प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही से त्योंथर क्षेत्र में हो रहे हैं अवैध बोर खनन

चाकघाट। मध्यप्रदेश शासन द्वारा अवैध बोर खनन पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद भी त्योंथर क्षेत्र में दिन दहाड़े खुलेआम मनमाने तरीके से अवैध बोर हो रहे हैं। कहने को तो शासन की ओर से बिना अनुमति के कोई भी भूमि में खुदाई (बोर) नहीं की जा सकती लेकिन त्योंथर क्षेत्र में खुलेआम बिना किसी अनुमति के खुदाई हो रही है। जिसकी जानकारी प्रशासनिक अमले को होने के बावजूद भी उस पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा रहा है। प्रत्येक ग्राम पंचायत क्षेत्र में पंचायत के सचिव पटवारी एवं कोटवार भी हैं किंतु प्रशासनिक अधिकारियों की मिली भगत के कारण शासन की अवैध बोर खनन रोकने की योजना पर क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है।

खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने की घटना को रोकने के लिए हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट एवं प्रदेश की सरकारों ने भी बचाव के लिए निर्देश जारी किए हैं लेकिन उस पर अमल नहीं किया जाता। मनमाने तरीके से क्षेत्र में बोर कराया जा रहा है, जिसके लिए किसी भी सुरक्षा व्यवस्था का कोई भी पालन नहीं किया जा रहा है। अनेक ऐसे खुले बोर यहां हैं जिन्हें  खुला ही छोड़ दिया जाता है और उसमें गिरकर बच्चों की जान जा रही है। त्योंथर तहसील में बोरवेल के नाम पर जिस तरह से लापरवाही देखने को मिल रही है उससे लगता है कि प्रशासन ने इस मामले को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। बोरवेल इस समय त्योंथर क्षेत्र में जगह-जगह धड़ले से हो रही है। जिला प्रशासन के द्वारा रोक लगाई जाने के बावजूद भी मनमाने तरीके से यहां बोर का काम चल रहा है। क्षेत्र में अनेक ऐसे लोग हैं जो बोर खोदने का काम करते हैं किंतु उनके पास न तो कोई वैध लाइसेंस है और न ही उनके पास कोई दक्ष कारीगर है। वे अपनी गाड़ी में बोर का सामान लादकर प्रतिबंधित एरिया में भी जाकर बोर कर रहे हैं और मनमाना पैसा वसूल रहे हैं। ऐसे लोगों को प्रशासन द्वारा न तो चिन्हित किया गया और न ही उनके द्वारा किए जा रहे बिना अनुमति के बोर पर उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही की जा रही है। उच्च न्यायालय एवं शासन के निर्देश को माने तो बोरवेल खुदवाने के 15 दिन पहले जिलाधिकारी, ग्राउंड वाटर डिपार्टमेंट, स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम को बताना जरूरी है। गांव के बोरवेल की खुदाई सरपंच और कृषि विभाग की निगरानी में होनी चाहिए। जिस स्थान पर बोर की खुदाई हो वहां बोर्ड लगाकर बोर की जानकारी देनी चाहिए एवं खुदाई स्थल के चारों तरफ कटीले तार भी लगाया जाना चाहिए। किंतु यहां ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। इस क्षेत्र में मनमने तौर पर बोर की खुदाई चल रही है। अवैध बोर खुदाई का सिलसिला यहां इस कदर बढ़ गया है कि जिला प्रशासन के द्वारा खुदाई पर रोक लगाए जाने के बावजूद भी धड़ल्ले से खुदाई का काम चलता है।

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यहां अनेक ऐसे बोर करने वाले गांव-गांव में फैल हुए हैं जो पानी के साथ खुले बोर के रूप में मौत को निमंत्रण दे रहे हैं। जिला प्रशासन निचले स्तर के कर्मचारियों से जब इस गंभीर बोर दुर्घटना की रोकने के लिए जानकारी मांगते हैं तो उन्हें महज दिखावे के रूप में झूठी जानकारी दे दी जाती है जबकि धरातल पर स्थिति कुछ और ही होती है। चाकघाट के समीप ग्राम मनिका (थाना जनेह) में घटित यह घटना जिसमें मयंक आदिवासी 6 वर्ष की बोर में गिर जाने से मौत हुई है। वह बोर भी लापरवाही का ही जीता जागता उदाहरण है। बोर में गिरे मयंक को बचाने के एन.डी.आर. एफ. के लगभग 150 सदस्य यहां काम कर रहे थे उनकी कठिन मेहनत के बाद तीसरे दिन रविवार को मयंक आदिवासी की लाश ही बोर से निकल पाई। त्योंथर क्षेत्र में अनेक बोर करने वाले लोग भारी संख्या में कार्य कर रहे हैं वहीं उत्तर प्रदेश की सीमा से लगे होने के कारण इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की ओर से भी कई बोर मशीन आकर यहां रातों-रात बोर करके चली जाती है। जिस बोर में पानी नहीं निकलता उसे खुला ही छोड़ दिया जाता है। कई बार बोर करने वाले बोर तो कर लेते हैं लेकिन उसमें लगाने वाले समर्सिबल पंप आदि की व्यवस्था न कर पाने के कारण उसे खुला छोड़ देते हैं है। यह आंचल कृषि के मामले में उन्नतशील क्षेत्र माना जाता है। यहां सिंचाई के लिए तमसा नदी पर सिंचाई परियोजनाओं की अधिकता के बावजूद भी सहज सुलभ पानी प्राप्त करने के लिए लोग बोरवेल को प्रयोग में लाते हैं इसलिए यहां भारी संख्या में अवैध बोर हो रहा है जिस पर नियमानुसार कार्यवाही होनी चाहिए और अवैध रूप से संचालित बोर मशीन जप्त करके बोर करने वाले लोगों के विरुद्ध भी सख्त कदम उठाया जाना चाहिए। जिससे बोर में बालक गिरने की दुर्घटनाओं पर रोक लगायी जा सके। सुप्रीम कोर्ट एवं प्रशासन के निर्देश के बावजूद भी बोर के मामले में बढ़ती जा रही लापरवाही एवं असफलता का परिचायक है जिस पर भी तुरंत रोक लगाया जाना चाहिए। (रामलखन गुप्त)

हाल ही में कई बोर होने कि जानकारी ग्राम पंचायत कुठिला से आई थी जिसके सम्बन्ध में तहसीलदार त्योंथर व पीएचइ विभाग त्योंथर को जानकारी दी गई थी लेकिन कोई कार्यवाई या जप्ती नहीं कि गई। इसके पीछे कि वजह क्या है यह तो जाँच का विषय है लेकिन रीवा कलेक्टर के आदेशों कि अनदेखी त्योंथर में खूब हो रही है।

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