चाकघाट। चाकघाट की सीमा से लगे महाकुंभ प्रयागराज मेले में जाने वाले तीर्थ यात्रियों के साथ प्रशासन कर रहा है भेदभाव। जिसके चलते अनेक तीर्थ यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महाकुंभ मेले का व्यापक प्रचार प्रसार करके हर सनातनी आम अवाम को कुंभ स्नान के लिए प्रभावित किया गया था। महाकुंभ की महत्ता को बताते हुए यह भी प्रचारित किया गया कि 144 वर्ष बाद लगने वाल महाकुंभ में लोग आएं पुण्य कमाए। किंतु शासन द्वारा जिस विश्वास के साथ प्रयागराज जिला प्रशासन एवं मेला प्रशासन को प्रयागराज महाकुंभ व्यवस्था की जिम्मेदारी दी गई थी प्रशासन उस व्यवस्था को संभालने में नाकाम दिख रहा है। प्रयागराज में अनेकों बार लगे कुंभ मेला के इतिहास से सीख न लेते हुए वर्तमान व्यवस्था चौपाट ही नजर आ रही है।
व्यापक पैमाने पर शासन की सूचना तंत्र से मिलने वाली जानकारी के बावजूद भी प्रशासन की दूरदर्शिता पूरी तरह समाप्त होती दिख रही है।महाकुंभ मेले में जब संपूर्ण देश से लोगों का आना निश्चित था तब प्रशासन द्वारा ऐसी व्यवस्था नहीं बनाई गई की सभी तीर्थ यात्री गंगा क्षेत्र में पहुंचकर सुगमता पूर्ण स्नान कर सकें। आरोप है कि तीर्थराज प्रयाग में आने वाले तीर्थ यात्रियों के साथ प्रशासन द्वारा भारी भेदभाव किया जा रहा है। यातायात व्यवस्था के नाम पर जिन वाहनों में यूपी 70 नंबर रहता है उन वाहनों को सुगमता से प्रवेश मिल जाता है किंतु जो अन्य प्रन्त या पड़ोसी जिलों के नंबर वाले वाहन होते हैं उनके साथ प्रशासन की बेरहम देखने को मिलती है। वाहन पास होने के बावजूद भी अन्य प्रान्तों के नंबर देखकर ही वाहनों को प्रवेश से रोक दिया जाता है। जिला प्रशासन की एवं मेला प्रशासन की अदूरदर्शिता के चलते ही महाकुंभ अव्यवस्थाओं के दौर से गुजर रहा है। प्रयागराज क्षेत्र में जिस ढंग से वाहनों का आगमन हो रहा है उसे ढंग से वाहन पार्किंग की सुविधा पहले से सुनिश्चित नहीं की गई है। बाहरसे आने वाले तीर्थ यात्री अपने वाहन कहां खड़ी करके, कैसे गंगा स्नान करेंगे इसके बारे में पहले से ही कोई सार्थक योजना नहीं बनाई गई जिसके चलते 30 किलोमीटर से ज्यादा दूरी की पैदल यात्रा करने के लिए लोग मजबूर हो रहे हैं।
प्रयागराज मेला प्रशासन एवं जिला प्रशासन की पुलिस का केवल एक ही कम दिखाई पड़ता है कि वह तीर्थ यात्रियों को कितना अधिक से अधिक परेशान कर सके। उनको सही मार्ग न बताकर उन्हें केवल अपने तैनाती स्थल से दूर करने का ही काम किया जा रहा है। मेला में रीवा रोड की ओर से जाने वाले मध्य प्रदेश गुजरात तमिलनाडु आंध्र प्रदेश आदि अनेक प्रांतो के वाहनों में सवार तीर्थ यात्रियों के वाहन को मेला क्षेत्र में प्रवेश करने नहीं दिया जा रहा है। जबकि उत्तर प्रदेश यूपी 70 नंबर के वाहनों को बिना पास बिना किसी बाधा के नैनी पुल से शहर के भीतर आ जा सकते हैं। यदि मेला प्रशासन और उत्तर प्रदेश की सरकार को अन्य प्रदेश के वाहनों को मेला क्षेत्र के लिए नैनी चौराहे से ही अंदर नहीं घुसने दिया जा सकता तो उनके लिए न तो पर्याप्त पार्किंग की व्यवस्था की गई और न ही जाम में फंसे यात्रियों के लिए भोजन पानी दवा की कहीं कोई व्यवस्था की जा रही है। चाकघाट से प्रयागराज रोड पर नेशनल हाईवे 30 के 7- 8 घंटे तक जाम में फंसे लोगों को किसी भी तरह से राहत देने की प्रशासन द्वारा कोई व्यवस्था नहीं बनाई गई है। महाकुंभ मेले में आकर लोग स्नान करें और उत्तर प्रदेश सरकार की व्यापक व्यवस्था की सराहना हो ऐसी भावना लेकर तीर्थ यात्री प्रयागराज में आते हैं किंतु यहां प्रशासनिक अव्यवस्था लापरवाही एवं तीर्थ यात्रियों के साथ दोयम दर्जे की हो रहे व्यवहार से भारी दुखी मन से नैनी चौराहे से ही लोग वापस लौटकर प्रशासन की अवस्था की निंदा करते नहीं थक रहे हैं।
गत 6 फरवरी से वाहनों का जाम इस कदर लग रहा कि उनकी कोई व्यवस्था प्रशासन द्वारा नहीं की गई। वाहनों में सवार महिलाएं बच्चे परेशान होते रहते हैं। न तो उनके लिए कोई पार्किंग व्यवस्था है और न ही बीच में कहीं कोई बुनियादी सहायता। जिला प्रशासन के इस अदूरदर्शी निर्णय एवं अव्यवस्था से मेला प्रबंधन पर उठ रहे सवालिया निशान इस ओर संकेत करते हैं कि क्या यहां का जिला प्रशासन एवं मेला प्रशासन को इतनी संख्या में तीर्थ यात्रियों के आगमन का अनुमान नहीं था। या यहां के अधिकारी मेला व्यवस्था की झूठी रिपोर्ट तैयार करके शासन को गुमराह करते रहे हैं की सब कुछ ठीक-ठाक होगा जबकि ऐसा नहीं हो रहा है। इस बात से इंकर नहीं किया जा सकता कि दक्षिण भारत की ओर से आने वाले तीर्थ यात्रियों के साथ मुंह देखी व्यवहार करके यहां के प्रशासनिक लोग मेला की व्यवस्था बिगाड़ कर उत्तर प्रदेश सरकार की छवि धूमिल करने में लगे हैं। मेला में बढ़ते वाहन की दबाव को रोकने के लिए अभी भी मेला प्रबंधन के पास कोई कारगर उपाय नहीं दिख रहा है। जिससे तीर्थ यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। (रामलखन गुप्त)