स्वतंत्रता के 77 वर्ष पूरे होने के बाद भी नेवरिया के लोग रास्ता विहीन

मई महीना व्यतीत होने को है जून लगते ही देश में मानसून की दस्तक होगी। बारिश के दौर में सबसे ज्यादा समस्या गांव की होती है जहां विशेषकर आवागमन का कोई पक्का रास्ता नही होता। देखा जाय तो देश के अभी भी लाखों ऐसे गांव हैं जहां बरसात के सीजन में आम ग्रामीण जन मूलभूत फैसिलिटी जैसे स्कूल स्वास्थ्य विभाग और मार्केट तक जाने के लिए कीचड़ में सफर कर रास्ता तय करते हैं। ज्यादातर इस प्रकार की दिक्कत उन ग्रामों में होती है जहां के लोग स्वयं ही विकास की मुख्य धारा से जुड़ना पसंद नही करते। आमतौर पर गांव की पगडंडियों को सरकार द्वारा अधिगृहीत किए जाने और पक्का रास्ता बनाए जाने का विशेष प्रावधान नहीं है जिसकी वजह से इन छोटे मोटे कार्यों पर किसी का ध्यान नहीं जाता और पूरा गांव ही पीढ़ी दर पीढ़ी कीचड़ में ही पड़ा रहता है। यह एक गंभीर समस्या है जिस पर सरकार और शासन प्रशासन को विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

नेवरिया ग्राम से है डेप्युटी सीएम राजेंद्र शुक्ला का विशेष नाता
नेवरिया गांव वालों से संपर्क किया गया तो उनके द्वारा बताया गया की डेप्युटी सीएम राजेंद्र शुक्ला का नेवरिया ग्राम से विशेष रिस्ता है। बताया गया की डेप्युटी सीएम के पिता भैयालाल शुक्ला का ननिहाल भी नेवरिया ग्राम में ही है। लेकिन इसके बाबजूद भी कई मर्तबा डेप्युटी सीएम का ध्यान आकृष्ट करने के बाबजूद भी उनकी सड़क संबंधी समस्या का अब तक कोई सार्थक निराकरण नहीं हो पाया है।

नेवरिया ग्राम के ब्राह्मण समुदाय के लोगों ने रोक रखी हैं सड़क
यदि डेमोग्राफिक तौर पर देखा जाय तो नेवरिया ग्राम की बहुतायत आबादी ब्राह्मणों की है। गीताधाम ग्वारीघाट जबलपुर के पीठाधीश्वर रहे स्व श्री श्यामदास महाराज भी नेवरिया ग्राम में ही पैदा हुए थे और उनका बचपन भी यहीं गुजरा था। बताया जाता है की तत्कालीन रीवा कलेक्टर ओम प्रकाश श्रीवास्तव जो की श्यामदास महाराज के शिष्य थे उनके कार्यकाल के दौरान श्री श्याम दास महाराज ने भी नेवरिया के आवागमन को बेहतर बनाने के काफी प्रयास किए लेकिन गांव के ही आरआई संतोष त्रिपाठी और उनके परिवार वालों की वजह से यह सड़क नही बन पाई। बताया जाता है की रिटायर्ड आर आई संतोष त्रिपाठी और उनके परिवार वालों की कुछ जमीन इस मार्ग में बाधा उत्पन्न कर रही है और मात्र उनकी असहमति के कारण गांव की सड़क दशकों से बाधित है। बताया गया की यदि संतोष आर आई चाहें तो अपनी जमीन का अंशभाग जनहित में दान कर पूरे गांव के लिए सड़क बनने में मदद कर सकते हैं।

कुल मिलाकर नेवरिया और लोहरा गांव के हरिजन आदिवासियों ने भी ब्राह्मण समुदाय पर ही सड़क मार्ग न बनाए जाने का जिम्मेदार ठहराया है। हरिजन आदिवासियों का कहना है की नेवरिया और लोहरा गांव की ज्यादातर जमीन इन्ही उच्चवर्गीय ब्राह्मण समुदाय की है लेकिन इनकी असहमति और जमीन न दिए जाने के कारण सभी ग्रामावासी प्रभावित और प्रताड़ित हैं।

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बड़ा सवाल: आखिर कब बनेगी नेवरिया सड़क
अब बड़ा सवाल यह है कि नेवरिया ग्राम के हजारों पुस्तैनी वसिंदों को हिनौती एमपीआरडीसी मुख्य मार्ग से कब जोड़ा जाएगा। हालांकि यदि देखा जाय तो यहां पीड़ित सिर्फ हरिजन आदिवासी ही नही हैं बल्कि 90 फीसदी से अधिक संख्या में निवासरत ब्राह्मण समुदाय के लोग भी आवागमन बाधित होने से बरसात के 04 महीने पूरी तरह जेल की तरह बंद रहते हैं लेकिन इसके बाबजूद भी आवागमन मार्ग बनाए जाने में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। आवागमन मार्ग से जुड़ी हुई यह जमीन भी पूरी तरह से अनुपयोगी ही पड़ी रहती है। इस अनुपयोगी जमीन पर कोई खेती किसानी भी नही होती है और पथरीली इस जमीन पर यदि आवागमन मार्ग बन जाता है तो नेवरिया और लोहरा सहित सेदहा हिनौती डाढ़ और भमरिया बड़ियोर सहित दर्जनों आसपास के ग्रामों को जोड़ने में मदद मिलेगी साथ ही इस जमीन की कीमत भी लाखों में होगी।

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