जिस एक्टर की हम आज बात कर रहे हैं, उन्होंने अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र समेत तमाम सितारों के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर किया लेकिन क्या आप जानते हैं कि लीड भूमिका में न होने के बाद भी उन्होंने बराबर की टक्कर दी। करियर की शुरुआत खलनायक के तौर पर करने के बावजूद उन्होंने मुख्य भूमिकाओं में कई यादगार और सफल फिल्में दीं। आज जिस फिल्म कि हम बात कर रहे हैं वो फिल्म साल 1971 में रिलीज हुई थी। बॉलीवुड हो या साउथ स्टार्स कई सितारें ऐसे हैं, जो अपनी भूमिका को दोहराना पसंद नहीं करते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जो एक ही जैसी भूमिका में नजर आते हैं। 70 के दशक में जब एक से बढ़कर एक सितारे पर्दे पर एंट्री कर रहे थे, तब एक हीरो विलेन के किरदार में नजर आया. फिल्म में दिग्गज एक्टर थे लेकिन इस विलेन के आगे उनकी अदाकारी कमजोर पड़ गई। फैंस ने उन्हें लीड हीरो के तौर पर जो प्यार दिया, उससे कहीं ज्यादा प्यार उन्हें विलेन के अवतार के लिए मिला। जिस एक्टर की हम बात कर रहे हैं, उन्होंने अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र समेत तमाम सितारों के साथ स्क्रीन स्पेस शेयर किया लेकिन क्या आप जानते हैं कि लीड भूमिका में न होने के बाद भी उन्होंने बराबर की टक्कर दी। करियर की शुरुआत खलनायक के तौर पर करने के बावजूद उन्होंने मुख्य भूमिकाओं में कई यादगार और सफल फिल्में दीं। आज जिस फिल्म का हम बात कर रहे हैं वो फिल्म साल 1971 में रिलीज हुई थी। साल 1971 में राज खोसला के निर्देशन में एक फिल्म रिलीज हुई, जिसका नाम था “मेरा गांव मेरा देश”, फिल्म में धर्मेंद्र के साथ एक और दिग्गज एक्टर नजर आए थे, जिन्होंने अपने करियर में कई ब्लॉकबस्टर फिल्में दी हैं। फिल्म में डायलॉग्स इतने फेमस हुए थे कि आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। हम बात कर रहे हैं मशहूर और लाखों के दिल में राज करने वाले विनोद खन्ना की और फिल्म है “मेरा गांव मेरा देश”। इस फिल्म में धर्मेंद्र फिल्म के लीड हीरो के रूप में नजर आए थे। इस फिल्म में विनोद खन्ना एक डाकू के किरदार में नजर आए थे। उन्होंने अपने किरदार से धूम मचा दी थी और वो एक दौर आया, जब कई सारी फिल्में डाकुओं के आस-पास लिखी जाने लगीं। विनोद खन्ना के फिल्म में डायलॉग तो काफी पॉपुलर हुए थे। जैसे जब्बर सिंह ने दो ही बातें सीखी हैं, “एक मौके का फायदा उठाना और दूसरा, दुश्मनों का नाश करना”, “तेरे को मारना होता तो जब्बर सिंह का निशाना नहीं चूकता” ऐसे कई फिल्म के सबसे चर्चित डायलॉग थे।
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मेरा गांव मेरा देश की कहानी एक शातिर मगर बहादुर चोर अजीत के इर्द – गिर्द घूमती है, जिसे पूर्व फौजी हवलदार मेजर जसवंत सिंह एक चोरी के आरोप में गिरफ़्तार करवा देता है। जेल से छूटने पर जेलर की सलाह मानते हुए अजीत उसी फौजी के पास काम मांगने उसके गांव जाता है। वहां उसे पता चलता है कि उस इलाक़े में दुर्दांत डाकू जब्बार सिंह का आतंक फैला हुआ है। अजीत, जब्बार को खत्म करने का बीड़ा उठाता है, जिसमें जसवंत सिंह उसकी मदद करता है और ट्रेन करता है। विनोद खन्ना की आंखों का एक्सप्रेशन साथ ही फिल्म में उनके चलने का अंदाज, फिल्म में ऐसे थे कि लोग उनके इस किरदार के दीवाने हो गए थे। फिल्म की कहानी जितनी दमदार थी, ठीक उसी तरह फिल्म के पांचों गाने सुपर हिट हुए। फिल्म के सभी गाने लता मंगेशकर ने गाए थे लेकिन एक गाने में रफी साहब ने भी उनका साथ दिया था। इस फिल्म की एक और खास बात ये थी कि फिल्म में हीरोइन 2 ही गानों में नजर आई थीं। ये उस दौर की पहली फिल्म थी, जिसमें हीरो, हीरोइन से ज्यादा विलेन के किरदार को नोटिस किया गया था। फिल्म में विलेन हीरो हीरोइन को मात देकर सारी लाइमलाइट लूट ले गया था। इस फिल्म से विनोद खन्ना का करियर चमक उठा था। मेरा गांव मेरा देश का संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने दिया था और गीत आनंद बख्शी ने लिखे थे। फिल्म का संगीत हिट रहा था और आज भी इसके गीत लोकप्रिय हैं। ‘अपनी प्रेम कहानियां’, ‘कुछ कहता है यह सावन’, ‘मार दिया जाए’ ऐसे गीत हैं जो आज भी सुनने वालों को मदहोश कर देते हैं।