एक्ज़िट पोल : मध्य प्रदेश में कमल या कमलनाथ

चन्दन भइया, मटियारी। देश के दिल कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में शिव एक बार फिर मुस्कुरा दिए हैं। सत्ता की साधना अनवरत रहने का शिव को फिर से संकेत मिले हैं। अब तक शिव के समक्ष सब कुछ धुंधला सा था। लेकिन गुरुवार को ये धुंध – कुहासा कुछ छटा तो सत्ता का रास्ता साफ नजर आने लगा है कि ये तो फिर से कमल की तरफ जा रहा है। बस अब ये फैसला भी हो जाये कि सत्ता की साधना के साधक फिर से शिव ही होंगे या फिर कोई और। बावजूद इसके एक तरफ शिव की मुस्कान नजर आ रही है तो दूजी तरफ कमल मुरझाये से नजर आए लेकिन हताश नहीं दिखे और न हारे हुए। महज आज की रात और कुछ घंटों का धीरज के बाद तय होगा जनता ने कौन से कमल पर भरोसा जताया है।

मिशन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के अधिकृत परिणाम आने के पहले आये पूर्वानुमान ने भाजपा की बांछे तो खिला दी हैं लेकिन हकीकत से अभी सामना करना बाक़ी है। अगर अधिकांश पूर्वानुमान की बात करें तो प्रदेश में फिर से कमल बताया जा रहा है। बावजूद इसके कांग्रेस का आत्मविश्वास चरम पर है। कांग्रेस का दांवा है कि 3 दिसम्बर को 130 सीट जीतकर वो कांग्रेस सरकार बनाएगी। कुछ पूर्वानुमान भाजपा को मध्य प्रदेश के साथ – साथ राजस्थान में भी सत्ता में काबिज होने का आकड़ा दिखा रहे तो कांग्रेस को छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में जीत दे रहे हैं। हालांकि भाजपा का दांवा है कि प्लान बी के तहत हम छत्तीसगढ़ में भी सरकार बनाएंगे। अब इन सब पूर्वानुमान की हक़ीक़त कल सुबह आठ बजे के बाद धीरे – धीरे सामने आने लगेगी। तब तक दोनो ही दल का सत्ता पर दावा वैसा ही बरकरार है, जैसा कि 17 नवम्बर को मतदान के बाद से बना हुआ है।

अगर राजनीतिक गलियारों में सक्रिय विश्लेषकों कि माने तो खास बात यह है कि पूर्वानुमान के सामने आने के बाद जहां एक तरफ भाजपा में शिवराज सिंह चौहान का चेहरा मुस्कुराया हुआ नज़र आता है तो वहीं कांग्रेस में कमलनाथ का चेहरा शायद परिणाम का इंतजार करता या फिर कुछ तलाश करता नजर आता है। हालाँकि वर्ष 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद कमलनाथ ज्यादा दिन तक मुख्यमंत्री नहीं रह पाए थे और वजह थी अपनों की गद्दारी। शिवराज सिंह की भाव भंगिमा उनके अंदर के कुलांचे मारते उत्साह को छुपा नहीं पा रही। एक्ज़िट पोल के नतीजों को वे जन भावनाएं बताने से जरा भी नहीं कतरा रहे। दूसरी तरफ कमलनाथ हैं जो इस पूर्वानुमान से विचलित तो रत्तीभर नहीं हुए लेकिन चेहरे पर आया अनमनापन छुपा भी नहीं पा रहे। कमलनाथ अपने कार्यकर्ताओं को यह कहकर आश्वस्त कर रहे हैं कि राजनीति टेलीविजन से नहीं, विजन से चलती है और ये 3 दिसम्बर के परिणाम के साथ ही स्पष्ट भी हो जाएगा।

हालाँकि अब दोनों के भाग्य का फैसला तो 3 दिसम्बर को ही होगा कि विभिन्न सर्वे, पोल्स, पूर्वानुमान सही और सटीक थे या सिर्फ कपोल कल्पना मात्र थे। हालांकि 30 दिसंबर को शाम से शुरू हुए एक्ज़िट पोल को विशेषज्ञ 80 फीसदी तक सत्य बता रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो 5 राज्यो में हुए चुनावो में मामला बराबरी पर आकर थमेगा। पूर्वानुमान की माने तो दो राज्य भाजपा तो दो में कांग्रेस को सत्ता दे रहे हैं। मध्य प्रदेश और राजस्थान में भाजपा को फिर से सत्ता में लाते एक्ज़िट पोल काँग्रेस के हिस्से में एक बार फिर से छत्तीसगढ़ कर रहें हैं। तेलंगाना में भी कांग्रेस की स्पष्ट बहुमत मिल रहा हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का फिर से सत्ता में लौटना, भाजपा के लिए सदमे से कम नही। वही तेलंगाना में जरूर भाजपा के पास कुछ खोने को नही लेकिन वहां पर कांग्रेस का प्रदर्शन बता रहा है कि अभी भाजपा को दक्षिण के इस राज्य में सत्ता पाने में एड़ी से चोटी का जोर लगाना पड़ेगा। मिज़ोरम का मामला क्षेत्रीय दल के जिम्मे हो गया है। इस लिहाज से कांग्रेस के लिए ये पूर्ण सत्ता से पहले का सेमीफाइनल घाटे का सौदा नहीं रहा है। हालाँकि मिजोरम में राहुल गाँधी के एक दौरे से स्थानीय संगठन काफी नाराज हुए थे क्युंकि राहुल गाँधी ने उनके नियमों का उलंघन किया था। अब इन सब हाई वोल्टेज ड्रामा के बावजूद मिजोरम किसे चुनता है यह फैसला सोमवार को ही हो पायेगा।

भाजपा पूर्वानुमान से गदगद है लेकिन जीत का सेहरा किसके माथे बंधेगा, इस पर संशय बरकरार हैं। हालांकि शिवराज सिंह चौहान के प्रचार तंत्र ने इसे लाडली बहना योजना से जोड़कर परिणाम आने के 48 घन्टे पहले से ही दिल्ली दरबार पर दबाव बना दिया है कि लाडली बहना योजना ही असली गेम चेंजर साबित हुई जबकि दिल्ली दरबार इस योजना के साथ – साथ प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को फ्रंट में रखने, 7 सांसदों सहित 3 केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव मैदान में उतारने की रणनीति को जीत का जिम्मेदार मान रहा है। दिल्ली की तरफ से सनातन के मुद्दे को भी अंडर करंट माना गया है। दिल्ली दरबार को सनातन के मुद्दे पर मातृसंस्था का भी साथ मिला हुआ है। अब ये तो महिला वोटर्स के अंतिम आंकड़े ही ख़ुलासा कर पाएंगे कि जीत मामा की है या मोदी की है ? भाजपा के पक्ष में महिला मतदाताओं का मत प्रतिशत ही लाडली बहना योजना की चुनावी सफलता पर दूध का दूध और पानी करेगा जिसका फैसला 3 दिसंबर 2023 को मतगणना के बाद होगा।

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