रामलखन गुप्त, चाकघाट। त्योंथर जनपद के अंतर्गत आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक 17 ग्राम पंचायत ऐसे हैं, जिनके पास स्वयं का पंचायत भवन नहीं है। जबकि इसी जनपद क्षेत्र की 11 ग्राम पंचायतों के भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं। ऐसे जर्जर भवन में रहकर कार्य करना प्राणों को संकट में डालने के बराबर है। भवन विहिन ग्राम पंचायतों के लिए लंबे समय से मांग किया जाता रहा है किन्तु अभी तक भवन नहीं बन सका है।
त्योंथर जनपद रीवा जिले का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहां से मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे क्षेत्र के विधायक श्रीनिवास तिवारी जी जो कि बाद में विधानसभा अध्यक्ष भी हुए एवं भाजपा सरकार के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री रहे पंडित रमाकांत तिवारी भी इसी क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। इस अंचल के 17 ग्राम पंचायतों में पंचायत भवन का न होना दुखद है। आजादी के 75 वर्ष बाद भी पंचायती राज का दुहाई देने वाली सरकार इस अंचल के ग्राम पंचायतों में अभी तक भवन नहीं दे सकी है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार त्योंथर जनपद के ग्राम पंचायत गढ़ी, नौबस्ता, परसिया, चंद्रपुर, गंगतीरा कला, टंगहा, डाढ़ाकला, आमिलकोनी, बरहट, कांकर, चुनरी, सतपुरा, अमांव, हहोती पुरवा, ककरहा, डीही एवं चौराननकार ग्राम पंचायत में अभी भी पंचायत भवन नहीं है। वहीं जनपद के 11 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जिसमें भवन जर्जर हो चुके है और उसका उपयोग नहीं हो पा रहा है। ऐसे ग्राम पंचायतों में सरुई, रिसदा, महुली, रेही, मनिका, राजापुर, मांगी, डीह, कोरांव, बसहट एवं बजरा पंचायत प्रमुख हैं। ग्राम पंचायत के माध्यम से ग्रामीण अंचल में विकास की बात करने वाले शासन-प्रशासन की दृष्टि में अभी तक यह बात नहीं पहुंच पाई कि जिन गांव में स्वयं अपने बैठने के लिए पंचायत भवन नहीं है वहां विकास का कार्य किस ढंग से हो रहा होगा? जिला प्रशासन एवं सत्ता सरकार से जुड़े लोगों से आग्रह है इस जनपद के 17 ग्राम पंचायत जिनमें भवन नहीं है उन्हें शीघ्र ही पंचायत भवन से व्यवस्थित किया जाए एवं 11 ग्राम पंचायत भवन जो पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं उन्हें गिरा कर दूसरा भवन बनाया जाए।