एक परिवार के दो लोगों को अनुकम्पा नियुक्ति – टेंट संचालक, सहायक संचालक थे अनुकम्पा नियुक्ति के नोडल अधिकारी ?
रीवा के शिक्षा विभाग में हुए अनुकम्पा नियुक्ति मामले में नित नए खुलासे हो रहे हैं। जैसे – जैसे जांच आगे बढ़ रही है और रिकॉर्डों का परीक्षण किया जा रहा है, वैसे – वैसे अधिकारियों के नए – नए कारनामे उजागर हो रहे हैं। गौरतलब है कि जिले के शिक्षा विभाग में बृजेश कोल को फर्जी अनुकंपा नियुक्ति देने का मामला उजागर हुआ था। जिसमें नियुक्ति पत्र में वर्तमान डीईओ सुदामा गुप्ता के हस्ताक्षर थे जबकि अनुकम्पा नियुक्ति के नोडल अधिकारी अखिलेश मिश्रा थे। जिनकी टीप और अनुशंसा पर बृजेश कोल को अनुकम्पा नियुक्ति दी गई थी। मामला उजागर होने के बाद लिपिक रामप्रसन्न द्विवेदी को निलंबित कर, नोडल लिंक अधिकारी अखिलेश मिश्रा को बचाने का भरपूर प्रयास किया गया। किंतु पिछले एक वर्ष में हुई अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों की जांच के दौरान अनुकम्पा नियुक्ति घोटाले की परतें एक – एक कर खुलने लगी हैं। ऐसे – ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। जिसमें नीचे से ऊपर तक पूरे सिस्टम के शमिल होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का एक मामला सामने आने के बाद पिछले एक वर्ष में हुई अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों एवं उनके दस्तावेजों की जांच शुरू हुई थी। नियुक्ति पाने वालों को रिकॉर्डों के साथ डीईओ कार्यालय में तलब किया गया था। जिसमें जांच के दौरान एक ऐसा मामला भी सामने आया, जिसमें एक ही परिवार के भाई बहन दोनों को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की गई है। जहां भाई अंजेश रावत पिता रामसखा रावत को तत्कालीन डीईओ आरएन पटेल ने 2023 में पीके स्कूल में नियमानुसार नियुक्ति प्रदान की थी। वहीं एक साल बाद उसकी सगी बहन साधना कोल पिता रामसखा कोल को तत्कालीन डीईओ गंगा उपाध्याय ने मार्च 2024 में कन्या गंगेव में नियुक्ति दे दी। आश्चर्य की बात तो यह है कि बहन साधना कोल के नियुक्ति पत्र पर तत्कालीन डीईओ गंगा उपाध्याप ने उसी दिन हस्ताक्षर किया था, जिस दिन डीईओ के पद से मुक्त हो रहे थे। गौरतलब है कि तब अनुकम्पा नियुक्ति के नोडल एवं लिंक अधिकारी, टेंट संचालक सहायक संचालक थे। जिन्होंने साधना कोल की नियुक्ति की अनुशंसा अपनी टीप के साथ की थी और तत्कालीन डीईओ गंगा उपाध्याय से ऐन वक्त पर हस्ताक्षर कराकर साधना कोल की नियुक्ति आदेश जारी किए। इस तरह एक कर्मचारी की मृत्यु पर एक ही परिवार से दो लोगों को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान कर दी गई। यहीं से फर्जी अनुकंपा नियुक्ति की शुरुआत हुई। माना जा रहा है कि फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति मामले के मास्टर माइंड टेंट संचालक सहायक संचालक ही हैं। जिसके अनुमोदन से फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति का पहला आदेश जारी हुआ था। इसी के बाद फर्जी अनुकंपा नियुक्ति का खेल शुरू हुआ।जिसमें डीईओ ऑफिस के साथ – साथ ,जेडी आफिस के भी कुछ लोगों के शामिल होने की आशंका है। इस तरह फर्जी अनुकंपा नियुक्तियों के छीटे वर्तमान डीईओ सुदामा गुप्ता से लेकर पूर्व डीईओ गंगा उपाध्याय, योजना अधिकारी अखिलेश मिश्रा के साथ – साथ टेंट संचालक सहायक संचालक तक जा रहे हैं। इस सारे मामले का मास्टर माइंड टेंट संचालक सहायक संचालक को ही माना जा रहा है। जिसकी उच्च स्तरीय जांच की जरूरत है किंतु आश्चर्य की बात यह है कि इतने बड़े मामले के उजागर होने के बाद भी जिला प्रशासन ने इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया। न ही फर्जी नियुक्ति लेने वालों को गिरफ्तार कर उनके बयान ही लिए गए।जिम्मेदारों द्वारा फर्जी नियुक्ति लेने वालों की नियुक्ति निरस्त करने की बात कही गई है।लेकिन फर्जी नियुक्ति देने वालों पर क्या कार्यवाही होगी इस पर विभाग और प्रशासन मौन है।
जेडी ने गठित की जांच समिति
मामले की गंभीरता को देखते हुए संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा संभाग नीरव दीक्षित ने अनुकंपा नियुक्ति के मामलों की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है। जिसमें पीजीबीटी के प्राचार्य डॉ आरएन पटेल, सीधी के पूर्व डीईओ एवं गवर्न्मेंट 1 के प्राचार्य डॉ. प्रेमलाल मिश्रा तथा मार्तण्ड 1 के लेखापाल हीरा सिंह को शामिल किया गया है। जांच समिति में डॉ पटेल एवं डॉ मिश्रा को शामिल किए जाने से जिम्मेदारों के हांथ – पाँव फूलने लगे हैं।
शिक्षा विभाग में फर्जी नियुक्ति के संबंध में की गई कड़ी कार्यवाही
शिक्षा विभाग में फर्जी नियुक्ति के संबंध में संबंधितों के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही की गई है। कलेक्टर कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार लिपिक रमाप्रपन्न द्विवेदी को निलंबित करते हुए उनके विरूद्ध पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। इसी क्रम में विवेचना अधिकारी ओआईसी अनुकंपा नियुक्ति अखिलेश मिश्रा के निलंबन का प्रस्ताव आयुक्त रीवा संभाग को प्रेषित किया गया है। इसी प्रकार फर्जी नियुक्ति के संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी सुदामालाल गुप्ता को घोर लापरवाही बरतने के आरोप में स्पष्टीकरण लिये जाने के साथ ससंगत कार्यवाही किये जाने का प्रस्ताव रीवा संभाग को प्रेषित किया गया है।
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