चाकघाट। नगर परिषद अर्थात स्थानीय निकाय जनता के हितों एवं उनकी समस्याओं के समाधान के लिए होती है न कि सरकारी कागजों की खानापूर्ति एवं कर्मचारियों के वेतन तक सीमित रहने के लिए। किन्तु चाकघाट नगर में अब ऐसा ही हो रहा है क्योंकि यहां पर स्थाई सीएमओ नहीं है। प्रभारी सीएमओ महज औपचारिकता पूरी करने के लिए चाकघाट नगर परिषद में कार्य देख रहे हैं। जबकि इसके पूर्व यहां पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी के रूप में श्रीमती रूपाली द्विवेदी ने अपनी सेवाएं दी थी। उनके समय में कार्यालय नियमित समय पर खुलता रहा और समस्त कर्मचारी सहित अधिकारी के रूप में वे स्वयं उपस्थित रहती थी और जन समस्याओं के निराकरण के लिए हर संभव प्रयास करती रही है। जनहित में शासन की योजनाओं का भी समय पर निराकरण होता रहा, किंतु उनके स्थानांतरण के पश्चात जब प्रभारी सीएमओ के रूप में नईगढ़ी सीएमओ को अतिरिक्त प्रभार दिया गया तब से चाकघाट की नगरपरिषद कार्यालय की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। प्रभारी को चाकघाट कार्यालय चलाने के लिए पर्याप्त समय नहीं रहता। प्रभारी सीएमओ किसी निश्चित दिन को पूरा समय चाकघाट को दे सकें ऐसी स्थिति नही बन पा रही है। नगर परिषद के अंतर्गत रहने वाले लोगों की समस्याएं ज्यों की त्यों बनी रहती हैं। प्रशासनिक रूप से सीएमओ की नियमित उपस्थिति न होने से यहां के लोगों में इस बात का आक्रोश है कि आखिर नगर परिषद क्या कर्मचारियों के वेतन निकालने एवं शासन की योजनाओं को जानकारी देने तक ही सीमित है। स्वाभाविक है कि नगर परिषद के प्रभारी जब दो जगह का प्रभार लेंगे तो दोनों जगह की व्यवस्था चरमरा जाएगी। ऐसी स्थिति में नगर परिषद जो जनहितैषी योजनाओं के लिए स्थानीय निकाय के रूप में जानी जाती है। वहां पर काम हो पाना मुश्किल हो जाता है। शासन और प्रशासन से अपेक्षा है चाकघाट नगर परिषद का कार्य करने के लिए सीएमओ को प्रभारी बनाया जाता है तो सप्ताह में उनके लिए दिन भी निश्चित किया जाए। आम जनता को शासकीय योजनाओं जानकारी एवं अन्य कार्यालयीन कार्य का लाभ मिल सके न कि प्रभार के दोनों नगर परिषदों का कार्य प्रभावित हो। (रामलखन गुप्त)
