रीवा, मप्र। भारत में टेलीकॉम क्रांति की कभी अग्रणी रही रिलायंस जिओ इंफोकॉम लिमिटेड अब अपनी घटिया सर्विस की वजह से औंधे मुँह दलदल में धंस रही है। अगर आपको याद होगा तो इससे पहले 2017 में अनिल अंबानी की रिलायंस कम्युनिकेशन (आरकॉम) को ऐसी ही कुछ लापरवाही की वजह से बंद करना पड़ा था। और सबसे बड़ी परेशानी ये थी की आधा से ज्यादा ग्राहकों को ये सब अचानक पता चला था, जिसकी वजह से ग्राहकों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। कहीं ऐसा ही कुछ मुकेश अम्बानी की रिलायंस जिओ के साथ तो नहीं होने वाला है।
मूलभूत सुविधाओं में शामिल हो चूका है मोबाइल
आज के दौर में बिजली पानी सड़क और रोटी कपड़ा मकान के साथ – साथ मोबाइल नेटवर्क भी मूलभूत सुविधाओं का अभिन्न अंग है। बावजूद इसके ग्राहकों द्वारा कई बार शिकायत के बाद भी जिओ के अधिकारीयों द्वारा इस मामले में न तो कोई कार्यवाई की गई न ही ग्राहकों की सुनवाई हुई। अब ऐसे में जिन ग्राहकों द्वारा महीने दो महीने चार महीने का रिचार्ज कराया गया वो पूरी तरह से व्यर्थ या कहिये जिओ द्वारा बिना सुविधा दिए वसूल लिया गया है। और उन्हें महज दिखाने के लिए मोबाइल में झूठा टावर और 4G का लॉलीपॉप दे दिया गया है।
एक नज़र
ऐसे में एक बार फिर लोग सरकार को ही कोसते हैं क्यूंकि कहीं न कहीं सरकार के कार्यक्षेत्र वाले दायरे में जिओ जैसी तमाम कंपनियां भी आती हैं फिर चाहे वो देश की हों या देश से बहार। साथ में ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) के कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न उठता है कि कई महीनों से जिओ कि इंटरनेट सुविधाएँ बद से बदतर होने के बावजूद अब तक जिओ पर कोई कार्यवाई क्यों नहीं हुई ?
जानकारी के मुताबिक कुछ ग्राहकों द्वारा नंबर को दूसरे ऑपरेटर में पोर्ट भी कर दिया गया है और कुछ ग्राहकों ने बताया कि जैसे ही उनका रिचार्ज पूरा होगा वो भी एयरटेल या वोडाफोन आईडिया में पोर्ट हो जायेंगे।
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