शासन – प्रशासन चाहे जितने कायदे – कानून बना ले लेकिन जिनके जहन में आपराधिक कृत्य का भूत सवार हो वो किसी न किसी तरीके से कांड कर ही देते हैं। गौ वंशो की दुर्दशा पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि पूरे देश में हो रही है जो आये दिन समाचारों के माध्यम से सुनने – देखने को मिलती रहती है।
त्योंथर, रीवा। रीवा जिले में गौ तस्करी पर नकेल कसने को लेकर समय-समय पर प्रशासन द्वारा थोड़ी-बहुत कार्यवाई देखने को तो मिलती है लेकिन इन सब के बावजूद गौतस्करी घटने की बजाय बढ़ती ही चली जा रही है। ताज़ा मामला विकास खण्ड त्योंथर के पूर्वांचल में स्थिति बारी चौरा गाँव का है। जहां अवैध रूप से कई बाड़े संचालित किये जा रहे हैं, जिनका जिक्र न तो सरकारी कागजो में हैं और न आला – अधिकारियों के संज्ञान में। लेकिन इन अवैध बाड़ों को लेकर बेहद ही संवेदन शील गतिविधि का जिक्र किया गया जो शासन – प्रशासन को सोचने पर मज़बूर कर देगा।
गाय को पूजने वाले देश में गौ वंश की ऐसी दुर्दशा
कई बार कुछ शिकायतें इतनी संवेदनशील हो जाती हैं को उनको नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। अवैध बाड़ों के विषय में जब विश्व हिन्दू परिषद बजरंग दल के चाकघाट प्रखंड संयोजक ब्रहमानंद त्रिपाठी को जानकारी हुई तो खुद को रोक नहीं पाए और 14 तारीख दिन शनिवार को चौरा गाँव जाकर अवैध बाड़े के विषय में जानकारी इकट्ठा करना शुरू कर दी। जानकरी के मुताबिक बाड़े में तकरीबन 50 की संख्या में गौवंश यातनायुक्त बंधन में थे और बाड़े के पास ही चार लोग भी मौजूद थे जिनमें से दो लोग तो कैमरा देख छिप गए और दो बाहर रह गए। जिनमें से एक ने अपना नाम अतुल मिश्रा बताया। उन लोगों द्वारा जानकरी दी गई कि ये बाड़े पंचायत द्वारा बनाये गए हैं और इनमें बैल को अलग रखा जाता है और गाय को अलग दूसरे बाड़े में रखा जाता है। बाक़ी और लोगों से भी जानकरी यही मिली कि बाड़ा वर्तमान बारी सरपंच तेजलाल पाल के द्वारा बनवाया गया है।
सरपंच ने पहले तो नकारा फिर समझौता करने में लगाया जोर
इस मामले को लेकर जब बारी सरपंच से फोन पर संपर्क किया गया तो उनके द्वारा बाड़े के विषय में कहा गया कि बाड़े से उनका कोई लेना देना नहीं है। लेकिन कुछ देर बाद ही बारी सरपंच ने खुद फोन करके कहा कि सर वो छोटकउ मिशरौलीया की जमीन है और बाड़ा भी उन्होंने ही बना रखा है। गरीब आदमी है साहब हो गया कल मैं उनसे बात करूँगा, आप कहाँ हैं हम आपसे मिलना चाहते हैं। त्रिपाठी जी भी इस मामले कि तस्दीक में उनसे मिलने पहुँचे तो उनके द्वारा यह कहा गया कि, “हो गया व्यापार करते ही हैं गरीब आदमी हैं छोड़िये मैं खर्चा-वर्चा आपको दिलवाऊंगा”।
सूरज ढलने के साथ शुरू होता है तस्करी का खेल
जानकरी के मुताबिक़ अवैध बाड़े में कैद गौवंश हमेशा बदले रहते हैं जो काफी चौंकाने वाला था। शक होने पर इस बात को लेकर जब दूसरे लोगों से और भी गहराई से पूंछताछ कि गई तो जानकारी मिली सारा खेल सूरज ढलने के साथ शुरू हो जाता है। जितने भी लोग इस अवैध बाड़े से जुड़े हैं वो दिन भर आसपास से बैलों को खदेड़ बाड़े में कैद करते हैं और अँधेरा शुरू होते ही उन्हें पहाड़ चढ़ाना शुरू कर देते हैं। उस पार तस्कर राह तके पहले से ही तैयार रहते हैं। और फिर सूरज उगने के साथ नए बैलों की खोज में निकल जाते हैं।
पहले भी हुई थी शिकायत लेकिन मैनेज हो गया , आप भी कर लो
इस मामले को लेकर सरपंच ने बताया कि पूर्व में भी किसी की शिकायत पर पुलिस प्रशासन और गौ रक्षक रोहित तिवारी लोग आये थे, तो मैंने ही उन लोगों से बचाया था। अब समझिए इसका मतलब काफी समय से ये तस्करी चल रही थी और लोगों को जानकारी भी थी लेकिन किसी ने आवाज नहीं उठाई , क्यों ?
एक नज़र
सरकर एक तरफ गौ तस्करी को लेकर नए – नए दाबे करती है और दूसरी तरफ तराई अंचल से ऐसी खबरें कहीं न कहीं शासन – प्रशासन कि उदासीनता की तरफ इशारा करती हैं। जबकि कुछ ही दूरी में सोनौरी चौकी है और क्षेत्र में गौ संरक्षण के दावेदार। फिर भी लगातार गौ वंशो पर अत्याचार हो रहा है और उनके हिस्से की योजनाओं पर बन्दर बाँट।
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