हम पंचायतों की शिकायत नहीं सुनते : मुख्यमंत्री जी ऐसे कमिश्नर का क्या काम जो जनता की ही न सुनें

रीवा संभाग आयुक्त गोपाल चंद डांड की कार्यशैली को लेकर शिकायतकर्ताओं ने सवाल खड़ा कर दिए हैं। आमजन से कमिश्नर गोपाल चंद के बर्ताव और शिकायत निवारण प्रक्रिया की गिरती स्थिति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ताजा मामला 22 मार्च का है जहां रीवा मप्र के नईगढ़ी जनपद पंचायत के शिकायतकर्ता बंसपति द्विवेदी एवं जगदीश सिंह गहरवार कमिश्नर रीवा संभाग गोपाल चंद डांड से पंचायती भ्रष्टाचार को लेकर मिलने गए थे। बताया गया की जिलहड़ी ग्राम पंचायत नईगढ़ी में व्यापक भ्रष्टाचार की शिकायत सीईओ जिला पंचायत रीवा को की गई थी जिसके बाद लगभग 68 लाख रुपए की दो बार वसूली बनाई गई। लेकिन तीसरी बार षड्यंत्र पूर्वक जांच की गई और उसकी वसूली अप्रत्याशित रूप से 100 गुना से अधिक कम किया जाकर मात्र 56 हजार रुपए कर दी गई। जिसके बाद सवाल खड़े होने लाजमी थे की आखिर ऐसा क्या करिश्मा हुआ की भारी भरकम 68 लाख का भ्रष्टाचार मात्र 56 हजार रुपए में बदल गया।

सीईओ रीवा की जांच में देरी से व्यथित होकर फरियादियों ने कमिश्नर गोपाल चंद डांड के पास की थी शिकायत

सीईओ जिला पंचायत की बार बार जांच और वसूली कम करने पर व्यथित होकर ग्रामीण जन शिकायत लेकर कमिश्नर संभाग रीवा के पास पहुंचे थे जिस पर कमिश्नर संज्ञान लेने के स्थान पर शिकायतकर्ताओं पर ही उल्टा टूट पड़े। कमिश्नर डांड के समक्ष जब फरियादियों ने कहा कि सीईओ की जांच में वसूली को जानबूझकर बिना किसी पर्याप्त कारण के काफी कम कर दिया गया है अतः वह कमिश्नर साहब से दरखास्त लगाने आए हैं की वह इसकी जांच करवा दें और उन्हें न्याय दिलवा दें। तो कमिश्नर ने आव देखा न ताव और बरस पड़े फरियादियों पर। रीवा कमिश्नर गोपाल चंद डांड ने कहा कि जब देखो शिकायत लेकर खड़े हो जाते हो। जाकर सीईओ जिला पंचायत से शिकायत करो वही पंचायतों की शिकायत देखेगा। कमिश्नर ने कहा कि सीईओ जिला पंचायत को किस लिए बैठाया गया है? हम शिकायत नहीं देखते यह काम सीईओ जिला का है। जाकर वहीं शिकायत करो।

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रीवा में ऐसे संभाग आयुक्त का क्या काम जो जनता की समस्याएं ही न सुने ?

नईगढ़ी जनपद के जिलहंडी के फरियादी बंसपति द्विवेदी और जगदीश सिंह गहरवार ने सवाल खड़ा किए की आखिर जब जिला पंचायत से सही सार्थक जांच और कार्यवाही नही हुई तब जाकर मामले को कमिश्नर रीवा संभाग के समक्ष प्रस्तुत किया गया है। अब जब वरिष्ठ संभाग अधिकारी कमिश्नर इस प्रकार आम जन से बर्ताव करेगा तो आम आदमी कहां जायेगा। फरियादियों ने कहा की क्या मप्र के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने रीवा जैसे बड़े संभाग में गोपाल चंद डांड जैसे कमिश्नर को भेजा है जो आमजन की समस्या सुनने के बजाय उनसे रोष में बात करें और उन्हें अपमानित कर शिकायत ही न लें। आखिर सिस्टम से व्यथित होकर एक फरियादी कहां जायेगा? वैसे भी कमिश्नर हो अथवा कोई अधिकारी यदि शिकायत उसके पास आती है तो शिकायत तो उसे लेना ही पड़ेगा। क्योंकि शिकायत लेने से कोई भी अधिकारी मना नहीं कर सकता।

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