ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहीं दुकानों के डबल मुनाफे लेकिन टैक्स नहीं

आज कल एक ट्रेंड काफी तेज़ी से बढ़ता जा रहा है। जिसमें देखा जा रहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में नई – नई दुकानें काफी तेज़ी से खुल रहीं हैं। इन दुकानों में खास तौर पर सुमार है किराना, सिलाई, बिजली उपकरण, सब्जी – भाजी इत्यादि और ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी अब इन्हीं दुकानों को ज्यादा तबज्जो देते हैं। मतलब रोजाना इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं के लिए अब बाज़ार की भीड़ धीरे – धीरे गांव की दुकानों पर निर्भर हो गई है। जिसका फायदा ग्रामीण दुकानदारों के साथ – साथ ग्रामीण क्षेत्र में रह रहे लोगों को भी खूब हो रहा है। जहाँ उनको घर के पास ही रोजाना इस्तेमाल का सामान मिल जा रहा है तो वहीं ताज़ी हरी सब्जियाँ भी लेकिन इन सब से ग्राम पंचायतों को कोई लाभ नहीं है जबकि ग्राम पंचायतों में संचालित दुकाने मोटा मुनाफा कमाती हैं।

एक नज़र
ग्रामीण क्षेत्रों में व्यवसाय के बढ़ते आयाम ने जहाँ लोगों को सुविधाएँ मुहैया कराई हैं तो वहीं घर के पास रोजगार भी। जिसके चलते छोटे – छोटे कामों या ज़रूरतों के लिए लोगों को अब ज्यादा दूर तक नहीं जाना पड़ता। साथ ही सरकार की कई योजनाओं का लाभ अब ग्राम पंचायतों को सीधे तौर पर मिलता जिसका लाभ ग्रामीणों के साथ – साथ उन दुकानदारों को भी मिलता जो ग्रामीण क्षत्रों में दुकाने संचालित कर रहे हैं। हालाँकि कुछ दुकानों में बाजार से ज्यादा कीमतें भी वसूली जाती हैं।

न बिजली का वैध कनेक्शन न कोई पंजीकरण
हाल ही में ग्रामीण क्षेत्र में व्यवसाय को लेकर जब कुछ दुकानों के संचालकों से चर्चा की गई तो कई चीज़ें चौकाने वाली थीं। जैसे ग्रामीण क्षेत्र में दुकानों को न तो किसी तरह का पंजीकरण करवाना होता है और न ही उन्हें किसी तरह का चुंगी, बैठकी या फिर ग्राम पंचायत को कर (टैक्स) देना होता है। चूँकि इनका कोई दस्तावेज नहीं होता है तो आयकर सम्बन्धी कोई हिसाब किताब भी नहीं होता है। हालाँकि ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का इस्तेमाल भी इन दुकानोंद्वारों द्वारा जमकर किया जाता है।

पहले गुमटी थी आज है पक्की दुकान
ग्रामीण क्षेत्र में फल – फूल रहे व्यवसाय को लेकर जब आम लोगों से चर्चा की गई तो कुछ और महत्वपूर्ण चीज़ें खुलकर सामने आई। जैसे कुछ दुकानदार पहले छोटी – मोटी दुकान डाल कर व्यवसाय कर रहे थे लेकिन आज उनके पास पक्की दुकानें हैं और दुकानों में मौसमी बहार रहती है। आज उन दुकानों में कोल्ड ड्रिंक या पानी की भरमार रहती है और ठंडा करने के लिए फ्रिज जैसे सुविधा भी उपलब्ध है। कुछ दुकानों में तो सुबह – शाम का नास्ता भी तैयार किया जाता है और बाकी समय किराना या कुछ और व्यवसाय चलता है। साथ ही एक और बड़ी समस्या साझा की गई जिसमें कुछ दुकानों में अवैध मादक पदार्थ की बिक्री की जानकारी दी गई। साथ ही यह भी बताया गया की कई बार कई दुकानों पर आबकारी या पुलिस का छापा भी पड़ चुका है लेकिन जुगाड़बाज़ी कर के बाहर आ जाते हैं और फिर वही धंधा करते हैं।

ग्राम पंचायत को जिम्मेदारी उठानी जरुरी
ग्रामीण क्षेत्र में बढ़ रहे व्यवसाय के नित नए आयाम धीरे – धीरे कई और परेशानियों को जन्म दे रहे हैं। अगर समय रहते इन पर ध्यान नहीं दिया गया तो आगे चलकर ढील की वजह से बड़े कारनामे देखने को मिल सकते हैं। हालाँकि ग्राम पंचायत अगर अभी चेते तो इन दुकानों का पंजीकरण कर इनसे बैठकी या पंचायत कर वसूल कर सकती है और शायद यह ग्राम पंचायत के लिए लागू भी हो चुका है। साथ ही भविष्य में अपराध पर अंकुश भी लगा सकती है। ग्राम पंचायत को चाहिए की उसके कार्य क्षेत्र में चल रही समस्त छोटी – बड़ी दुकानों का एक लेखा – जोखा तैयार करे और कौन सी दुकान में किस तरह का व्यापर किया जाता है के अनुसार पंजीकरण करे। इससे ग्राम पंचायत में चल रहे कार्यों के लिए थोड़ी – बहुत आर्थिक मदद भी हो जाएगी और दुकानों का दस्तावेज होने से सरकारी आकड़ों में गिनती भी हो जाएगी।

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