शिवानंद द्विवेदी, आरटीआई एक्टिविस्ट। बाणसागर डैम और नहर मंडल से संबंधित नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन परियोजना से संबंधित सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी की शिकायत पर भारत निर्वाचन आयोग ने तत्काल संज्ञान ले लिया है। आपको बता दें कि मामला रीवा और सीधी संभाग से जुड़े हुए बहुचर्चित बाणसागर बांध और बाणसागर नहर मंडल से जुड़ी हुई सिंचाई परियोजनाओं से संबंधित है जिसे एक लंबे अरसे से उठाया जा रहा है। गौरतलब है कि पिछले कुछ महीने पूर्व गर्मी के दिनों में रीवा और मऊगंज क्षेत्र के जल संसाधन विभाग के बांधों ननहरों और नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन परियोजना फेज 1 और 2 को लेकर बड़े सवाल खड़े किए गए थे। शिवानंद द्विवेदी ने पहले भी नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन परियोजना में हो रहे व्यापक भ्रष्टाचार, कार्य में हीलाहवाली और लेटलतीफी को लेकर सवाल खड़े किए थे और प्रधानमंत्री कार्यालय, जल संसाधन विभाग मध्य प्रदेश शासन से लेकर चीफ सेक्रेटरी एवं मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश शासन सहित दर्जनों जिम्मेदारों को ईमेल के माध्यम से कई बार पत्र लिखा था और शिकायत दर्ज कराई थी। मामले पर कार्यवाही भी हुई और जिस नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन परियोजना को वर्ष 2019 में पूरा कर लिया जाना था उसे 2023 तक भी पूरा न किए जाने के बाद सितंबर 2023 तक का एक्सटेंशन भी दिया गया। और इस प्रकार 3 वर्ष के कार्य को साढ़े छः वर्ष बाद भी पूरा नहीं किया जा सका है। साथ में जिस संविदाकार जेपी एसोसिएट्स कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया गया उसी से नियम विरुद्ध तरीके नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन का कार्य ब्लैक लिस्ट होने के बाद भी लिया गया। जिस मामले को लेकर कड़ी आपत्तियां व्यक्त की गई थी और एक ब्लैक लिस्टेड कंपनी से कार्य क्यों करवाया जा रहा है इस पर भी सवाल खड़े किए गए थे। गौरतलब है कि सितंबर 2023 की मियाद भी अब पूरी हो चुकी है लेकिन नईगढ़ी माइक्रो इरिगेशन फेज 1 एवं 2 का कार्य 50 प्रतिशत तक भी पूरा नहीं हो सका है जिसे लेकर हालांकि विभाग के अधिकारी 70 कार्य पूरा होना बता रहे हैं और जिसका कि भुगतान भी कर दिया गया है लेकिन यदि सही तरीके से जांच हो जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी और कार्य से अधिक भुगतान पाया जाएगा। कार्य से अधिक भुगतान किए जाने के बाद अब जल संसाधन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी संविदाकार जेपी एसोसिएट्स को बचाने में लगे हुए हैं और उसे अब टर्मिनेट करने के स्थान पर उसी ब्लैकलिस्टेड से काम ले रहे हैं। अब जिसे लेकर सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने एक बार पुनः आचार संहिता लगने के बाद भारत निर्वाचन आयोग नई दिल्ली को शिकायत दर्ज कराई है जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ने तत्काल संज्ञान लेते हुए कार्यवाही करते हुए जवाब तलब किया है।
ईएनसी जल संसाधन शिशिर कुशवाहा की नियुक्ति को लेकर खड़े किए गए सवाल
शिवानंद द्विवेदी ने अपनी शिकायत में जल संसाधन विभाग मध्य प्रदेश शासन के इंजीनियर इन चीफ शिसिर कुशवाहा की नियुक्ति को लेकर प्रश्न खड़े किए हैं जिसमें उन्होंने कहा है कि शिसिर कुशवाहा एक रिटायर्ड अधीक्षण अभियंता है जिन्हें बिना वरीयता और वरिष्ठता के आधार पर सरकार द्वारा नियम विरुद्ध संविदा पद्धति से चीफ इंजीनियर का प्रभार दिया गया और उन्हें बाद में इएनसी पद से श्री डाबर को हटाए जाने के बाद ईएनसी का भी प्रभार दे दिया गया है जो की पूरी तरह से नियम के विरुद्ध है।
आरटीआई एक्टिविस्ट ने मनमानी ढंग से संविदा के नाम पर वरिष्ठ पदों पर नियुक्तियों को लेकर खड़े किए सवाल
आरटीआई एक्टिविस्ट ने आरोप लगाया है कि वर्तमान संविदा ईएनसी शिशिर कुशवाहा से भी वरिष्ठ और योग्य सेवानिवृत्ति अधीक्षण अभियंता एवं चीफ इंजीनियर मौजूद थे तो फिर स्पष्ट और पारदर्शी प्रक्रिया का पालन करते हुए विज्ञप्ति निकालकर योग्य एवं वरिष्ठ ईएनसी को नियुक्त क्यों नहीं किया गया। हालांकि यदि जानकारों की मानें तो मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार ने जाते-जबाते अपने चहेतों को मलाईदार और बड़े पदों में बैठाकर न केवल किसानों की नहर परियोजनाओं पर पलीता लगाया है बल्कि भ्रष्टाचार को और बढ़ावा देने का कार्य किया है। सामाजिक कार्यकर्ता ने ईएनसी शिशिर कुशवाहा सहित ऐसे कई संविदा नियुक्तियों को लेकर प्रश्न खड़े किए हैं और कहा है कि जब तक उच्च पदों पर पूर्णकालिक जिम्मेदार सक्षम और परमानेंट अधिकारियों को नहीं बैठाया जाता तब तक गरीब किसानों के नाम पर कागजों पर बनाई जाने वाली नहर परियोजनाओं का मिल बाटकर बंदरबांट और बंटाधार होता रहेगा और इसकी समस्त जवाबदेही स्वयं उसी शासन सत्ता की है जिससे आमजन को अब सचेत भी होना चाहिए और मिलकर आवाज उठाना चाहिए।