मप्र राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का एक बड़ा निर्णय सामने आया है। इस निर्णय में राहुल सिंह ने सीईओ जिला पंचायत को उनके कार्यालय में प्राप्त होने वाली शिकायतों और उनके निस्तारण की प्रक्रिया को सूचना के अधिकार के तहत सार्वजनिक करने के आदेश जारी किए हैं। दरअसल मामला आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी की एक आरटीआई से जुड़ा हुआ है। सीईओ जिला पंचायत कार्यलाय रीवा में दायर की गई आरटीआई में सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी ने कुछ निश्चित वर्षों में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रीवा कार्यालय में प्राप्त हुई शिकायतों और उनके निस्तारण की जानकारी चाही गई थी। जब आरटीआई की जानकारी समयसीमा में नही मिली तो आवेदक ने प्रथम अपील की थी। प्रथम अपील का भी विधिसम्मत निराकरण न होने पर मामले की द्वितीय अपील सूचना आयोग भोपाल में की गई थी। जब सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने मामले की सुनवाई अपने अरेरा हिल्स भोपाल स्थित सूचना भवन में की तो सीईओ जिला पंचायत रीवा में तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय अधिकारी को जानकारी छुपाने और आरटीआई की 30 दिन की समयसीमा में आवेदक को जानकारी न प्रदाय किए जाने का दोषी पाया। इसके बाद सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आदेश जारी किया है की कार्यालय में उपलब्ध जानकारी तत्काल आवेदक को उपलब्ध कराई जाय और सूचना आयोग को भी अवगत कराया जाय।
मामले पर जब आरटीआई एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया की सीईओ जिला पंचायत रीवा कार्यालय में आरटीआई कानून की हत्या की जा रही है। आवेदकों को कभी भी समयसीमा पर जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जाती। लेकिन सूचना आयुक्त राहुल सिंह के इस आदेश के बाद उम्मीद की जा रही है अब सूचना के अधिकार कानून को गंभीरता से लिया जाएगा। यदि अब भी जानकारी न दी जायेगी तो निश्चित तौर पर दोषियों के विरुद्ध 25 हजार रुपए के जुर्माने और धारा 20 के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की माग सूचना आयोग से की जायेगी साथ ही लोक प्राधिकारी और वरिष्ठ अधिकारी के तौर पर कार्यरत सीईओ जिला पंचायत रीवा को भी उल्लंघन के लिए उत्तरदाई बनाया जायेगा।
