रोजगार : प्रदेश में 17 हजार 597 हाथकरघों पर हो रहा साड़ियों व अन्य वस्त्रों का उत्पादन

प्रदेश में हाथकरघा एवं हस्तशिल्प क्षेत्र में रोजगार के नये अवसरों के सृजन के लिये नवाचार किये जा रहे हैं। ग्राम उत्थान एवं स्व-रोजगार सृजन के लिये ग्रामीण उद्योगों को रोजगारोन्मुखी शिक्षा से जोड़ने पर विशेष जोर दिया गया है। राज्य सरकार परम्परागत ग्रामोद्योगों के संरक्षण, कल्याण एवं समग्र विकास के माध्यम से रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिये लगातार प्रयास कर रही है। प्रदेश में कुटीर एवं ग्रामोद्योगों के विकास के लिए हाथकरघा एवं हस्तशिल्प संचालनालय द्वारा विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। बुनकरों एवं शिल्पियों को प्राचीन उत्कृष्ट बुनाई एवं शिल्पकला की सुप्रसिद्ध परम्परा को समृद्ध बनाने, हाथकरघा बुनकरों एवं शिल्पियों को सतत् रोजगार उपलब्ध कराने तथा नये जरूरतमन्दों को हाथकरघा/हस्तशिल्प उद्योग से जोडने सहित सामाजिक एवं आर्थिक उत्थान के लिये हर जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं।     राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों की आधुनिक परिवेश की बदली हुई मागों के अनुरूप हाथकरघा एवं हस्तशिल्प क्षेत्र के उत्पादों की गुणवत्ता व पारम्परिक उत्पादों की किस्मों में सुधार लाने की दिशा में काम हो रहा है। कुटीर एवं ग्रामोद्योग उत्पादों को देशी-विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धा योग्य बनाने के लिए उन्नत प्रशिक्षण, तकनीकी उन्न्यन, उत्पाद विकास हेतु प्रदेश के बुनकरों एवं शिल्पियों को समुचित सहायता दी जा रही है। हाथकरघा व हस्तशिल्प उत्पादों के विपणन के लिए जिला/प्रदेश के महानगरों एवं प्रदेश के बाहर के महानगरों में मेला/प्रदर्शनी/एक्सपो के आयोजन के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने के साथ मार्केट लिंकेज की सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है।

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प्रदेश में वर्तमान में 17 हजार 597 करघों पर सुविख्यात हाथकरघा वस्त्र जैसे चन्देरी एवं महेश्वरी-साडियां, ड्रेस मटेरियल, होम फर्निशिंग, बेडशीट एवं शासकीय विभागों में प्राय: उपयोग में आने वाले वस्त्रों का वृहद स्तर पर उत्पादन किया जा रहा है। इन हाथकरघों के जरिये गत वित्तीय वर्ष में लगभग 33 हजार 480 बुनकरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया।

हाथकरघा एवं हस्तशिल्प सेक्टर के लिए एकीकृत क्लस्टर विकास कार्यकम – हाथकरघा एवं हस्तशिल्प सेक्टर के लिये एकीकृत क्लस्टर विकास कार्यक्रम में परम्परागत रूप से कार्यरत बुनकरों एवं शिल्पियों को उनकी आय एवं उत्पादकता में वृद्धि के लिए देशी-विदेशी बाजारों की मांग के अनुरूप उत्पाद बनाने के लिये समुन्नत तकनीक का कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जायेगा। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में एकीकृत क्लस्टर विकास कार्यक्रम के लिये एक करोड़ 17 लाख रूपये आवंटित किये गये हैं। राज्य के प्रमुख क्लस्टरों में बुनियादी सुविधाओं के विकास के साथ-साथ उत्पाद विकास, उन्नत किस्मों/डिजाइन्स के विकास के लिए प्रशिक्षण वर्कशॉप एवं सेमिनार भी आयोजित किये जाएंगे।

कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम – कुटीर एवं ग्रामोद्योगों के जरिये स्व-रोजगार/ रोजगार के नये अवसरों के सृजन के लिए हितग्राहियों को विभिन्न ट्रेडस में कौशल विकास प्रशिक्षण सहित उन्नत उपकरण भी दिये जाते हैं। विगत वित्तीय वर्ष 2023-24 में 750 के सालाना लक्ष्य के विरुद्ध 262 हितग्राहियों को कौशल विकास प्रशिक्षण एवं 311 हितग्राहियों को करघा एवं उन्नत उपकरण दिये गये। वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस कार्यक्रम के लिये एक करोड़ 80 लाख रूपये बजट आरक्षित किया गया है। इस वर्ष लगभग 922 हितग्राहियों को कौशल विकास प्रशिक्षण एवं उन्न्त उपकरण दिये जाएंगे।

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कौशल एवं तकनीकी विकास प्रशिक्षण एवं विपणन कार्यक्रम – विभाग द्वारा हाथकरघा एव हस्तशिल्प क्षेत्र के लिये कौशल, तकनीकी विकास एवं प्रशिक्षण कार्यकम तथा हस्तशिल्प क्षेत्र के लिये विपणन सहायता योजना संचालित की जा रही है। इन योजनाओं में वित्त वर्ष 2024-25 में क्रमशः एक करोड 80 लाख रूपये एवं 50 लाख रूपये बजट दिया गया है। इससे हाथकरघा बुनकरों एवं हस्तशिल्पयों के लिऐ कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम, उन्नत करघे व उपकरण प्रदाय के अलावा उत्पाद की मार्केटिंग के लिये प्रदर्शनी का आयोजन तथा प्रदर्शनियों व एक्सपो में भागीदारी के लिये वित्त सहायता उपलब्ध करायी जायेगी। इस कार्यक्रम से प्रदेश के बुनकरों एव शिल्पियों का आर्थिक व सामाजिक उत्थान संभव होगा।

हाथकरघा घटक के तहत बुनियादी/कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम में गत वित्त वर्ष 2023-24 में 573 हितग्राहियों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया। वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंत तक इस कार्यक्रम से 1056 हितग्राहियों को लाभान्वित करने का लक्ष्य है। इसी तरह हाथकरघा से रोजगार सृजन कार्यक्रम में गत वित्त वर्ष 2023-24 में 33 हजार 480 बुनकरों व कारीगरो को रोजगार दिया गया। विभाग द्वारा वर्तमान वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंत तक 40 हजार से अधिक बुनकरों व कारीगरों को सीधे रोजगार उपलब्ध कराने के लक्ष्य पर तेजी से काम किया जा रहा है।

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