कमलेश शुक्ला, त्योंथर। रीवा जिला मुख्यालय से लगभग अस्सी किलोमिटर की दूरी पर त्योथर तहसील मुख्यालय है जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश का सीमावर्ती और पुरानी तहसील है। उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद त्योंथर तहसील मुख्यालय से सटे तालाबो, रावणा मैदान का तालाब, महतेली तालाब, हडिया तालाब, रखिदवा, चिल्ला ढेढर के गोंदिया तालाब, तुर्का तालाब, जो वार्ड नं 15 में आता है। जैसे तालाबो पर भूमाफिया कब्जा जमाए हुए हैं। रावणा मैदान तालाब जिसे चिल्ड्रेन पार्क भी कहा जाता है। उसमें कूप का भी अतिक्रमण कर लिया गया, जो बहुत पुराना कूप माना जाता है। जिससे कभी पूरे नगर को पीने का पानी मिलता रहा है। अतिक्रमण के चपेटे में है ही जहां से प्रतिदिन आला अधिकारियो का आना जाना भी लगा रहता है। भूमाफिया तालाबो को पाटकर पहले कच्चे मकान फिर पक्के मकानो का निरन्तर निर्माण कार्य को अन्जाम देते आए हैं। समय – समय पर अनुविभागीय दडाधिकारी त्योंथर के द्वारा नोटिस जारी भी होती रही है लेकिन तालाबो को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा सका। हाई कोर्ट के आदेश की स्थानीय प्रशासन द्वारा अवहेलना की जा रही है। भूमाफिया तालाबो के अस्तित्व को ही समाप्त करते जा रहे हैं। रखिदवा तालाब पर आरा मशीन संचालित हो रही है। आखिरकार इसका जिम्मेदार कौन है। समय – समय पर शोसल मीडिया और समाचार पत्रो में खबरें भी प्रकाशित होती रही है लेकिन स्थानीय प्रशासन मूकदर्शक ही बना रहा है। तालाब अपने अस्तित्व को खोते जा रहे हैं। प्रशासन पस्त है, भूमाफिया मस्त है। आखिरकार ऐसे भू माफियाओ को किनका संरक्षण प्राप्त है। जिससे तालाबो को अतिक्रमण मुक्त नहीं कराया जा रहा है। यह तो देखने वाली बात होगी कि तालाब अतिक्रमण मुक्त हो जाएंगे या इसी तरह चलता रहेगा, यह तो वक्त ही तय करेगा। समय – समय पर जिला कलेक्टर रीवा द्वारा भी तालाबो को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश तो दिया गया लेकिन रिजल्ट जीरो ही रहा है। जिससे कही न कही स्थानीय प्रशासन का मौन संरक्षण प्रतीत होता दिखाई पड रहा है। जो जांच का विषय है। जबकि समाचार पत्रों एवं सोसल मीडिया पर खबरों का कयी बार प्रकाशन भी हुआ लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। इसका जिम्मेदार कौन है।
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