रीवा,मप्र। शिक्षा का मंदिर बना अनियमितताओं का गढ़
एक समय था जब बड़े बूढ़े सीना चौड़ा करके सरकारी स्कूल की तरफ इशारा कर के कहते थे, ” ये देखो मेरी स्कूल , मैं यहीं से पढ़ा हूँ “ और वो समय हमारे लिए बेहद ही रोमांचक और शिक्षाप्रद होता था। लेकिन आज सब कुछ बदल गया है।
पहले सरकारी स्कूलों में भवन न के बराबर होता था लेकिन शिक्षा गज़ब की , और वो भी महज एक दो शिक्षकों द्वारा ही जिम्मेदारी उठाई जाती थी।
और आज जबकि लाखों – करोड़ों रुपय शिक्षा के नाम पर खर्च किया जा रहा, परिणाम के साथ – साथ व्यवस्थाएं भी धराशायी हो रही हैं।
आज की स्कूल – शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय रेरुआ (जन शिक्षा केंद्र कोरांव)
हमारे संवाददाता जब स्कूल परिसर में पहुंचे तो पाया चारों तरफ गंदगी पसरी हुई है। बच्चे बाहर बैठ कर पढ़ रहे थे। वजह पूँछने पर बताया गया परीक्षा चल रही है। लेकिन कुछ ही देर में हक़ीकत सामने आ गई।
स्कूल परिसर में जब प्रधानाचार्य की अनुमति के बाद मुआयना किया गया तो भवन की हालत जर्जर मिली। मंदिर रूपी विद्यालय कैसे हैं किन हालातो में हैं शायद ! इन्हे देखने वाला कोई नहीं हैं। एक विद्यालय जहाँ से निकल कर कई विद्यार्थियों ने अपने जीवन के बहुआयामी मुकाम हासिल किये हैं , उसी विद्यालय में नया भवन निर्माण कराया गया ताकि और लोग अपना भविष्य बेहतर सुविधा के साथ निखार सकें। लेकिन अफ़सोस नया भवन भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ गया और पुराना भवन आज भी सेवाएं दे रहा है।
मतलब साफ था , बच्चे बाहर भवन की दयनीय स्थिति की वजह से बैठे थें। क्यूंकि भवन इतना जर्जर हो चुका है की कभी भी हादसा हो सकता है।
भवन की जर्जर हालत , भ्रस्टाचार की चढ़ा भेंट
जानकारी के मुताबिक तक़रीबन 10 साल पहले स्कूल को नया भवन मिला था। लेकिन अब भवन की स्थिति भयावह है। नया भवन इस हालत में है कि कब गिर जाए कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे हालत में बच्चों को स्कूल में रखना किसी बड़े हादसे को न्योता देना कहा जा सकता है।
ऐसे भवन निर्माण का जिम्मेदार कौन है ?
क्या शिक्षा का मंदिर कहे जाने वाले यह विद्यालय ऐसे ही बनते हैं ?
या सरकार को या यूं कहा जाए कि जिम्मेदार अधिकारियों को किसी बड़ी घटना का इंतजार है ?
सार
अब आप ये मत सोच लीजिये कि मामला सिर्फ एक स्कूल तक ही सिमित है। ऐसी कई स्कूलें हैं जिनको देखा कर लगता है ” लाखों रुपयों का बेडा गर्ग कर दिया गया है। ”
अब इसकी जाँच कब होगी या इस खबर पर असर कब होगा पता नहीं लेकिन हाँ कुछ लोग चुटकिया जरूर ले रहे हैं।
संवाददाता – ब्रह्मानदं त्रिपाठी बिन्नू , बहरैचा