चाकघाट। मध्य प्रदेश शासन की योजना के अनुसार कृषकों को सस्ता सुलभ एवं शीघ्रता से राजस्व मामलों में लाभ पहुंचाने की दृष्टि से अभियान चलाया जाता है। जिला कलेक्टर के निर्देशानुसार इस अभियान को सफल बनाने की बार-बार अपील भी की जाती है किंतु वास्तविकता के धरातल में यह आधा अधूरा अभियान महज दिखावा ही सिद्ध होता है। राजस्व मामले के अनेक निर्णित मामलों को अंतिम निराकरण स्थिति तक पहुंचाने वाले राजस्व कर्मचारी अपनी मनमानी करते हैं। बताया गया है कि राजस्व न्यायालय त्योंथर से निर्णय हुए अनेक मामलों की इत्तलावी दर्ज नहीं की जाती है। क्षेत्र का राजस्व आमला पूरी तरह से शोषण प्रवृत्ति की ओर अग्रसर हो चुका है। यहां पर राजस्व न्यायालय में जाने वाले पक्षकारों को पेशी पर पेशी ही मिलती है। अधिकारी नदारत रहते हैं जो समय पर न्यायालय में उपस्थित नहीं होते है। शासन की ओर से अभियान चलाकर कृषकों के मामले को शीघ्र हल करने की योजना चलायी जाती है। उच्च अधिकारियों के दबाव में एवं आंकड़ों की वाह वाही लूटने के लिए यहां के राजस्व न्यायालय में मामले का फैसला दे दिया जाता लेकिन उस फैसले का क्रियान्वयन नहीं हो पाया। पक्षकारों से मनमाने ढंग से अवैध वसूली की जा रही है उसके बावजूद भी इत्तलावी दर्ज करने का काम नहीं हो रहा है। राजस्व विभाग के मनमानी रवैया के चलते काश्तकारों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। राजस्व मामले के लिए शासन द्वारा अभियान चलाया गया जिसके तहत अधिकारियों ने अनेक मामलों में आदेश पारित किये किंतु अधीनस्थ कार्यालय एवं संबंधित हल्का पटवारी के द्वारा न तो उसका क्रियान्वयन किया गया और न ही निर्णय हुए आदेश की इत्तलावी ही दर्ज की गई जिससे किसान परेशान होकर भटक रहे हैं। अनेक अधिवक्ताओं को इस मामले में शिकायत है कि राजस्व न्यायालय में प्रकरणों पर सुनवाई और बहस होने के बाद भी कई कई महीने फाइलों पर कोई निर्णय नहीं दिया जाता है। निर्णय के इंतजार में फाइलें धूल खाती हैं पता नहीं किस मंशा से निर्णय देने के लिए अधिकारी टाल मटोल करते रहते हैं। राजस्व मामलों में हो रही हीला हवाली की व्यापक जांच की जाए तो मामला खुलकर सामने आएगा कि यहां शासन की योजना की आड़ में कितना बड़ा घोटाला हुआ है। पक्षकार लोग किस तरह शोषण के शिकार हुए हैं। त्योंथर क्षेत्र में राजस्व विभाग की व्याप्त भर्रेशाही पर रोक लगाया जाए जिसके शासन की योजना को धरातल पर उतर जा सके। (रामलखन गुप्त)
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राजस्व अधिकारियों के हीला हवाली के चलते नहीं हो रहा है निर्णित प्रकरण में कार्यवाही पक्षकार हो रहे हैं शोषण के शिकार
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