विस्तार के लिए विशेष प्रयास करें। इसमें लागत कम और लाभ अधिक है। किसानों को तकनीकी ज्ञान के साथ अरहर की पूसा-16 किस्म की खेती के लिए प्रेरित करें। इसकी फसल 4 महीने में प्राप्त हो जाती है। किसान इसके बाद गेंहू की फसल ले सकता है।

श्री वर्णवाल ने कहा कि हर जिले में कृषि और उद्यानिकी की विशिष्ट फसलों के लिए एक हजार हेक्टेयर का सेक्टर बनाएं। किसी फसल का जब बड़े पैमाने पर उत्पादन होगा तो उसे खरीदने और प्रोसेस करने वाले आसानी से मिल जाएंगे। फल, सब्जी, मसाला तथा फूल की खेती को इसमें प्राथमिकता दें। कई शिक्षित युवा आधुनिक तरीके से खेती कर रहे हैं। इन्हें रोल माडल बनाकर प्रमोट करें। खेती के साथ-साथ उद्यानिकी, पशुपालन, मछली पालन जैसे व्यवसाय अपनाकर ही खेती को लाभदायक बनाया जा सकता है। प्रत्येक विकासखण्ड में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला शुरू कराएं। इनमें निर्धारित लक्ष्य के अनुसार मिट्टी के नमूने देकर उनकी जाँच कराएं तथा किसानों को मृदा हेल्थ कार्ड प्रदान करें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि दोनों संभागों में किसानों ने डीएपी के स्थान पर एसएसपी और एनपीके खाद को तेजी से अपनाया है। जिसके कारण डीएपी का संकट होने की आशंका नहीं है। खाद का वितरण पीओएस मशीन माध्यम से ही कराएं। इन्हें कंपनियों के सहयोग से अपडेट करा लें।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि सभी किसानों की फार्मर रजिस्ट्री कराएं। इसमें किसान सम्मान निधि के साथ-साथ एग्रीस्टेक में भी ई केवाईसी कराएं, जिससे किसान के साथ-साथ उसकी जमीन और फसल का डाटा अपडेट हो जाए। गिरदावरी में उद्यानिकी फसलों का भी क्षेत्र अनिवार्य रूप से दर्ज कराएं। उन्होंने संभाग के सभी जिलों में विकसित कृषि संकल्प अभियान की सफलता के लिए सभी अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने नरवाई जलाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संभाग के सभी जिलों में बायो एनर्जी प्लांट लगाए जा रहे हैं। इन्हें चलाने के लिए फसल अवशेषों की आवश्यकता होगी। कंपनियां किसानों से निर्धारित राशि देकर पराली तथा अन्य फसल अवशेष खरीदेंगी। बेलर मशीन, सुपर सीडर और हैप्पी सीडर के उपयोग से भी नरवाई प्रबंधन करें।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि जिन क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर फल, सब्जी और मसालों की खेती हो रही है वहाँ खाद्य प्रसंस्करण इकाईयाँ स्थापित कराएं। मछली पालन बहुत अधिक लाभकारी है। अगले दो सालों में मछली का उत्पादन दुगना करने के लिए केज कल्चर, बायोफ्लास जैसी व्यावसायिक मछली पालन तकनीकों का उपयोग बढ़ाएं। केवल बाणसागर बांध में ही केज कल्चर के उपयोग से हजारों टन मछली का उत्पादन किया जा सकता है। पशुपालन विभाग की समीक्षा करते हुए श्री वर्णवाल ने कहा कि जिले में गौ अभ्यारण्य और बड़ी गौशालाओं का निर्माण कराएं। जिनके संचालन से निराश्रित गौवंश को आश्रय मिलने के साथ आर्थिक लाभ भी हो। इन गौशालाओं में खाद बनाने तथा गोबर से बायोगैस प्लांट संचालित करने का प्रयास करें। सेक्स सार्टेड सीमेन का निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार उपयोग सुनिश्चित करें। इससे गर्भाधान पर गाय से केवल मादा शिशु का जन्म होता है। दुधारू पशुपालन से जुड़ी योजनाओं में निर्धारित मिल्क रूट के हितग्राहियों को प्राथमिकता दें।

बैठक में कमिश्नर रीवा बीएस जामोद ने कहा कि संभाग में खेती को तेजी से विकसित करने के लिए दिए गए निर्देशों का पूरी तरह से पालन सुनिश्चित किया जाएगा। कृषि और उससे जुड़े विभाग के मैदानी कर्मचारियों को समन्वय से कार्य करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया गया है। कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने तथा नवाचार के लिए लगातार प्रयास करेंगे। बैठक में रीवा संभाग तथा शहडोल संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर्स ने कृषि विकास के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। बैठक में सभी समितियों के खाते सहकारी बैंक में खोलने, बायो फोर्टिफाइड बीज के उपयोग, संरक्षित खेती, मुनगा तथा सुंदरजा आम के क्षेत्र विस्तार, स्मार्ट फिश पार्लर की स्थापना तथा अन्य विभागीय योजनाओं की समीक्षा की गई। बैठक में अपर मुख्य सचिव उद्यानिकी श्री अनुपम राजन, प्रमुख सचिव मछलीपालन निधि निवेदिता, प्रबंध संचालक मार्फेड आलोक सिंह, आयुक्त उद्यानिकी श्रीमती प्रीति मैथिल, आयुक्त शहडोल संभाग श्रीमती सुरभि गुप्ता, आयुक्त सहकारिता मनोज पुष्प, प्रबंध संचालक मण्डीबोर्ड कुमार पुरूषोत्तम, संबंधित जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा संबंधित विभागों के संभागीय एवं जिलाधिकारी उपस्थित रहे। बैठक के बाद कृषि उत्पादन आयुक्त तथा अन्य अधिकारियों ने कृषि और उद्यानिकी विभाग की प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

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