त्योंथर, रीवा, मप्र। त्योंथर तहसील के पूर्वांचल में बरहोंपार के नाम से जाना जाने वाला भू-भाग एक अलग पहचान के साथ पूरे क्षेत्र में जाना जाता है। यहाँ एक तरफ बेलन नदी का आशीर्वाद तो दूसरी तरफ पानी से लबालब नहर निकलती है। बरहोंपार में बरेठी, माँगी, कोराँव, डीही,अमिलहवा, कुडूरी, पुरवा मनीराम, अमिलिया ग्रामों की 70- 80% भूमि की सिंचाई की जाती है।
लेकिन इसी बरहोंपार के मझीगवां, कठोली, बरुआ, गंथा, बसहट, भिगुड़ी, पूर्वां मनीराम समेत आस-पास के गांवों में एक छोटी सी लापरवाही की वजह से जमीनें धीरे – धीरे बंजर होने की कगार पर हैं। जिसके पीछे की वजह है बेलन नदी और नहर के बीच की खेती युक्त जमीनों का पानी से वंचित होना। हालाँकि महज थोड़ी सी व्यवस्था से ये इलाका भी हरा – भरा हो सकता है। और वो व्यवस्था है छोटी – मोटी नाली नुमा नहर। अगर बेलन नदी और नहर के बीच सम्बद्ध स्थापित कर दिया जाये तो शायद पूरा बारहोंपार हराभरा हो जायेगा।
इस मामले में स्थानीय समाज सेवी मानेंद्र द्विवेदी द्वारा जानकरी दी गई कि उक्त सभी ग्राम बेलन नदी के किनारे स्थित है, किंतु मध्य प्रदेश के किसानों को बेलन नदी के पानी का लाभ नहीं मिल पाता है। जिसके पीछे की वजह है इस पानी का उपयोग आगे चलकर उत्तर प्रदेश की सीमा पर सिंचाई हेतु नहरे निकाल कर तथा पेयजल के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस्तेमाल किया जाता है। यदि त्योंथर के विधायक योजना बनाकर बेलन नदी के जल को किसानों के खेत तक पहुंचाने में सफल हो जाते हैं, तो बरहोंपार धान का कटोरा बनकर त्योंथर तहसील की गरिमा में चार चांद लगा सकता है। लेकिन किसानों के मसीहा बने प्रदेश सरकार के मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं त्योंथर के निर्वाचित विधायक जी का ध्यान इस ओर नहीं जाता है, कि त्यौंथर तहसील को धान का कटोरा बनाने की दिशा में सकारात्मक सोच के साथ रुचि ले कर बरहोंपार के किसानों का उद्धार करें और मौका मुआयना करवा आवश्यक प्रस्ताव शासन के समक्ष प्रस्तुत करें, नहीं तो आगे चलकर यहाँ की पूरी जनता 2023 विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेगी।
शासन-प्रशासन का रवैया इस बात का निर्धारण करेगा की यह बरहोपार का क्षेत्र मध्य प्रदेश को क़ृषि प्रधान राज्य का दर्जा दिलाने, कर्मठ पुरस्कार प्राप्त कराने मे अपना योगदान देगा कि अन्नदाताओं कि बदहाली को लेकर प्रदेश का लघु विदर्भ बनेगा।