माँगी रायपुर सोनौरी ढखरा में धान उपार्जन में जमकर हो रही धांधली

त्योंथर, रीवा। आपसी सांठ-गांठ कर शासन – प्रशासन की आंख में झोंक रहे हैं धूल। त्योंथर तहसील क्षेत्र में शायद ही कोई ख़रीदी केंद्र हो जहाँ पर किसानों का शोषण ना हो रहा हो। किसानों की नासमझी ने किसानों को इतना डरा दिया है कि बेचारे कुछ बोल ही नहीं पाते और इसी का फायदा समिति प्रबन्धको द्वारा उठाया जाता है।

  • चार दिनों से अपनी बारी के इंतजार में खड़े हैं किसान, कहीं मज़दूर नहीं तो कहीं कोई वज़ह तक पता नहीं

नाम ना छापने की शर्त पर कुछ लोगों द्वारा बताया गया कि माँगी ख़रीदी केंद्र में तो किसान की धान बाद में तौल की जाती है पहले उनका सहारा लेकर उत्तर प्रदेश से लाई गई अवैध धान को निपटाया जाता है ताकि कोई जाँच के लिए आये भी तो किसी को शक ना हो। कुछ किसानों ने यह भी बताया कि जब आप लोग आते हैं तो केंद्र द्वारा कुछ लोगों को एजेंट के रूप में भी रखा गया है जो हमेशा आपके पीछे लगे रहेंगे ताकि किसान कुछ बोल ना पाएँ और जो बोलने की जहमत उठाता है उसको चिन्हित कर परेशान किया जाता है।

एक ही कंपनी का सर्वेयर उपार्जन केंद्र और गोदाम में है, बावजूद इसके धान के लॉट को वापस कर दिया जाता है , ऐसा क्यों ?

इतना ही नहीं रायपुर खरीदी केंद्र जो अपने को पाकसाफ़ बता रहते थे, आज जाँच दल द्वारा औचक निरीक्षण में सारा कच्चा चिट्ठा खोल दिया गया। रायपुर केंद्र में तौल में गड़बड़ी के साथ – साथ अमानक धान की ख़रीदी भी जमकर चल रही थी, जिसका जाँच दल द्वारा मौक़े से ही चालान बना दिया गया।

थोड़ी दूर में ढखरा और सोनौरी केंद्र भी है, जहाँ के हालात कुछ अलग नहीं मिले। वहाँ भी जैसे ही हमारी टीम घुसी केंद्र के लोग इकट्ठा हो गए और हमे दूसरे किसानों तक पहुँचने ही नहीं दिया गया। साथ ही इन जगहों में लगाये गये सर्वेयर से भी उपार्जन केंद्रों ने ऐसी पकड़ बना ली के बेचारे उनके हाँथ के कठपुतली बन के रह गये।

लेकिन कहते हैं न गलतियां कहीं न कहीं पकड़ में आ ही जाती हैं। औचक निरीक्षण में एक लॉट में नमी मानक से बहुत ज्यादा मिली तो वहीं एक जगह तौल में मनमानी दिखी। जिसे ये कह कर गुमराह करने की कोशिश की गई कि तौल करने वाले पढ़े – लिखे नहीं हैं और गलती किसान कि है। सबसे बड़ी बात ये है कि इन सभी केंद्रों में कुछ चीज़ें एक जैसी मिलीं जिससे शक बढ़ता है कि कहीं ये आपस में साठ गाँठ कर शासन- प्रशासन की आँख में धूल तो नहीं झोंक रहे?

धान उपार्जन केंद्रों से लगातार इस तरह के मामले संज्ञान में आना कहीं न कहीं सिस्टम की लापरवाही की तरफ इशारा करते हैं , जिसे समय रहते नियंत्रण में लाना होगा।

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