नेताओं को खुश रखने के लिए महिला निरीक्षक को हटाया जाना उचित नहीं है

रामलखन गुप्त, चाकघाट। उत्तर प्रदेश की सीमा क्षेत्र से लगे रीवा जिले के चाकघाट पुलिस थाना में लंबे अरसे के बाद एक ऐसे निरीक्षक की नियुक्ति हुई जिसके नाम और प्रशासनिक कार्यवाही से अपराधियों में दहशत थी। उनके द्वारा थाने की बेस कीमती जमीन पर अतिक्रमणकारियों के बढ़ते कदम को रोकने का साहस किया गया, महिलाओं एवं कमजोर वर्ग के लोगों को कानून के तहत न्याय दिलाने का काम किया गया। ऐसे थाना प्रभारी उषा सिंह सोमवंशी को चाकघाट थाने से हटाने की मुहिम तब से सी प्रारंभ हो गई थी, जब उन्होंने अपराधियों पर नकेल कसनी शुरू कर दी थी। उन्होंने इस अंचल के तमाम गरीब, असहाय एवं पीड़ित लोगों को कानून और शासन की योजना के तहत मदद दिलाने का काम किया है। महिलाओं के ऊपर हो रहे अत्याचार को रोकने में उनकी अहम भूमिका थी। उनके समय में जुआं के अड्डे पर छापे मारे गए। अवैध शराब की बिक्री पर रोक लगाने का प्रयास हुआ। तस्करों दलालों का जब काम सिमटने लगा तभी से उषा सिंह सोमवंशी जैसे थाना प्रभारी को हटाने के लिए छुटभैये नेता जैसे लोगों द्वारा षड्यंत्र करना शुरू कर दिया गया। वैसे देखा जाए तो इनको हटाने के लिए एक दल के लोगों ने काफी प्रयास किया। जाहिर है उषा सिंह सोमवंशी को चाकघाट थाने से हटाने की पटकथा उस समय से ही से लिखी जाने लगी जब त्योंथर क्षेत्र के ग्राम मनिका के बोरवेल में गिरे एक बच्चे को बचाने कि मुहिम चल रही थी। शासन – प्रशासन के लोग वहां रात दिन एक करके काम कर रहे थे। उसी समय एक चुनावी नेता ने शासन – प्रशासन के विरुद्ध एवं वर्तमान सत्ता सरकार को आड़े हाथ लेते हुए मौके पर उपस्थित पीड़ित दुखी जनता को भड़काने का काम किया तो उस समय थाना प्रभारी उषा सिंह सोमवंशी ने तल्ख शब्दों में वार्तालाप किया, तभी से विशेष रूप से नेताओं की आंखों में खटकने वाली ऊषा सिंह सोमवंशी को हटाने के लिए मुहिम शुरू हो गई और इस तरह से लोगों ने एक अभियान चलाकर प्रशासन से सच्चे, ईमानदार, जनसेवी थाना प्रभारी को चाकघाट से हटाने में सफलता प्राप्त की। उषा सिंह सोमवंशी को चाकघाट से हटाया जाना निश्चित रूप से एक दल की विजय है और ज्यादातर ऐसे ही नेतागीरी की भावना से जुड़े लोग ही इस अभियान को हवा देने में लग रहे। यदि इनके कार्यकाल की जांच कराई जाए तो अपराध में जिस तरह नियंत्रण हुआ, लोकसभा एवं विधानसभा का चुनाव शांति और सद्भाव पूर्ण वातावरण में संपन्न हुआ। साथ ही आमजन की ओर से तारीफ ही मिल रही है। किंतु ऐसे दबे कुचले कमजोर लोग जो न तो राजनीति का चोला पहने हैं और न ही किसी नेता के लिए काम करते हैं, ऐसे तमाम लोग इस निर्णय से दुखी हैं। एक ईमानदार कर्तव्य निष्ठ महिला पुलिस अधिकारी को जिस ढंग से यहां से हटाया गया यह मात्र नेताओं को खुश करने के लिए किया गया है न की आम जनता के हितों का इसमें कोई ध्यान रखा गया है।

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जिस मामले को लेकर थाना प्रभारी चाकघाट उषा सिंह सोमवंशी पर कार्यवाई हुई वो मामला ही घिसा घसीटा गया है। वायरल ऑडियो में भी यह साफ है कि थाना प्रभारी चाकघाट ने किसी नेता या मंत्री को अपशब्द नहीं कहे न ही किसी का मान मर्दन किया बल्कि उनके द्वारा एक मजबूर पिता कि मदद के लिए पिता का जीवन नर्क करने वाले पुत्र को समझाइस ही दी गई है। अगर जिले में बैठे अधिकारी जमीन पर उतर कर चाकघाट थाना अंतर्गत आने वाले पड़री गांव जाने कि जहमत उठायें तो उन्हें पिता और परिवार कि जिंदगी दुस्वार करने वाले बेटे कि करतूत वहां के लोग आँखों देखा सुना देंगे। फ़िलहाल थाना प्रभारी चाकघाट पर हुई कार्यवाई से क्षेत्र कि जनता में काफी नाराजगी है। कुछ लोगों द्वारा यह भी कहा जा रहा है कि सच्चे और ईमानदार अधिकारीयों को ऐसे ही षड्यंत्र कर के हटा दिया जायेगा और फिर से अपराधियों के हौसले बुलंद हो जायेंगे। (रामलखन गुप्त)

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