दो वक्त की रोटी के लिए गांव में करती थीं मजदूरी , अब दूसरों को दे सकती हैं रोजगार

गुढ़ के महसांव गांव की निवासी परमिता साकेत पहले मजदूरी कर अपना जीवन यापन करती थी तथा उसकी रोजी-रोटी किसी प्रकार चल रही थी। ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वसहायता से जुड़कर परमिता की आर्थिक स्थिति सुधरी और अब उन्होंने अपना कम्प्यूटर सेंटर स्थापित कर लिया है जिससे उन्हें वर्ष में डेढ़ लाख रूपये से अधिक की आमदनी हो जाती है।

कम्प्यूटर सेंटर से स्वसहायता समूह की महिला को हो रहा है मुनाफा

रीवा, मप्र। परमिता बताती हैं कि मैं वंदना स्वसहायता समूह से सदस्य के तौर पर जुड़ी और बाद में मैं ग्राम संगठन में अध्यक्ष चुनी गई। संगठन के अन्तर्गत 30 समूह हैं जिनकी बैठकें करने व देखरेख के साथ बैंक सखी व बुक कीपर का काम भी परमिता करती हैं। उनके समूह को आरएफ व सीआईएफ मद से 75000 रूपये मिले जिससे सभी महिलाओं ने आजीविका गतिविधियाँ आरंभ की। परमिता ने यस कम्प्यूटर सेंटर की गतिविधि को चुना अब उनका महसांव में कम्प्यूटर सेंटर है जिसमें कम्प्यूटर से संबंधित सभी कार्यों के साथ आधार कार्ड से पैसे निकाले का भी काम किया जाता है। परमिता कहती हैं कि किसी ने सोचा भी नहीं था कि महिलाएं आत्मनिर्भर होंगी मगर यह सब संभव हुआ है प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री जी की हितग्राहीमूलक योजनाओं के लागू होने कारण स्वसहायता समूह ने हमें एक सूत्र में बांधा तथा इससे जुड़कर हम सशक्त हुई और आर्थिक तरक्की की राह आसान हुई। वह खुले दिल से प्रधानमंत्री श्री मोदी व मुख्यमंत्री श्री चौहान को कोटिश: धन्यवाद देती है।

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