त्योंथर ब्यूरो। त्योंथर तहसील अंतर्गत इलाकों में आवारा पशुओं की बढ़ती तादाद ने सड़क दुर्घटनाओं में लगातार इजाफा कर दिया है, जिसकी वजह से हर साल औसतन 50 लोगों की मौत होती है। लेकिन अभी तक सड़कों पर आवारा पशुओं की रोकथाम के लिए कोई माकूल पहल नहीं हो सका है, जिसका फलस्परूप यह है कि आए दिन तहसील अंतर्गत इलाकों में आवारा पशुओं को बचाने में सड़क दुर्घटनाए हो रही है लेकिन शासन- प्रशासन आवारा पशुओं से निपटने के लिए अब तक कोई कारगर कदम नहीं उठा पाया है। बहरहाल यह कहना गलत नहीं होगा कि इलाके में कोई एक भी ऐसा गौशाला संचालित नहीं हो रहा जो सड़क पर आवारा घूम रहे पशुओं को गौशाला तक का रास्ता दिखा पाए। ऐसे में शासन- प्रशासन को चाहिए कि इलाके में संचालित सभी गौ-शाला का जांचकर उपयुक्त कदम उठाए।
गौ-शाला कागजों तक सीमित
मामले में त्योंथर के वरिष्ठ अधिवक्ता अविनाश सिंह परिहार बताते हैं कि त्योंथर तहसील अंतर्गत संचालित अधिकांश गौशाला फोटो प्रदर्शनी के लिए महज है। ऐसा लगता है कि ये सभी गौशाला महज कागजों तक ही सीमित हैं। असल में इन गौशाला संचालकों को सड़क पर अवारा घूम रहे पशुओं से कोई लेना देना नहीं है। सरकार द्वारा गौशाला को दिए जा रहे मदद को ये अपना पेट भरने में लगा रहे हैं, जो कि चिंता का विषय है। जबकि त्योंथर तहसील अंतर्गत क्षेत्रों में होने वाली अधिकांश सड़क दुर्घटनाओं में मवेशियों की बड़ी भूमिका है। ऐसे में सड़कों पर मवेशियों के तांडव को रोकने के लिए व त्योंथर तहसील अंतर्गत संचालित सभी गौ-शाला की वास्तुस्थिति की जांच करने के लिए त्योंथर तहसील के कई समाजसेवियों द्वारा शासन- प्रशासन से गुहार लगाई गई, लेकिन अब तक नतीजा शिफर है।