चाकघाट। दक्षिण भारत के प्रसिद्ध महानगर चेन्नई में केन्द्रीय शास्त्रीय तमिल संस्थान द्वारा आयोजित भारतीय भाषाओं में तिरुक्कुरल अनुवाद कार्यशाला का उद्घाटन समारोह संस्थान के सभागार में आज 3अक्टूवर को सम्पन्न हुआ। कार्यशाला के शुभारंभ अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. पी.वी.जगोमोहन ने देश भर से आए भाषा अनुवादकों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे धर्म ग्रंथ मानव जीवन के लिए आचार संहिता के रूप में कार्य करते आ रहे हैं । इसी क्रम में तमिल संत तिरुवल्लुवर जी का दर्शन उनके विचारों विशाल साहित्य मानव समाज के लिए दिशा निर्देशक का काम करता आ रहा है। उनके साहित्य का अनुवाद विभिन्न भाषाओं में करवाकर समूचे भारत में उनके विचारों से लोगों को परिचित कराने का महत्त्वपूर्ण कार्य संस्थान द्वारा किया जा रहा है। डा.जगमोहन इस दिशा में कार्य कर रहे संस्थान के लोगों के प्रयासों सराहना की । कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्थान के निदेशक चंद्रसेकरन ने कार्यक्रम की सार्थकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि महान संत तिरुवल्लुवर जी का जनकल्याणकारी साहित्य जो दोहा के रूप में काफी प्रसिद्ध है जनहित में उसके और भी व्यापक प्रचार प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। संस्थान के रजिस्ट्रार डॉ.भवनेश्वरी जी एवं कार्यक्रम के संयोजक एवं समन्वयक डॉ.अलागुमुथु ने अपने विचार रखें। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉक्टर एम. गोविंद राजन के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में प्रोफेसर दिलीप सिंह, (मध्य प्रदेश) डॉ. किशोर भस्वानी(महाराष्ट्र) डॉ किशोर चंद्र गोस्वामी (वृंदावन) राज गोपाल आचार्य (बेंगलुरु) प्रोफ़ेसर स्कंद कुमार मिश्रा (रीवा) डॉ रामनिवास मानव (हरियाणा) पी.नटराजन (चेन्नई) रामचंद्र राय (बंगाल) राम लखन गुप्त पत्रकार (चाकघाट मध्य प्रदेश) डॉ.दयाराम मौर्य (प्रतापगढ़) प्रोफेसर गिरीवाला मोहन्ती (शांतिनिकेतन) डॉ बीना बुंदकी (कश्मीर) डॉ सुनीता राहल(दार्जिलिंग) मीनाक्षी मुर्मू , प्रोफेसर गजादान चारण (राजस्थान) गीता शर्मा (छत्तीसगढ) डॉ सुषमा राजपूत (जम्मू) डॉ खुशबू गुर्जर (उदयपुर राजस्थान) संपादक विजय चितौरी (प्रयागराज) रामलखन प्रजापति (प्रतापगढ़) डॉ.जागृति संघागी (गुजरात) डॉ.अमान उल्ला (चेन्नई) आदि की उपस्थिति प्रमुख रही। कार्यक्रम के संयोजक डॉ.एम गोविंद राजन ने हमारे प्रतिनिधि से चर्चा के दौरान बताया कि तिरुक्कुरल साहित्य अनुवाद पर आयोजित यह राष्ट्रीय कर्मशाला चेन्नई में 3 अक्टूबर से प्रारंभ होकर 9 अक्टूबर तक आयोजित की गई है जिसमें देश के विभिन्न प्रांतो से आए भाषानुवादकों, ,साहित्यकारों एवं पत्रकारों के बीच तिरुक्कुरल साहित्य के भाषायी प्रचार प्रसार पर गहन चिंतन किया जाएगा।उद्घाटन सत्र में ही तमिल नृत्य संस्कृति पर आधारित भरतनाट्यम एवं लोक के नृत्य का भव्य मनमोहक प्रदर्शन इस अंचल की कन्याओं द्वारा किया गया। (रामलखन गुप्त, पत्रकार)
