सिरमौर विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी जमीन तलाश कर चुनावी बिसात बिछने लगे है। सिरमौर विधानसभा में आधा दर्जन से अधिक उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतर गए है ।दावेदारों ने घरों से निकलकर लोगों की नब्ज टटोलनी शुरू कर दी है। सिरमौर में त्रिकोणीय मुकाबला जाति समीकरण में स्तिथि में अटकी हुई है बीजेपी से सामान्य उम्मीदवार में दिव्यराज सिंह को मौका पार्टी ने दिया है वही कांग्रेस से रामगरीब आदिवासी और बीएसपी से विष्णुदत्त पांडेय मुकाबला फंसा हुआ जिसमे युवा और किसान मतदाता इस बार बदलाव चाहता है। जैसे – जैसे चुनाव की घड़ी नजदीक आ रही है वैसे वैसे हर दल के पार्टी प्रत्याशी पूरी ताकत झोंक रहे है। अपनी सक्रियता बढ़ाने पति पत्नी पिता ,बहु , सासु मां ,बहन,तक चुनाव मैदान में अपनो को जिताने के लिए उत्तर आई हैं। सोशल मीडिया का सहारा ले रहे उम्मीदार।
इस बार विधानसभा चुनाव में दावेदार अपनी दम को सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल कर उम्मीदवारी सोशल मीडिया का सहारा ले रहे है। कोई फेसबुक व वाट्सएप जमकर उपगोग कर रहे है वही चौपालों में प्रत्याशी भी हाजिरी लगाने लगे हैं। सुबह के समय जगह जगह बुजुर्गों की टोली चुनाव पर चर्चा करती नजर आ रही है। वही क्षेत्र में कराए गए कार्यों से नाखुश लोग बदलाव की तैयारी में हैं। इस बार के चुनाव में मंहगाई असर साफ दिख रहा असर। सिरमौर क्षेत्र के वोटरों ने बताया कि पीएम आवास योजना में ग्रामीण क्षेत्र में मिल रही कम राशि कर्जदार हो गए है। गरीबों को पक्का छत दिलाने के लिए पीएम आवास योजना चलाई जा रही है, लेकिन इसमें बजट इतना कम दिया जा रहा है कि दो कमरे बनाना भी मुश्किल हो रहा है। शहर में राशि ज्यादा है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में उससे भी कम राशि दी जा रही है। ग्रामीण क्षेत्र में दो कमरा और छोटा आंगन बनाने के लिए 1 लाख 20 हजार रुपए की राशि दी जाती है। इतनी कम राशि में लोगों को मकान बनाना मुश्किल हो रहा है। साथ ही कुछ हितग्राही ऐसे हैं, जिनके पास स्वयं की पूंजी भी नहीं है, जिससे मकान अधूरे भी पड़े हैं। शहरी क्षेत्र में यह राशि 2 लाख 50 हजार रुपए है और इतनी राशि भी मकान तैयार करने के लिए पर्याप्त नहीं है। वर्तमान में लोहा ,सीमेंट के साथ ही रेत, गिट्टी, ईंट के दाम आसमान छू रहे हैं, जिससे मकान बनाना महंगा होता जा रहा है।
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