टीआई थानों में उप निरीक्षक के प्रभार पर लगने लगे सवालिया निशान

चाकघाट। रीवा जिले का तराई अंचल जो उत्तर प्रदेश की सीमा जिला मिर्जापुर, प्रयागराज एवं चित्रकूट को स्पर्श करती हैं ऐसे सीमांचल के क्षेत्र में स्थापित पुलिस थानों में जहां निरीक्षक की नियुक्ति होनी चाहिए वहां अधिकारियों की कृपा से उप निरीक्षक से कम चलाया जा रहा है। रीवा जिले में थाना चलाने के लिए निरीक्षकों की कमी है,या वे सक्षम नहीं हैं अथवा अधिकारियों की पसंद के नहीं है जिसके कारण तरायी अंचल के अधिकांश थानो में उप निरीक्षक ही कुंडली मारे बैठे हैं। माने तो इस अंचल में अपराध नियंत्रण एवं शांति सुरक्षा की दृष्टि से जहां सक्षम अधिकारी का रहना आवश्यक है वहीं बड़े अधिकारियों एवं नेताओं के चहेते न होने के कारण थानों में थाना प्रभारी के रूप में उप निरीक्षक की नियुक्ति की जा रही है। तरायी अंचल जो कभी दस्यु प्रभावित क्षेत्र होता था ऐसे वर्तमान जवा एवं त्योंथर तहसील के प्रमुख पुलिस थाना चाकघाट, पनवार, डभौरा, अतरैला के थानों में उप निरीक्षक की ही नियुक्ति अधिकारियों को रास आ रही है, जबकि अभी सोहागी एवं जावा थाने में निरीक्षक अपना अस्तित्व बचाए हुए हैं। चाकघाट थाने में कुछ समय के लिए विधानसभा चुनाव से लेकर लोकसभा चुनाव तक निरीक्षक पद की नियुक्ति की गई थी किंतु चुनाव संपन्न होते ही चाकघाट जो कि प्रदेश की सीमा से लगा हुआ है यहां निरीक्षक को हटाकर उप निरीक्षक को प्रभारी बना दिया गया है। माना जाता है कि जो जितना छोटा कर्मचारी होता है बड़े अधिकारी का दबाव उस पर उतना ही अधिक रहता है। यदि ऐसा है तो इस अंचल के सीमावर्ती थानों में निरीक्षक के स्थान पर उप निरीक्षक ही पसंदीदा अधिकारी माने जा रहे हैं जो कतई उचित नहीं है।

रीवा जिले में अपराध बढ़ रहा है। अपराधियों पर पुलिस की पकड़ समाप्त होती जा रही है, नशे के कारोबारी दिन पर दिन बढ़ते जा रहे हैं, जबकि पड़ोस में स्थित उत्तर प्रदेश में पुलिस का दबाव एवं प्रशासनिक कसावट के चलते अपराधी लुकते छिपाते नजर आ रहे हैं किंतु यहां मध्य प्रदेश के रीवा जिले में अपराधियों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं। मध्य प्रदेश शासन गृह विभाग के वरिष्ठ उच्च अधिकारियों से अपेक्षा है की यहां की स्थिति को देखते हुए सीमावर्ती थाना क्षेत्र जो निरीक्षक स्तर के थाने हैं वहां निरीक्षक को ही प्रभारी बनाया जाए तथा आवश्यकतानुसार विवेचक और पुलिस बल उपलब्ध कराया जाए। (रामलखन गुप्त)

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