महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा रीवा जिले में बाल संप्रेक्षण गृह और हरि बालगृह का संचालन किया जा रहा है। किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के तहत इनमें अपचारी और निराश्रित बच्चों की देखभाल की जाती है। जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती प्रतिभा पाण्डेय ने बाल संप्रेक्षण गृह और बाल गृह में रह रहे बच्चों की देखभाल और उनके जीवन को नई दिशा देने में सहयोग की अपील की है। श्रीमती पाण्डेय ने कहा है कि इन संस्थाओं में जनप्रतिनिधि, समाजसेवी, गणमान्य नागरिक, अधिकारी तथा कोई भी व्यक्ति सहयोग कर सकता है। यह सहयोग आर्थिक रूप में हो सकता है। इसके साथ-साथ इन बच्चों के साथ नियमित मुलाकात करके उनके साथ समय बिताना, खेलना, नैतिक शिक्षा देना, पढ़ाना, कम्प्यूटर का ज्ञान कराना, कला और संस्कृति की शिक्षा देना तथा कौशल विकास के लिए मार्गदर्शन के रूप में भी सहयोग दिया जा सकता है। इन बच्चों को नशामुक्ति का संदेश देने, मनोवैज्ञानिक सलाह तथा अन्य तरीके से भी जीवन की सही दिशा और खुशियों का मार्ग दिखाया जा सकता है। इन बच्चों के लिए किताबें, खेलकूद सामग्री, वाटर कूलर तथा कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण देकर भी सहयोग किया जा सकता है। इस संबंध में अन्य जानकारियाँ जिला कार्यक्रम अधिकारी कार्यालय कलेक्ट्रेट रीवा से प्राप्त की जा सकती हैं।
