कैंसर शिविर में 1195 संभावित रोगियों की हुई जांच – 108 में मिले लक्षण

रीवा में कृष्णा राजकपूर आडिटोरियम में आयोजित दो दिवसीय संभागीय कैंसर शिविर का विधिवत समापन कर दिया गया। शिविर में दूसरे दिन सतना तथा सिंगरौली के रोगियों की जांच की गयी। शिविर में दो दिनों में कुल 1195 रोगियों की जांच की गयी। इनमें से 108 व्यक्तियों में कैंसर के प्रारंभिक लक्षण पाये गये। शिविर का समापन करते हुए रीवा संभाग के कमिश्नर गोपालचन्द्र डाड ने इंदौर कैंसर फाउंडेशन के संचालक डॉ. धारकर और उनके टीम के सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त किया।

शिविर के अंतिम सत्र में इंदौर कैंसर फाउंडेशन के संचालक डॉ. दिग्पाल धारकर ने कैंसर के उपचार से जुड़े डॉक्टरों को कैंसर की पहचान तथा उपचार का प्रशिक्षण दिया। डॉक्टर धारकर ने कहा कि लोगों को जागरूक करके कैंसर के आधे से अधिक मामलों में पर नियंत्रण पाया जा सकता है। कैंसर होने से पहले इसकी पूर्वावस्था होती है इनके लक्षणों के बारे में हम जागरूक रहें तो कैंसर की तत्काल पहचान हो जाती है। इंदौर कैंसर फाउंडेशन लगातार शोध करके तथा दुनिया भर के कैंसर के विशेषज्ञों से मार्गदर्शन लेकर कैंसर के उपचार को प्रभावी बनाने का प्रयास कर रहा है। कैंसर के उपचार के लिए दवाओं तथा आपरेशन की लागत घटाने के लिए कई प्रयास किये गये हैं। इसमें अच्छी सफलता भी मिल रही है। कैंसर के उपचार के लिए रेडियो थेरपी का उपयोग किया जाता है। इसके रेडियेशन से लाभ होने के साथ-साथ कई साइड इफेक्ट होते हैं। इस लिए हमने एक नई तकनीक फोटो, वायोमडुलेशन थेरपी शुरू की है इस विधि से शरीर पर लगभग न के बारबर साइड इफेक्ट होते हैं। यह अधिक कारगर भी है कैंसर के उपचार के लिए आयुर्वेदिक पद्धति का भी सहारा लिया जा रहा है।

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डॉ. धारकर ने कहा कि रीवा में शिविर का आयोजन बहुत सफल रहा। प्राथमिक स्वास्थ्य स्तर से लेकर संभाग स्तर तक पूरा कार्य व्यवस्थित तरीके से किया गया। प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग तथा स्वयंसेवी संस्थाओं ने मिलकर सेवाभाव से रोगियों की सेवा की। हमारा रीवा से संपर्क सदैव बना रहेगा। मेडिकल कालेज के डीन यदि चाहें तो रीवा के डॉक्टरों को इंदौर फाउंडेशन प्रशिक्षण देने के लिए सहर्ष तैयार है। डॉ. धारकर ने कैंसर के उपचार से जुड़े प्रश्नों के उत्तर दिये तथा शंकाओं का समाधान किया। उन्होंने कहा कि वायाप्सी कराने के बाद ट्यूमर बढ़ता है तथा कैंसर अधिक तेजी से फैलता है यह धारणा सही नहीं है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है लोग केवल भैय वस इस तरह की धारणा बनाते हैं। हमारे मन में अगर भैय ने घर बना लिया तो हम कैंसर लड़ाई नहीं जीत पायेंगे। पूरे दृढ़ विश्वास के साथ कैंसर का सामना करके ही हम इससे जीत पायेंगे। समापन कार्यक्रम में डॉ. धारकर की टीम के सदस्यों डॉ. वीरेन्द्र व्यास, डॉ. कृतिका कुलकर्णी, डॉ. सुरेश सहगल ने भी डॉक्टरों को कैंसर के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी दी।

समारोह में कैंसर शिविर में सहयोग देने वाले स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों तथा डॉक्टरों को प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह का समापन मेडिकल कालेज के डीन डॉ. मनोज इंदुलकर के आभार प्रदर्शन से हुआ। समारोह में क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य डॉ. संजीव शुक्ला, विभिन्न चिकित्सा अधिकारी, मेडिकल कालेज के डॉक्टरगण तथा विभिन्न अस्पतालों के डॉक्टर उपस्थित रहे।

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