प्रशासनिक अधिकारियों और शासकीय अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट को गुमराह करते हुए तथ्यविहीन जांच और फर्जी पुलिस खात्मा रिपोर्ट पर कलेक्टर और कमिश्नर की जांच सहित FIR शून्य बताया, फर्जी तरीके से बिना खात्मा FIR शून्य बताकर सभी आरोपियों को हाईकोर्ट की सिंगल बेंच से मिली क्लीन चिट – सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी
रीवा, मप्र। भारतीय न्यायिक इतिहास में शायद पहली बार ऐसा हुआ है जब एक व्यापक स्तर के कराधान घोटाले को लेकर हाईकोर्ट जबलपुर को गुमराह किए जाने का मामला सामने आया है। प्राप्त तथ्यों और सबूतों के आधार पर जो बात सामने निकल कर आई है, उससे अब न्यायपालिका के ऊपर से लोगों का पूरी तरह से विश्वास उठने लगेगा। मामला गंगेव जनपद की 38 ग्राम पंचायतों में हुए व्यापक स्तर के कराधान घोटाले में तत्कालीन कलेक्टर एवं कमिश्नर के जांच प्रतिवेदन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हुआ था, से जुड़ा हुआ है। व्यापक स्तर के भ्रष्टाचार की जांच की गई और जांच प्रतिवेदन में जहां तत्कालीन कलेक्टर रीवा ओम प्रकाश श्रीवास्तव एवं तत्कालीन कमिश्नर रीवा संभाग अशोक भार्गव के द्वारा गठित संभाग स्तरीय जांच दल ने लगभग 12 करोड़ रुपए की राशि प्राइवेट वेंडरों के खातों में बिना कार्ययोजना और बिना कार्य कराए ही जारी कर दिए जाने का प्रतिवेदन दिया था, उसके बाद लीपापोती का खेल प्रारंभ हुआ।
मामले पर बिना किसी अधिकारिता के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा द्वारा उक्त दोनों जांचों को कचरे के डिब्बे में डालते हुए जो जांच संभागस्तरीय अधिकारियों और अधीक्षण यंत्री स्तर के अधिकारी द्वारा की गई थी उसे वापस निचले स्तर के उपयंत्रियो और प्रभारी सहायक यंत्रियों के स्तर की अलग से करवा दी गई जिसके आधार पर बाद में चलकर दोषी 27 ग्राम पंचायतों के 22 सरपंच सचिव इंजीनियर एवं कराधान घोटाले के मास्टरमाइंड निलंबित राजेश सोनी जनपद पंचायत गंगेव सहायक ग्रेड 3 को हाईकोर्ट जबलपुर से क्लीन चिट प्राप्त हो गई है।
हालाँकि पुलिस अधीक्षक कार्यालय रीवा एवं एसडीओपी कार्यालय मनगवा में लगाई गई आरटीआई में जो जानकारी प्राप्त हुई है , उसमें बताया गया है कि, ” मनगवां थाने में आरोपियों निलंबित लिपिक सहायक ग्रेड 3 राजेश सोनी, शिवशक्ति कंस्ट्रक्शन के प्रोपराइटर नागेंद्र सिंह और रोजगार सहायक रही उनकी पुत्री प्रतिभा सिंह के विरुद्ध दर्ज अपराध क्रमांक 470/2020 आईपीसी की धाराएं 409, 420, 120बी एवं आईटी एक्ट की धाराएं 66सी एवं 66डी में कोई खात्मा रिपोर्ट नहीं लगाई गई है। प्राप्त जानकारी में यहां तक बताया गया है कि पिछले 2 वर्ष से दो आरोपियों राजेश सोनी और नागेंद्र सिंह के विरुद्ध तो मनगवां पुलिस ने अब तक चार्जशीट भी पेश नहीं की है। “
अब बड़ा सवाल यह है कि जब एफआईआर में खात्मा रिपोर्ट नहीं लगाई गई तो फिर कैसे प्रशासनिक अधिकारियों और शासकीय अधिवक्ताओं ने ऐसी भ्रामक और गुमराह करने वाली जानकारी हाईकोर्ट में देकर संबंधित आरोपियों को क्लीन चिट दिलवाए जाने में मदद की ?
- शिवानंद द्विवेदी, सामाजिक कार्यकर्ता