अचानक से जिले भर में विकास ने जोर पकड़ लिया है। कहीं सड़क तो कहीं नहर तो कहीं पुल का भूमि पूजन हो रहा है। लगातार सोशल मीडिया से लेकर गली कूचे में बैनर का जोर दिख रहा है। न जाने ये विकास अभी तक कहाँ चला गया था।
त्योंथर रीवा, मप्र। कहने को तो देश आधुनिकी व्यवस्था और तकनिकी का प्रयोग लगभग सभी विकास के कार्यों में शुरू कर चूका है। लेकिन क्षेत्र में बन रही सड़कों कि जब बात आती है तो कहीं न कहीं ज़िम्मेदार अलग ही अंदाज में नजर आते हैं। कोई जनप्रतिनिधि को खुश करने के लिए मंच से ही हवाई दावा ठोंक देता है तो कोई महज दिखावे के लिए काम को शुरू कर दे रहा है।
पहले भी जो सड़के बनी थीं उनकी भी हालत कुछ ख़ास ठीक नहीं है। फिर चाहे वो राष्ट्रीय राजमार्ग मनगवां – चाकघाट हो, बघेड़ी – सोनौरी मार्ग हो, चाकघाट – चंदपुर मार्ग हो, सोहागी – त्योंथर या राजापुर मार्ग हो या कोई और मार्ग। हालाँकि कुछ सड़कों कि खस्ता हालत को लेकर किसी ने मार्ग पर ही धान लगा कर विरोध जताया तो किसी ने शासन – प्रशासन को ज्ञापन देकर। लेकिन अभी तक ऐसे मामलों में कोई ख़ास सुनवाई हुई नहीं है।
विकास के नाम पर दावा कर रही सरकार को भी जमीनी हकीकत से रूबरू होना पड़ेगा क्यूंकि जो जानकरी वहां तक पहुँच रही हैं कहीं उसमें फ़िल्टर तो नहीं लगा है। क्यूंकि बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा के साथ – साथ आवास, पेंसन, अनाज वितरण जैसी अन्य शासन द्वारा दी जा रही सुविधाओं कि भी स्थिति धीरे – धीरे जर्जर होती जा रही है।
इसमें एक और कहानी निकल कर आती है जिसको प्रदेश के मुखिया श्री शिवराज सिंह चौहान ने भी अपने एक आयोजन में जनता के सामने स्वीकार किया था। जिसमें उन्होंने जुगाड़ करने वालों या ये कहिये स्वप्ष्ट शब्दों में दलालों से सावधान रहने के लिए कहा था। उनका कहना था ये दलाल कहीं न कहीं से जुगाड़ मारकर व्यवस्था को गुमराह करते हैं , ऐसे लोगों को हम खुद से दूर रखेंगे ताकि जनता को उसका हक़ सही तरीके से मिल सके।
सवाल ये है कि अचानक इतनी तेजी से अधाधुंध चहुमुखी विकास कि जो बेला दिख रही है , इसमें चल रहे निर्माण कार्य के दौरान हो रही अनियमितताओं का ज़िम्मेदार कौन होगा ?