नगर परिषद् चाकघाट : अँधेरे में डूबा रहता है चाकघाट पुल फिर किस बात की दिन भर चलती है उगाही

खोखले दावे खोखले वादे लेकिन वसूली में कोई रियायत नहीं। प्रस्ताव को लेकर बैठक भी लेकिन विकास है की कुम्भकर्णीय नींद में सो रहा है। जब भी सवाल पूंछों तो हवाला फण्ड का दिया जाता है लेकिन जिनके हवाले सारा जिम्मा है उनकी दिनचर्या में कोई फर्क नज़र नहीं आता है। बात नाली की हो या स्वच्छ भारत मिशन की सारा आरोप जनता पर मढ़ दिया जाता है और गहरी साँस के साथ खुद को पृथक कर लिया जाता है।

नगर परिषद चाकघाट को राष्ट्रिय राजमार्ग 30 दो हिस्सों में बांटता है और यही राष्ट्रिय राजमार्ग 30 नगर परिषद् चाकघाट की शोभा में चार चाँद भी लगाता है लेकिन अफ़सोस की तक़रीबन एक किलोमीटर की लम्बाई बॉर्डर से बघेड़ी तक के रास्ते में प्रकाश की व्यवस्था तक़रीबन पूरी तरह से चरमराई हुई है। इस अव्यवस्था को लेकर पहले भी कई बार खबरों और सोशल मीडिया के माध्यम से जिम्मेदारों का ध्यान खींचने का प्रयास किया गया लेकिन लोगों ने खाना पूर्ति कर कन्नी काट ली। सबसे बड़ी बात यह है कि बैठकी और नगर परिषद् कर वसूली के नाम पर चाकघाट पुल के करीब ही वसूली चलती है बावजूद नगर परिषद् सड़क मार्ग पर प्रकाश कि व्यवस्था नहीं करवा पा रहा है। इतना ही नहीं इस दौरान अगर आपको टॉयलेट की भी ज़रूरत पड़ गई तो आपको खुले में ही जानवरों की तरह हल्का होना पड़ेगा क्यूंकि कोई सुलभ शौचालय निर्माण हुआ ही नहीं। फिर चाहे वो मंत्री चौराहा चाकघाट हो या फिर बघेड़ी चौराहा। अब सोचने वाली बात यह है कि महिला विकास पर जोर देने वाली सरकार के ही विधायक, उसी सरकार के नगर परिषद् अध्यक्ष आदि सालों से हैं फिर भी मूलभूत सुविधाएँ वो भी चाकघाट नगर परिषद क्षेत्र में उपलब्ध क्यों नहीं कराई गई ?

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