त्योंथर। एक तरफ सरकार लगातार गरीबों को पक्के मकान के लिए राशि आवंटन कि बात करती है तो दूसरी तरफ कई मामलों में आवंटित राशि में बंदरबांट कि कहानी भी सुनने को मिलती रहती है। लेकिन कई ऐसे भी मामले हैं जहाँ बंदरबांट के बजाय दूसरे कारण भी हैं जिसके वजह से आवास अधूरे पड़े हैं। सूत्रों कि माने तो कहीं हितग्राहियों द्वारा पैसे का दुरुपयोग तो कहीं सरपंच सचिव सहायक से मिलकर पैसे का हेर – फेर देखने को मिला है। हालाँकि जो मामला संज्ञान में आया है वो इन सब से हटकर है।
क्या है मामला
संज्ञान में आया मामला त्योंथर तहसील अंतर्गत ग्राम पंचायत बराखुर्द का है, जहाँ तक़रीबन 5 आवास अधूरे रह गए हैं। इस विषय में सम्बंधित पंचायत के सचिव सरपंच सहायक और हितग्राहियों से भी जानकारी ली गई और जनपद पंचायत सीईओ से भी समस्या को लेकर बात कि गई। जिसके बाद जानकारी मिली कि प्रधानमंत्री आवास योजना के हितग्राहियों का वर्क कोड दिखना बंद हो गया है। साथ ही साथ यह भी पता चला कि जनपद में तक़रीबन 40-50 और ऐसे मामले हैं जहाँ वर्क कोड दिखना बंद हो गया है। अब जबकि वर्क कोड नहीं दिख रहा है तो आवास कि अग्रिम राशि आवंटित नहीं की जा सकती। ऐसे हालात में हितग्राही और अधिकारी दोनों के ऊपर बोझ बढ़ गया है। इस मामले को लेकर पंचायत से जनपद में एक सूचना भी दी गई है लेकिन अभी तक सब ठन्डे बस्ते में है।
एक नज़र
सरकार योजनाओं के माध्यम से गरीबों को लाभ पहुँचाने कि कोशिश करती है लेकिन कहीं न कहीं बिचौलिए इसमें अपना हिस्सा मार ही लेते हैं। अब ऐसे हालात में उन हितग्राहियों का सोचिये जिन्होंने अपनी पुरानी झोपड़ी उजाड़ कर आवास योजना के तहत अपना घर बनाना शुरू किया था और वो भी अधूरा रह गया। इस छोटी सी गलती ने लोगों को छतों से महरूम रखा हुआ है जिस पर अभी तक कोई आश्वाशन नहीं मिला है।
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